Saku Temple

 

स्वतन्त्र लेखक- जीवन परिचय 

वासुदेव मंगल


 युवा रचनाकार वासुदेव मंगल का जन्म 28 सितम्बर सन 1944 ई. तदनुसार आश्विन शुक्ला विजया दशमी विक्रम संवत् 2001 को ब्यावर के रामगढि़या नोहरे में जो पुरानी सिनेमा गली, गोपालजी मौहल्ले में स्थित है, हुआ। यह स्व. श्री बाबूलालजी हरलालजी के पांच पु़त्रों में से दूसरे नम्बर के पुत्र हैं। इनके और अन्य 4 भाई कृष्णगोपाल, श्यामलाल, प्रदीपकुमार व मोहनलाल मंगल है। वासुदेव मंगल की शिक्षा स्थानीय सनातनधर्म विद्यालय व महाविद्यालय में हुई। आप वाणिज्य संकाय से स्नातक है। भारतीय बैंकिगं संस्थान, बम्बई द्वारा आयोजित बैंकिग व्यवसायिक शिक्षा में आपने सी. ए. आई. आई. बी. भाग प्रथम सन् 1975 में उत्तीर्ण किया। जन्म से ही आप चित्रकला में फ्री-डाईंग हेण्ड रहे है जो एक देविक कृपा है। आपका लेखन में स्वतंत्र रूझान है। आप पर मां सरस्वती की महत्ती कृपा है। आप ब्यावर के प्रसिद्व बादशाह मेला में सन् 1978, 1986, 1987, 1988, 1990 व 1991 में छः बार बादशाह का किरदार बखूबी से कर चुके हैं। आपके अभी तक ‘भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ब्यावर का योगदान’ ब्यावर के स्थापना दिवस पर जनशक्ति पर आधारित उत्पादन, सेठ दामोदरदास राठी, ठाकुर गोपालसिंह खरवा नरेश, अर्जुनलाल सेठी, सेठ धीसूलाल जाजोदिया, स्वामी कुमारानन्द, पण्डित बृजमोहनलाल शर्मा, मुकूटबिहारीलाल भार्गव, चिम्मनसिंह लोढा, बेंको की लाभप्रदता एवं सामाजिक उत्तरदारयित्व, प्रशासनिक ब्यावर, ब्यावर का सार्वभौम धार्मिक स्वरूप, चिरशान्ति का प्रतीक मुक्तिधाम, ब्यावर का प्रादेशिक पर्यटन बादशाह मेला, ब्यावर का प्रसिद्व तेजा मेला, ब्यावर के संस्थापक कर्नल चाल्र्स जार्ज डिक्सन, महान आदर्शो के प्रतीक महाराजा अग्रसेन, दूसरी सहस्त्राब्दी का सबसे काला दिन दिनाकं 6 अगस्त 1945, 21 वीं शताब्दी में अन्तरराष्ट्रिय परीपेक्ष्य में राष्ट्रिय एकात्मकता, श्यामजी कृष्णवर्मा, अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी, दिनाकं 1 फरवरी को ब्यावर का स्थापना दिवस आदि मौलिक लेख अभी तक विभिन्न लोकप्रिय दैनिक क्षेत्रिय समाचार पत्रों में समय-समय पर प्रकाशित हो चुके हैं। आप ब्यावर के इतिहास में विशेष रूचि रखते हैं जिसकी व्याख्या अब इंटरनेट के माध्यम से संम्पूर्ण विश्व में की जा रहीे हैं जो आपकी स्वयं की वेबसाइट है। वर्तमान में आपने स्वंय की आत्मकथा लिखी है। आप स्टेट बैक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर, ब्यावर शाखा से विशेष सहायक के पद से स्वेच्छापूर्ण 31 मार्च 2001 को सेवानिवृत हो चूके हैं। आपके चार पुत्र हैं। जिनमें से तीन पुत्र प्रवीण, पवन व अनिल मंगल ब्यावर में व्यापार में सलग्न है जिनके प्रतिष्ठान मंगल फोटो स्टुडियो, 4-5-6, गणपति प्लाजा, भगत चैराहा, ब्यावर में स्थित है और एक पुत्र अरूण मंगल स्थानीय ओरियन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स ब्यावर शाखा पिपलिया बाजार में कार्यरत हैं। आपकी रचनाऐं वास्तविकता, मौलिकता तथा समय की पुकार लिये हुऐ होती है जो जन मानस के सीधे ह्रदय को स्पर्श करती हैं। ब्यावर की ख्याती को जनसाधारण तक पहुंचाना ही आपका ध्येय हैं। आपकी धर्मपत्नि के दिवंगत हो जाने के बाद से ही आप निरन्तर लेखन के क्षेत्र में विशेष प्रयासरत हैं। आर्थिक लेख लिखने में भी आपकी विशेष रूचि हैं। वर्तमान में आप कई रचनायेें लिख रहे हंै। आप ब्यावर के शोधकर्ता के अतिरिक्त एक शिक्षाविद् व पर्यावरणचितंक भी है। आप स्वतंत्र लेखन के साथ-साथ प्रखर वक्ता भी है। वर्तमान में आप गीता कोचिंग सेन्टर के माध्यम से रोजगार उन्मुख अभ्यार्थीयों को अधिक से अधिक बैंकिग प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में सफलता के लिए निरन्तर किताबी व प्रयोगात्मक अभ्यास के जरिये तैयारी करवाते है। इस आशय की जानकारी आप गीताविजन.काॅम वेबसाइट पर प्राप्त कर सकते हैं वर्तमान में बैंकिंग सेक्टर में मैनुअल वर्किगं हैण्डस् की बहुत अधिक मात्रा में मांग है जिससे बेरोजगार सक्षम युवक-युवतियाँ इस क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध पा सके।

