मतदाता को प्रत्येक राजनैतिक पार्टी से बुनियादी सवाल पूछने का हक
रचनाकारः वासुदेव मंगल
1. पहीला सवाल है कि आपके दल ने आज तक अपनी आमदनी और खर्चे का सही हिसाब आयकर विभाग को क्यों नहीं दिया?
2. मंत्री बनने से पहिले आपके दल के नेताओं की आर्थिक स्थिति क्या थी? और मंत्रीपद पर रहने के बाद वह क्या हो गई?
3. प्रायः हर बडे नेता के पास अरबों रूपयों की बेनामी सम्पत्ति होती है फिर भी आज तक उसे भ्रष्टाचार के मामले में पकड़ा क्यों नहीं गया?
4. देश में पिछले 55 वर्षों में इतने घोटाले उछले, तमाम सबूत जुटाये गए, सी बी आई के अफसरों ने जाॅंच के नाम पर करोड़ो रूपया खर्च किया, संसद के हजारों घण्टे घोटालों पर शोर मचाने में बर्बाद हुए, वर्षों मुकदमें चलें और सरकार ने बडे़ वकीलों का करोड़ो रूपया फीस भी दी। फिर भी आज तक किसी बडे नेता या अफसर को भ्रष्टाचार के मामले में सजा क्यों नहीं मिली?
क्या वजह है कि हर दल के नेता केवल उन्हीं घोटालों पर शोर मचाते है जिनमें उनके विरोधी दल के नेता फंसे होते हैं? हवालाकाण्ड जैसे घोटाले में सभी बडे दलों के नेता फंसे थे इसलिए किसी ने भी इसकी ईमानदारी से जाॅंच की माॅंग नहीं की।
अगर वे वास्तव में भ्रष्टाचार दूर करना चाहते है दल की दलदल से उपर उठकर राष्ट्रहित में सभी घोटाले बाजों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और उन्हें सजा दिलवाने तक चुप नहीं बैठना चाहिए।
5. क्या वजह है कि सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश के बावजुद किसी भी दल ने न तो केन्द्रिय सतर्कता आयोग को बडे पदों पर बैठे नेताओं और अफसरों के भ्रष्टाचार के विरूद्ध जाॅंच करने की छूट देने दी और ना ही सी बी आई को स्वायत्ता ही मिलने दी? एक भी दल का कोई भी ऐसा नेता नहीं है जिसने कभी भी किसी भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ाई लड़ी हो?
6. जनता के सामने कोई भी दल के नेता को चुनाव के पहिले ही आने की फुर्सत मिलती है, चुनाव के बाद क्यों नहीं? ये नेता रोड़ शो करने या रथ यात्रा पर चुनाव के समय ही निकलते है? जवाब साफ है कि चुनाव के बाद उन्हें उद्घाटन करने से ही फुर्सत नहीं मिलती। अपने महलनूमा सरकारी बंगलो और किलेनूमा दफ्तरों में सुरक्षागार्डो से घिरे बैठे रहने में ही उनका फायदा है।
अतः जनता जनार्दन, ये सब रोड़ शो या फिर रथ यात्रा भोली भाली जनता से वोट बटोरने का नाटक मात्र है जो उनके झूंठे, थोथे, मिठे, लुभावने झाॅंसे में हर पिछले 55 साल से आ रही हैं। जिन नेताओं ने देश पर 75 लाख करोड रूपयों का विदेशी कर्जा करके देश को विदेशियों के हाथों गिरवी रख दिया है और नेता स्वयं गुलछर्रे व मौज उडा रहे है। इस विदेशी कर्जो से स्विटजरलैण्ड के बैंक में अपने अपार काले धन का बैंक बेलेंश बढा रहे है।
अगर कोई भी दल भारत को वास्तव में सशक्त राष्ट्र बनाना चाहता है तो उसे पहिले अपने आचरण से ऐसा करके दिखाना होगा। इस देश में न तो साधनों की कमी है और ना ही मेहनती और चतुर लोगो की, पर विकास का सारा पैसा भ्रष्टाचार की जेब में चला जाता है या फिर सरकारी तामझाम पर बर्बाद हो जाता है। जब तक देश में ऐसा होता रहेगा तब तक आम जनता को कोई फायदा नहीं होगा। भ्रष्टाचार दूर करने के लिए न्यायपालिका भी पारदर्शी हो। अदालत की अवमानना कानून में व्यापक संशोधन किया जाय जिससे न्यायपालिका की जनता के प्रति जवाबदेही बनी रहे। इसी प्रकार पुलिस आयोग की सिफारिशें लागू करके पुलिस व्यवस्था में भी पूरे सुधार की जरूरत है। इन तीन बुनियादी सुधारों को लाए बिना कोई भी राजनैतिक दल जनता के दुख दूर नहीं कर सकता। पर सवाल इस बात का है कि ऐसे बुनियादी सवालों पर कोई भी राजनैतिक दल बोलना नहीं चाहता। इसलिए जो कुछ बोला जा रहा है उसके कोई मायने नहीं है।
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