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हम पहरेदार है भारत के 
  
हम पहरेदार है भारत के, यह देश पे्रम की धारा है। दिल कोमल फूल के जैसा, मगर दुश्मन के लिए अंगारा है।।   
सरहद पर अपनी खड़े खडे़, हम अपना फर्ज निभाते है। 
देकर जान भी धरती को, भारत का कर्ज चुकाते है।। 
  
सींच लहू से इस धरती का, चमन हमने संवारा है। 
हम देशभक्त है मतवाले, समझे बस पे्रम की बोली है।। उनको भी सबक सीखा देते, जो खेले खून की होली है। 
  
यही देश पे्रम के जगने से, चमके भारत का सितारा है। हम पहरेदार हैं भारत के, ये देश प्रेम की धारा है।।   
हम लाल है, माॅं भारत के, नित लालों को सर्वस्व त्यागा है। 
लाल लाखों खोकर भी, लाखों के भाग्य विधाता है।। 
  
ऐसे भी लाल दिये हमने, जिसने यहाॅं गंगा को उतारा है। 
हम पहरेदार हैं भारत के, ये देश प्रेम की धारा है।। 

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009 Lansh Nayak Bhadur Kathat.jpg
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010 Bhanwaru Khan.jpg
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