आपका सबसे बड़ा लड़का प्रवीण मंगल फोटोग्राफर है। तीसरे नम्बर वाले पुत्र अरूण मंगल ने असंख्य वर्षो का तारीख से वार तुरन्त भूत, वर्तमान, भविष्य बताने के धारावाहिक कलेण्डर का अविष्कार सन् 1992 में किया है जिसके फलस्वरूप अरूण का नाम उसी साल में ”लिम्का बुक आॅफ रिकार्ड“ में दर्ज हो चुका है। अरूण मंगल ने सन् 2004 ने जर्मनी के एनाबर्ग शहर में ‘वल्र्ड चैम्पियनशिप इन अरिथमैटिक’ प्रतिस्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए सफलतापूर्वक भाग लिया। इसी प्रकार सन् 2008 में टर्की के यूरोपीय भाग में स्थित इंस्ताम्बुल शहर में ‘वल्र्ड मेन्टल केल्क्यूलेशन मैमोरी एण्ड फोटोग्राफिक स्पीड रीडिंग ओलम्पियाड’ में भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए चैथे स्थान पर सफलता अर्जित की जो अपने आप में एक विश्व कीर्तिमान है। अरूण मंगल विश्व के सुपर बे्रन में से एक है। अरूण का चयन सन् 2012 में अमेरिका के न्यूयार्क में ‘वल्र्ड मेन्टल केल्क्यूलेशन मैमोरी की होने वाली प्रतियोगिता के लिए भी हो चुका है। अरूण मंगल ने अपनी स्वयं की वेबसाइट अरूणमंगल.काॅम निर्मित की है। अरूण मंगल का एक लेख ओरियन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स की मैग्जीन आधार में ‘राजस्थान की हृदय स्थली ब्यावर’ शहर मार्च 2009 में व दूसरा लेख मरूवाणी जो जयपुर क्षेत्र की त्रेमासिक पत्रिका मरूवाणी अपे्रल-जून 2009 में ‘वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के परिपेक्ष्य में वैदिक शिक्षा की उपयोगिता’ प्रकाशित हो चुके है जो उनके मौलिक लेख है। 

