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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......                  ✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

 ब्यावर भारतीय गणतन्त्र की मूलभावना को अक्षूण रक्खी जानी चाहिए।
आज 26 जनवरी 2023 को भारतीय गणतन्त्र का 74वाँ लोकपर्व

लेखक: वासुदेव मंगल

 


15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। जंगी आजादी के कडे़ संघर्ष के पश्चात् असंख्य कुर्बानियों के कारण अंगे्रजों ने मजबूरी में भारत को आजाद करते समय ईष्र्यावश भारत के दो टुकड़े कर आजादी प्रदान की अर्थात् उन्होंने गुलामी से भी ज्यादा भारत की बदत्र स्थित कर दी। पाकिस्तान व भारत तो बनाया ही। यहाँ तक की अंग्रेज भारत से जाते जाते 562 राजा महाराजाओं को भी अपनी अपनी रियासतों का स्वतन्त्र अधिकार दे गए। अंगेंजों को तो भारत से जाना ही था। कारण स्पष्ट है कि द्वितीय विश्व युद्ध में बरतानिया सरकार की साम्राज्यवादी स्थिति छिन्न भिन्न हो गई थी। उसकी आर्थिक स्थिति शोचनीय एवं डांवाडोल हो गई थी जिससे भारत डोमीनियन सम्भालना मुश्किल हो गया।
अतः अंगें्रजों ने भारतवर्ष से जाते जाते उसके टुकड़ टुकडे़ कर चले गये। यह तो हुई प्रस्तावना।
अब भारत की स्वतन्त्रता के बाद की स्थिति की विस्तृत विवेचना की जा रही है।
एक बार तो भारत देश में अन्तरिम सरकार बनाकर हमारे नायकों ने भारत की जर्जर राजनैतिक स्थित को सम्भाले रक्खा।
ऐसी सूरत में लोह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने पांच सो बासठ रियासतों को भारतीय संघ में मिलाकर अपने कृतित्व को अद्भुत परिचय दिया। फिर से भारत पहीले से भी ज्यादा मजबूत होकर उभरा।
ऐसे भारत पर शासन करने के लिये हमारे महानायकों ने विश्व के तमाम लोकतन्त्र की अच्छी अच्छी बातों को एकत्रित कर संविधान निर्माताओं ने भारतीय संविधान का निर्माण किया। इसके निर्माण में 29 महीने 11 दिन लगें।
अतः फलस्वरूप 26 जनवरी सन् 1950 ई. को उन्होंने भारतीय गणतंत्र के रूप में लोकतन्त्रिय समाजावाद धर्म निरपेक्ष संवैधानिक पद्धति को अंगीकार कर लागू किया।
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र देश है। आज यह विश्व में भारत के एक सो बय्यांलिस करोड़ अर्थात् बिलियन लोगों की जनसंख्या वाला विश्व का जनसंख्या की दृष्टि से पहला देश होने का गौरव प्राप्त कर रहा है अर्थात् 284 करोड़ हाथों वाला श्रमशक्ति वाला देश हैं।
आज विडम्बना यह है कि भारतीय लोकतन्त्र में आज दो सशक्त पार्टी नहीं हैं क्षेत्रिय पार्टियां तो छोड़ो राष्ट्रीय स्तर की भी दो सशक्त पार्टी नहीं है वर्तमान में। अतः भारतीय लोकतन्त्र अधिनायकवाद की ओर अग्रसर होता हुआ दिखलाई दे रहा है। वर्तमान में भारतीय लोकतन्त्र की यहीं विडम्बना है। अतः वर्तमान में केन्द्र में शासन करने वाली भारतीय जनता पार्टी अधिनायक बाद की ओर अग्रसर हो रही है जो भारतीय लोकतन्त्र के लिये चिन्ता की बात है।
आज 74वें भारतीय गणतन्त्र को उसके मूलरूप में कायम रखने के लिये सभी देशवासियों को यह संकल्प लेना होगा कि गणतन्त्र की मूल आत्मा में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जावे हमारे वर्तमान केन्द्रिय शासनकत्र्ताओं द्वारा।
आज संविधान की लोकतन्त्रीय मूल व्याख्या को बदलने पर ऊतारू है केन्द्र सरकार।
अतः आवश्यकता इस बात की है कि देश की आज सभी विपक्षी सभी पार्टियों को एक होकर भारत के संविधान को धर्म निरपेक्षता स्वरूप को बरकरार रखना होगा अन्यथा भारत को लोकतन्त्रिय गणतन्त्र स्वरूप छिल्ल भिन्न हो जावेगा जिसे भविष्य में पुर्नस्थापित करना सम्भव ही नहीं वरन् मुश्किल होगा।
अतः आज के गणतन्त्र दिवस पर ब्यावर हिस्ट्री परिवार डाॅट काॅम की सभी देशवासियों व प्रवासियों को ढे़र सारी शुभकामनाएँ एवं बधाई।
जम्मू कश्मीर के महाराजा हरीसिंहजी ने अपने राज्य को भारत में मिलाने पर देर करदी। इसका परिणाम आज आपके सामने है कि दो अलग अलग संविधान उस राज्य में होने के कारण ही उस राज्य को वर्तमान में दो अलग अलग केन्द्रशासित प्रदेशों में केन्द्र सरकार द्वारा शासित किया जा रहा है अर्थात् जम्मू कश्मीर और लेह लद्दाख मेे।
जम्मू कश्मीर कबालियों के हथियाने से पहीले ही महाराजा भारतीय परिसंग में मिल जाते तो आज यह नौबत नहीं आती।
अतः देश के असंख्य दुकडें होने से रोकने के लिये यह जरूरी है कि आज भारतीय संविधान की मूल व्याख्या में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जावे।
ब्यावर के एक जागरूक भारतीय नागरिक के विचार।

 

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