23 सितम्बर 2023 खगोलिय घटनाः दिन रात बराबर
सामयिक लेखः वासुदेव मंगल, ब्यावर सिटी (राज)

प्रस्तावनाः पृथ्वी अपनी धुरी पर चौबिस घण्टे में घूर्णन करती हुई सूर्य के चारों ओर एक पूरा चक्कर लगाती है, जिससे रात दिन होते हैं। यह पृथ्वी के भ्रमण का शाश्वत क्रम है।
आज 23 सितम्बर 2023 का दिन है। सूर्य पृथ्वी की विषवत् रेखा अर्थात् मूमध्य रेखा पर सीधा चमकेगा। जिससे दिन रात बराबर-बराबर बारह-बारह घण्टे के होगें। ऐसा इसलिए होता है कि पृथ्वी अपने कक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर एक अण्ड़ाकार मार्ग पर 365 दिन 6 घंटे 48 मिनट और 4,091 सेकेंड में एक चक्कर पूरा करती है। इस गति को परिक्रमा या वार्षिक गति कहते है। 365 1/4 दिन में सूर्य की कक्षा में एक पूरा चक्कर लगाने से मौसम और ऋतु परिवर्तन होता है। जब पृथ्वी कर्क रेखा से (उत्तर से) दक्षिण की दिशा की तरफ विषवत् रेखा पर ठीक 23 सितम्बर को प्रत्येक वर्ष परिक्रमा करते हुए आकर अपनी दूरी पर घूर्णन करती हुई चौबिस घण्टे मे एक पूरा चक्कर सम्पन्न करती है तो यह एक खगोलिय अर्थात् प्राकृतिक घटना घटित होती है प्रत्येक वर्ष 23 सितम्बर को परिणामतः पृथ्वी का आधा भाग बारह घंटे सूर्य की ओर होता वहाँ दिन होता है और ठीक पृथ्वी का आधा भाग जो सूर्य के पीछे होता है बारह घण्टे तक वहाँ रात होती है। अतः कह सकते है कि उत्तरी गोलार्द से जब पृथ्वी सूर्य की अपनी कक्षा में परिक्रमा करती हुई दक्षिण दिशा में भूमध्य रेखा पर आती है तब वह अपनी कक्षा की परिक्रमा में सूर्य के ठीक मध्य भाग में होती है प्रत्येक वर्ष 23 सितम्बर के दिन।
यहाँ पर अब पृथ्वी का भ्रमण दक्षिणी गोलाद्ध में शुरू होता है जिससे आने वाले अब दिन छोटे होते जायेगें और रात बड़ी होती जायेगी।
कुदरत (प्रकृति) का यह क्रम भ्रमण पृथ्वी का शाश्वत् है साल भर पर्यन्त निरन्तर।
इस प्रकार वर्ष पर्यन्त चार खगोलिय घटनाएँ सम्पन्न होती है। प्रत्येक पहली 22 मार्च को। इस दिन पृथ्वी दक्षिण गोलाई से उत्तरी दिशा में भ्रमण करती हुई विषवृत रेखा पर आती है। इस दिन रात दिन बराबर होते हैं।
दूसरी घटना 21 जून को प्रत्येक वर्ष जब सूर्य पृथ्वी की कर्क रेखा पर उत्तरी गोलाद्ध में सीधा चमकता है तब सबसे बड़ा दिन और सब से छोटी रात होती है 14 घण्टे 46 मिनट का दिन और 9 घण्टे 14 मिनट की रात।
तीसरी घटना 23 सितम्बर वाली है। इसमें सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध से पुनः दक्षिणी गोलार्द्ध को रुख करता हुआ विषवत् रेखा पर आता है। इस दिन दिन-रात बराबर-बराबर बारह-बारह घण्टे के होते हैं। इस प्रकार 22 मार्च और 23 सितम्बर को प्रत्येक वर्ष और चौथी खगोलिय घटना 23 दिसम्बर को प्रत्येक साल होती है जब सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है। अतः इस दिन रात सबसे बड़ी होती है। 14 घण्टे 46 मिनट की ओर दिन सबसे छोटा 9 घण्टे 14 मिनट का होता है।
तो यह क्रम शाश्वत सालभर पर्यन्त निरन्तर चलता रहता है एक बार उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा पर प्रत्येक साल 21 जून को।
दो बार पृथ्वी के मध्य गोलार्द्ध में विषवत् रेखा पर प्रत्येक साल दो बार 23 सितम्बर और 22 मार्च को
और एक बार दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर प्रत्येक साल 23 दिसम्बर।
सृष्टि का यह क्रम ‘कालचक्र’ कहलाता है जो शाश्वत् है प्राकृतिक है कुदरती है। इसी से रात दिन और दिन रात बारी बारी से वर्ष पर्यन्त होते रहते है।
और इसी प्रकार महीने साल और साल महीने होते रहते है जिससे दशाब्दी, शताब्दी और निरन्तर क्रमबार आगे सहस्त्राब्दी आदि होते है और ‘काल चक्र’ काल गणना में आगे बढ़ता जाता रहता है।
इसी प्रकार प्रत्येक 23 दिसम्बर के बाद सूर्य उत्तरायण होता है और प्रत्येक 21 जून को सूर्य दक्षिणायन होता है जो सृष्टि का क्रम वर्ष पर्यन्त योहीं निर्बाध गति से चलता रहता है और कालचक्र आगे बढ़ता रहता है।
23.09.2023
 

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