श्री वासुदेव मंगल द्वारा लिखा हुआ सन 1991 में ‘सेतू’ स्मारिका में ‘ब्यावर का इतिहास’ छपने पर 2 अप्रेल 1991 में उपजिलाधीश कार्यालय ब्यावर के प्रांगण में एक भव्य सरकारी अंलकरण समारोह में श्री मंगल को तत्कालीन अजमेर संभागीय आयुक्त श्रीमति अल्का काला मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया। आपको 15 अगस्त 2006 में ब्यावर के उपखण्ड व नगरपरिषद प्रशासन के द्वारा संयुक्त रूप से ब्यावरहिस्ट्री.काॅम वेब साइट के माध्यम से ब्यावर की अधिकाधिक जानकारी विश्वस्तर पर प्रदान करने के लिए तत्कालीन ब्यावर उपखण्ड अधिकारी श्री राजेश चैहान द्वारा सम्मानित किया गया। ब्यावर की सम्पूर्ण जानकारी हेतू आप सन् 2005 से ब्यावर स्थापना दिवस पर प्रतिवर्ष 1 फरवरी को आपकी धर्मपत्नि श्रीमती गीता देवी मंगल की स्मृति में एक 100 प्रश्नों की ‘ब्यावर को जानो प्रश्न्नोत्तरी प्रतियोगिता’ लागातार प्रतिवर्ष सफलतापूर्वक पाँच प्रतियोगिता कर चुके है जो अपने आप में एक क्रांतिकारी गतिविधि हैं। जिससे ऐतिहासिक ब्यावर की सॅम्पूर्ण जानकारी के लिए विश्वस्तर पर जिज्ञासा रखने वाले व्यक्ति जानकारी हासील कर लाभान्वित होते है। दिनांक 20 दिसम्बर 2009 को पटेल स्कूल के सभागार में आयोजित भव्य समारोह में भारत स्काउट की स्थानीय शाखा द्वारा उसके 50 वर्ष की स्वर्णिम जयन्ति के उपलक्ष में प्रकाशित स्मारिका में आप द्वारा लिखित राजस्थान के हृदयस्थली ब्यावर शहर के लेख के उपलक्ष में आपको सम्मानित किया गया। 

वर्तमान में आप राजस्थान जनसर्तकता समिति, जयपुर व हिन्दू सेवा मण्डल ब्यावर व

 भारतीय बैंकर्स संस्थान मुम्बई के आजीवन सदस्य हैं।

 

 

 

 

 

 
 

 

Banking
Activities in NCC
Activities in Games
Act of free hand drawings
Vision of V D Mangal himself

गौरवमयी पल
सुनहरी यादे
 

लेखक के पुस्तैनी गाँव मण्डावा शेखावाटी में दादा-परदादा की पुस्तैनी हवेली के दृश्य

 

लेखक के पिता श्री बाबूलालजी हरलालका की हवेली (रामगढ़ वाले सेठों का नोहरा) पुरानी सिनेमा गलीगोपालजी मौहल्ला, ब्यावर जहॉं  लेखक का जन्म हुआ। 

 

लेखक का निर्मित स्वयं का मकान 

वासुदेव मंगल अपने चाचा, पुत्र एवं पौत्र के साथ
 

लेखक वासुदेव मंगल  की फोटो (कॉलेज के समय की)

सन् 1991 में ब्यावर का इतिहास लिखने पर अजमेर संभागीय आयुक्त श्रीमती अल्का काला से पुरस्कार  एवं प्रमाण पत्र ग्रहण करते हुए बादशाह वासुदेव मंगल

 

सन् 1890 ई. में सेठ रामबगस खेसीदास शेखावाटी रामगढ़ वाले यूनाईटेड कॉटन प्रेस (नाडी का पेच) पर विक्रम संवत् 1947 में बनाया गया बजरँग बली का मन्दिर। इस मन्दिर के कारण ही इतिहासकार वासुदेव मंगल के पिताश्री बाबूलालजी ने इस कालोनी का नाम सन् 1935 ई. अर्थात् विक्रम संवत् 1992 में महावीर गंज रक्खा।