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1 नवम्बर को अजमेर राज्य को जिला बने हुए इकसठ साल हुए

लेकिन राजस्थान की राजधानी से महरूम रक्खा गया

आलेख: वासुदेव मंगल

31 अक्टूबर 1956 तक अजमेर मेरवाड़ा स्वतन्त्र भारत देश का चैदहवा राज्य था।

मेरवाड़ा स्टेट सन् 1842 से पहले राजपूताना की अलग अगें्रजी रिसायत थी और अजमेर अलग अंगे्रजी राज्य था जिसे ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने सन् 1842 में प्रशासनिक दृष्टि से कर्नल चाल्र्स जार्ज डिक्सन के नेतृत्व में अजमेर राज्य को मेरवाड़ा स्टेट से जोड़कर एक संयुक्त अजमेर मेरवाड़ा राज्य नाम दिया। परन्तु डिक्सन का मुख्यालय हमेशा ब्यावर ही था।

अजमेर मरेवाड़ा स्टेट 14 अगस्त 1947 तक अंगे्रजी दिल्ली केन्द्रिय शासन के अधीन रहा। 15 अगस्त 1947 से लेकर 25 जनवरी 1950 तक अजमेर मेरवाड़ा स्टेट स्वतन्त्र भारत के दिल्ली के केन्द्रिय शासन के अधीन शासित रहा।

26 जनवरी 1950 को अजमेर मेरवाड़ा स्टेट स्वतन्त्र भारत का श्रेणी का चैदहंवा राज्य बना। इसका विधान सभा भवन (विधायिका)] मन्त्री मण्डल सब कुछ अजमेर में अलग से था। हरिभाऊ उपाध्याय के मुख्य मन्त्रीत्व में।

राज्य पुनर्गठन आयोग व केन्द्रिय समिति की सिफाारिश पर अजमेर मरेवाडा छोटे राज्य को राजस्थान में इस आशय से 1 नवम्बर 1956 को मिलाया जाना था, चूँकि अजमेर भोगौलिक दृष्टि से राजस्थान के मध्य में स्थित हैं इसलिये विलीनीकरण पर अजमेर को राजस्थान की राजधानी बनाया जाना था। और मेरवाड़ा यानि ब्यावर राज्य को रजस्थान का जिला व्यापारिक व ओद्यौगिक क्षेत्र होने के कारण मेरवाड़ा स्टेट से ब्यावर जिला बनाया जाना था।

लेकिन तत्कालीन राजस्थान के सवाई मानसिंहजी द्वितीय के 31 अक्टूबर 1956 को राजप्रमुख होने के कारण उनकी हठध्र्मिता के तुष्टीकरण के कारण कि अजमेर मेरवाड़ा छोटे राज्य को 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान राज्य में मिलाते वक्त जयपुर को ही राजधानी बरकरार रखने की हठध्र्मिता के कारण 1 नवम्बर को तत्कालीन राजस्थान की सुखाड़िया सरकार ने उलटफेर कर अजमेर को 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान में मिलाये जाने के वक्त अजमेर को राजस्थान की राजधानी नहीं बनाते हुए मात्र जिला बनाया और इसी प्रकार मेरवाड़ा स्टेट अर्थात् ब्यावर को जिला न बनाकर मेरवाड़ा स्टेट के चार टुकड़े कर ब्यावर उपखण्ड बनाया।

तब से आज इकसठ वर्ष 1 नवम्बर 2017 को हुए दोनो राज के क्षेत्र राजनीति का दंश झेल रहे हैं

मेरवाड़ा स्टेट से तीन तहसीले आबू, भीम, बदनोर, अलग कर अलग-अलग तीन जिलों में क्रमशः सिरोही, उदयपुर और भीलवाड़ा जिलों में मिला दी। बाकी बची चार तहसीलों ब्यावर, टाटगढ़, मसूदा और बिजयनगर के साथ ब्यावर उपखण्ड दर्जे का नाम दिया गया।

इसी प्रकार अजमेर राज को राजधानी न बनाकर ब्यावर, केकड़ी, अजमेर और किशनगढ़ चार उपख्ंाड को मिलाकर अजमेर जिले का दर्जा प्रदान किया गया।

इस प्रकार अजमेर मरेवाड़ा संयुक्त राज्य का हमेशा-हमेशा के लिये पटाक्षेप हो गया। इस प्रकार इस सातवें चरण में वृहद राजस्थान का 1 नवम्बर 1956 को सृजन किया गया सुखाड़िया सरकार द्वारा जबरिया।

परिणामस्वरूप राजस्थान की राजधानी जयपुर ही बरकरार रक्खी गई। अजमेर राजस्थान का छब्बीसवाँ जिला बनाया गया और ब्यावर को निब्बे उपखण्डों में से सबसे बड़ा उपखण्ड बनाया गया।

राजस्थान में राजप्रमुख का पद समाप्त कर राज्यपाल के पद का सृजन 1 नवम्बर 1956 को किया गया जिसपर भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रशाद द्वारा पंजाब के गुरूमुख निहालसिंहजी की राजस्थन वृहद् राज्य के राज्यपाल के रूप में प्रथम नियुक्ति 1 नवम्बर 1956 को की गई। अजमेर मेरवाड़े की जनता जर्नादन सरकार के इस व्यवस्था का आकलन करे कि क्या सरकार ने यह सिस्टम सही किया था या गलत। जनता पर ही इसका समाधान छोड़ा जाता हैं इसलिये न तो अजमेर और न ही ब्यावर आज इकसठ साल से तरक्की नहीं कर रहे हैं।

आजतक राजस्थान की चैदह सरकारों द्वारा इन दोनों महत्वपूर्ण क्षेत्रों के विकास की नीति के उदासीनता के कारण आज भी विकास के लिये तड़प रहे हैं परन्तु इकसठ सालों से राजस्थान की चोदह सरकारों ने इन दोनों महत्वपूर्ण क्षेत्रों की घोर उपेक्षा कर रक्खी है शायद अतीत में दोनों मेरवाड़ा और अजमेर अंग्रेंजी रियासतें होने के कारण इन क्षेत्रों की जनता आज भी इसका खामियाजा भुगत रही है जबकि राजस्थान के अन्य सभी क्षेत्र विकास के सोपान पर आरूढ है सिवाय ब्यावर और अजमेर के।

देखो भविष्य में कोई इनका भी रखवाला शासक आयेगा जो इनकी तरक्की की सोचेगा। इसी विश्वास के साथ। कि विश्वास पर तो दुनियां कायम हैं। और यहां पर लोकतन्त्र कायम हैं जनता के द्वारा जनता के नुमाईन्दें जनता के लिये हर पांच साल में हर क्षेत्र में संसद सदस्य, विधायक, पार्षद, सरपंच, पंच, सदस्य चुने जाते है। देखों, इस क्षेत्र में कब विकास होगा। भगवान राम का भी चोदह वर्ष के वनवास के बाद राजतिलक हो गया था। यहां राजस्थान में भी 1 नवम्बर 1956 से आज दिन तक इकसठ वर्षों में चैदहवीं सरकार राज्य कर रही हैं अब आखिरी बजट हैं अब तो आज बासठवें वर्ष में प्रवेश करने पर राज्य की वसुन्धरा महारानी बजट में इन दोनों क्षेत्रों के विकास की क्या घोषणा अमल में लाती हैं इस बात का इन क्षेत्रों की जनता को बेसब्री से इन्तजार है।

आलेख: वासुदेव मंगल  

 

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