ब्यावर एक नजर में
‘राजनिति और शासन’
स्वतंत्र भारत के इतिहास में ब्यावर के क्रम अवनति की कहानी
1. 180 वर्ष पूर्व सन् 1823 में कर्नल हेनरी हाल ने ब्यावर को राजपूताना -
मध्यभारत की एक केन्द्रिय फौजी छावनी बनाई।
2. सन् 1836 में कर्नल चाल्र्स जार्ज डिक्सन ने मगरा के बिहड़ जंगल में एक
उंचे पठार पर एक खुबशुरत सुन्दर नगर के रूप में वैज्ञानिक तरीके से ब्यावर
नगर को बसाया और अंगेजों द्वारा स्वयं के तथा मारवाड़ और मेवाड़ के जीते हुए
गांवों को मिलाकर एक स्वतंत्र मेरवाड़ा प्रदेश बनाकर ब्यावर को मेरवाड़ा
प्रदेश का मुख्यालय बनाया जो सन् 1938 तक मेरवाड़ा प्रदेश का मुख्यालय रहा।
3. सन् 1938 में 99 साल के लीज की समाप्ति पर मेवाड़ व मारवाड़ को उनके गांव
लोटाये जाने पर बाकी बचे गाॅंवों को अजमेर के साथ जोड़कर अजमेर मेरवाड़ा नाम
रक्खा गया। इस प्रकार ब्यावर का भविष्य अजमेर के साथ जुड गया।
4. सन् 1952 में केन्द्र शासित प्रदेश अजमेर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे
दिया गया तब ब्यावर को अजमेर राज्य का जिला बनाया गया। इस काल में ब्यावर
में शिक्षा का विकास जरूर किया गया था।
5. एक नवम्बर सन् 1956 में जब अजमेर को राजस्थान प्रदेश में इस आशय से
मिलाया गया था कि अजमेर को राजस्थान राज्य की राजधानी बनाया जायेगा। उस
वक्त ब्यावर को राजस्थान प्रदेश का उपखण्ड का दर्जा दिया गया। यह क्रम मई
सन् 2002 तक चला जहां पर भारतीय प्रशासनिक/पुलिस अधिकारी नियुक्त किये जाते
रहे क्योंकि ब्यावर राजस्थान में 90 उपखण्डों में से सबसे बड़ा उपखण्ड था।
6. मई सन् 2002 में 360 गांवों वाले ब्यावर उपखण्ड को जिला मुख्यालय बनाये
जाने के बजाय खण्डित कर दिया गया और इसके 144 गांवों को इससे अलग करते हुए
अलग से मसुदा उपखण्ड बनाया गया। इस प्रकार मात्र 216 गांवों के समूह को ही
ब्यावर खण्ड में रक्खा गया। इस प्रकार राजस्थान के सबसे बडे़ ब्यावर उपखण्ड
को क्रम अवनत कर दिया गया।
इस प्रकार हमारी चुनिन्दा सरकारों ने समय-समय पर ब्यावर के उन्नत व्यापार
और उद्योगो में ह्रास करते हुए आज वर्तमान में रसातल में पहुंचा दिया हैं।
ब्यावर को अलग जिला बनाकर विकास करने के बजाय उपखण्ड को ही खण्डित कर दिया
मात्र इस आशय से कि इसके पडोसी जिले भीलवाड़ा, पाली और स्वयं अजमेर जिले का
विकास ब्यावर को जिला बनाये जाने पर अवरूद्ध न हो जाये। यहां तक कि उदयपुर
का भीम के आगे तक का क्षेत्र आरम्भ से ही ब्यावर से सम्बद्ध रहा हैं फिर भी
इस क्षेत्र को उपयपुर से अलग कर ब्यावर जिला नाम न देकर इस अलग किये गये
क्षेत्र को राजसमन्द जिलें का नाम दिया गया जिसका मुख्यालय राजसमन्द को
बनाया गया। |
|
|
|