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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

25 सितम्बर 2023 को स्व. बाबू चौथमलजी अगरवाल की 71वीं पुण्य तिथी पर विशेष
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आलेखः वासुदेव मंगल

श्री बाबू चौथमलजी अगरवाल का जन्म 8 जनवरी 1889 ई० को माता सुन्दरी देवी से हुआ। आपके पिता से रामानन्दजी सलेमावादी ब्यावर के प्रसिद्ध व्यापारी थे। आप बचपन से ही होनहार थे। आपकी बुद्धि पढने में बहुत तीव्र थी। बंग भंग व स्वदेशी आन्दोलन के क्रान्तिकारी युग में आपने तिलक लाइब्रेरी की स्थापना की। क्रान्तिकारी साहित्य का प्रचार करने वाली तिलक लाइब्रेरी जो सन् 1903 से क्रान्तिकारी साहित्य का प्रचार करने वाली ब्यावर की प्रथम राष्ट्रीय शाखा थी माता ऐनी बीसेन्ट के होमरूल आन्दोलन में भी आपने दिलचस्पी ली। मालवीयजी की अध्यक्षता में सन् 1918 में होने वाली 33वीं राष्ट्रीय महासभा के दिल्ली अधिवेशन में आप ब्यावर से प्रतिनिधि बनकर गए। सन् 1921 ई0 में पं. मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में होने वाली राजनैतिक परिषद अजमेर, में भी आपने भाग लिया। सन् 1920-21 में ब्यावर में कांग्रेस की स्थापना में भी आपने अपना योगदान किया। सन् 20-21 से मृत्यु पर्यन्त आप प्रायः स्वदेशी वस्त्र ही धारण करते रहे। सन् 1948 में जयपुर काँग्रेस की स्वागत समिति के भी आप सदस्य बने, परन्तु अस्वस्थता के कारण आप जा न सके। आप राष्ट्र के मूक सेवक थे। आपने कभी भी कोई पद ग्रहण नहीं किया, परन्तु गुप्त रूप से काफी कार्य किया। यथा शक्ति धन की भी सहायता राष्ट्रीय कार्यों में करते रहे। आपकी देश प्रेम की उत्कर्ष भावना से प्रेरित होकर ही आपका छोटा पुत्र अगस्त 42 में सत्याग्रह करके कृष्ण मन्दिर का पथिक बना। सन् 1933 में हरि - पुस्तकालय, सन् 1943 में साहित्य-निकेतन व सन् 1950 में श्यामजी कृष्ण वर्मा-पुस्तकालय व अर्जुनलाल सेठी वाचनालय की स्थापना व संचालन में आपका प्रमुख हाथ रहा। अर्जुनलाल सेठी राष्ट्रीय ’ग्रन्थ माला’ ’मंगल पाण्डे चित्र शाला’ ‘प्रताप प्रकाशन’ के आप ही अध्यक्ष व प्रणेता रहे। 1948 में सुभाष सदन की स्थापना मुख्यतया आपकी राष्ट्रीय भावनाओं की प्रेरणा से ही हुई। नगरपालिका ब्यावर को, सेठ घीसूलाल जाजोदिया, सेठ दामोदर दास जी राठी व सरदार पटेल के विशाल हाथ के बने चित्र, सुभाष-सदन द्वारा ही भेंट किये गए। सरदार पटेल के चित्र का अनावरण तारीख 10-1-1952 को श्रीमती विजयलक्ष्मी पण्डित द्वारा उनके कर कमलों से हुआ। सुभाष सदन द्वारा राष्ट्रीय व साहित्यिक आयोजन भी समय समय पर किये गए।
सेवीजी की स्मृति में प्रणवीर- साप्ताहिक के आप ही प्रकाशक थे। 25 सितम्बर 1952 को (आसोज सुद छढ) आपका देहावसान अचानक दिन के 3 बजे हार्ट फेल होने से हो गया। मृत्यु के समय आपकी आयु करीब 64 साल की थी।
बचपन में दिवाली के दिन पटाके के जलने से आपका दाहिना हाथ कट गया। एक हाथ होने पर भी आपने अपने जीवन में काफी परिश्रम व व्यवसाय किया। खांड की दुकान, तेल की एजेन्सी, रुई चाँदी, सोने, में पानी बादल का सट्टा किया। आप वायु शास्त्र के आचार्य, रुई, चाँदी, सोने के व्यापार के विशेषज्ञ थे। रेडियो के ब्यावर में प्रथम प्रसारक थे। सैकड़ों रूपये के यन्त्र व पुस्तकें आप देश विदेशों से समय समय पर मंगवाते थे वैज्ञानिक ढंग पर मनन करके आप व्यौपार करते थे। पूना में सन् 1918 में महीनों रहकर घी की परीक्षा का काम सीखने वाले आप अजमेर राज्य के प्रथम व्यक्ति थे। बम्बई, इन्दौर बीकानेर में आप व्यौपार के सिलसिले में वर्षों रहे। बम्बई व पूना में पुराने राष्ट्रीय नेताओं के भाषण सुनने तथा वहाँ की राष्ट्रीय प्रवृत्तियों को देखने का भी आपको सौभाग्य मिला। आपका धर्म, दर्शन, ब्यौपार, डाकृरी, आयुर्वेद, वायु शास्त्र, रेडियो सम्बन्धी भारी अध्ययन था। आप सात भाषाएँ संस्कृत, हिन्दी, मराठी, बंगला, गुजराती, उर्दू व अंग्रेज़ी जानते थे। आप एक अच्छे लेखक भी थे। व्यौयार व रेडियो सम्बन्धी आपके लेख समय समय पर टाइम्स ऑफ इण्डिया बोम्बे क्रोनिकल, हिन्दुस्तान टाईम्स, अर्जुन व रेडियो सम्बन्धी पत्रों में छपते थे। पत्र व्यवहार आपका देश देशान्तरों में होता रहता था। पढ़ने व सिनेमा का आपको भारी शौक था। यहाँ तक कि कलकत्ते की इम्पीरियल लाइब्रेरी से पुस्तकें पढ़ने को मंगवाते थे। आपके तीन पुत्र (जगदीश -प्रशाद, राधाकिशन (जो कि कामठी में गोद चले गए) व हरि प्रसाद) आपकी पत्नि भूरी बाई, जो कि आदर्श महिला रत्न थीं 32 साल की आयु में सन् 1922 में ही स्वर्ग सिधार गई।
बाबू चौथमलजी ने एक साधारण स्थिति में होते हुए भी, हजारों रुपये राष्ट्रहित में खर्च किये। आपका आत्मिक बल व ईश्वर विश्वास अटूट था। करीब पाँच हजार रूपये तो जिन्दगी के आखिरी 4 वर्षों में सुभाष सदन पुस्तकालय वाचनालय प्रताप प्रकाशन व प्रणवीर आदि में झोंक दिये।
आप जैसे घोर परिश्रमी तथा अध्यवसायी का जीवन आज के युवकों के लिये एक आदर्श के रूप में रहेगा।
25-09-2023
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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