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ब्यावर को प्रदुषण से बचाना होगा 

लेखकः वासुदेव मंगल 

 


182 साल पहीले 19 खसरा में बनाये गए कम्पनी बाग को फुटबाल का मैदान बना दिया है नगर परिषद ने। यहाँ पर हाल ही में जनवरी माह सन् 2004 को, खजूरिया बैरे की बगीचे की जमीन पर निजी बस स्टेण्ड को भगत चैराहे से लाकर उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए बगीचे की सॅंवेदनशील जमीन को वाहनों के धुँए से निकलने वाली कार्बनडाई मोनो आक्साइड विशैली गैस से जीव, जल और वनस्पति तीनों के जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को नकार दिया है स्थानीय नगर परिषद् ने। इस जमीन पर अब प्रातःकाल शौच जाते हुए लोग दिखाई देते है। इस कम्पनी बाग में हरे भरे सौ साल पुराने हजारों पेड़ों को काट दिया है, जहाँ पर प्रकृति का सुरम्य वातावरण बना हुआ था। पेड़ों पर बैठकर हजारों पक्षी अपनी मधुर आवाज में प्राणी का मन मोह लेते थे। लताओं पर लगे रंग बिरंगे फूल अपनी सुगन्ध से मानव को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे। थका हारा मानव मन कुछ क्षण के लिये इस बगीचे में घूम फिरकर अपनी थकान दूर करता था। 
आज पर्यावरण के क्षेत्र पर जोर दिया जा रहा है जहाँ एक ओर नगर परिषद् अपने क्षूद्र स्वार्थ हेतु इस बगीचे की जमीन को व्यवसायिक प्रलोभन हेतु काम में लेने के लिये ऐसा कर रही है। क्या अधिकर है नगर परिषद् के नुमाईन्दों को ब्यावर की दो लाख की आबादी वाली जनता के साथ खिलवाड़ करने का? होना तो यह चाहिये था कि पर्यावरण की दृष्टि से इस बगीचे को ओर विकसित किया जाना चाहिये था स्थानीय शासन प्रशासन द्वारा। बजाय विकसित करने के विकृत किया जा रहा है स्थानीय शासन - बगीचों को, बच्चों के पार्को को, खेल के मैदान को, सौन्दर्यपूर्ण बाजारों को। और तो और यहाँ के चैराहों को कला और वस्तुशिल्प के बेजोड़ खजाने वाला परकोटा व दरवाजों को। 


अतः समय रहते प्रशासन नहीं सम्भला तो समय इनको कभी माफ नहीं करेगा। इसी प्रकार बिचड़ली का तालाब जो कम्पनी बाग का ही एक हिस्सा है इस पर भी अतिक्रमण करवाकर नगर-परिषद् ने इस तालाब के दो हिस्सों में फैक्ट्रियां व बस्ती बसाकर इस तालाब के पानी को भी जानबूझकर प्रदूषित करवाकर तालाब को भी नेस्नाबूद करना चाहती है। 
अतः समय रहते नगर परिषद् को तुरन्त अपनी बेजा कार्यवाही से बाज आना चाहिये और ब्यावर की जनता के कल्याण और भलाई के काम नहीं करा सकती तो कम से कम यहाॅं की सवा सो, डेढ़ सो, दो सो साल पुरानी विरासत को तो न उजाड़े, अन्यथा इसका खामियाजा नगर परिषद् को देर सवेर भुगतना पडे़गा जिसे कोई नहीं बचा सकता।

 

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