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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  ब्यावर सिटी (राज.)
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

7 अगस्त 2024 को ब्यावर जिले को एक साल होने पर विकास के पंख अतीत के विकास की तरह होने चाहिये।
वासुदेव मंगल - स्वतन्त्र लेखक, ब्यावर सिटी
ब्यावर जिला अब एक साल का शिशु हो जायेगा। राज्य सरकार और केन्द्र सरकार दोनों को ही चुनाव के दौरान अपने अपने किए गए संकल्पों को मूर्त रूप देना शुरू कर देना चाहिये। दोनों सरकारों को जनता के बहुत काम करने है। इसके लिये सो दिन की कार्य योजना बनाकर अमल करने की जरूरत है। सरकार को अपनी टीम को काम करने की तीव्र गति से हर क्षेत्र में किये गए वादे को पूरा करना है। इसके लिये समय समय पर काम को पूरा करने की समीक्षा जरूरी है।
यहाँ पर लेखक केन्द्र सरकार से राजस्थान प्रदेश को ‘विशेष दर्जा’ देने की अपील करते हैं ताकि 1969 में वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर राजस्थान प्रदेश क्षेत्रफल में देश में सबसे बड़ा पिछड़ा राज्य आज भी भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक दृष्टि से स्वतन्त्रता के 77 साल बाद भी बना हुआ है। यहाँ पर या तो ‘मरु प्रदेश’ है या फिर मेरू-प्रदेश अर्थात् पहाड़ी क्षेत्र है। अतः विशेष दर्जा दिये जाने पर इस राज्य का त्वरित सघन विकास हो सकेगा। विशेष राज्य के दर्जे में केन्द्र द्वारा 90 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में व 10 प्रतिशत राशि बिना ब्याज के कर्ज क रूप में दी जाती है।
अब निकट भविष्य में केन्द्र और राज्य सरकार दोनों के बजट सत्र आरम्भ होने जा रहे हैं। इस बजट में ही राजस्थान प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा मिले तब ही चुनाव मे किये वादों को पूर्ण करने सम्भव हो सकेंगें।
जैसा कि दिनांक 16 जून 2024 को राजस्थान के मुख्य मंत्री ने ब्यावर में सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जयन्ती के पाक्षिक समापन में सिरकत करने के अपने भाषण में ब्यावर में महिलाओं के स्कील डवलेपमेन्ट के लिये राज्य वित्त आयोग द्वारा एक सेन्टर खोलने की मन्शा जाहिर की। उन्होंने कहा कि हम राज्य की बहन-बेटी को सम्मान देने के लिये वचनबद्ध है। महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए ऐसा काम जरूरी है। जैसा कि सी.एम. साहिब ने बोला महिलाओं को लखपत दीदी बनाने की कई योजनाएँ चल रही है। उनकी यह भावना काबिले तारीफ है। अगर सरकार अपने प्रदेश और देश का विकास तय दिल से ठाण ले तो क्षेत्र का विकास सम्भव है।
अब लेखक ब्यावर जिले के सघन और सर्वांगिण विकास के घटक पहलुओं का वर्णन कर रहें है। भौगोलिक दृष्टि से ब्यावर जिले की पृष्ठभूमि की प्रत्येक तहसील उप-तहसील व सब डिविजन में पहाड़ी और घने आच्छादित जंगल से घिरा क्षेत्र है। अतः इस जिले में पशुपालन, खनन, पर्यावरण, पर्यटन आधारित और व्यापार उद्योग की विपुल सम्भावना है जो केन्द्र और राज्य के दोनों को भरपूर राजस्व प्रदान कर सकेगा।
इसके अतिरिक्त ब्यावर रेल व सड़क परिवहन मार्गों चारों और से जूड़ा हुआ केन्द्र स्थान है जो मारवाड़ और मेवाड़ अजमेर व दूदार रियासतों के सेतु का काम करता है। किसी भी क्षेत्र के त्वरित विकास के लिये आधारभूत (इन्फ्रास्ट्रक्चर) ढाँचा जरूरी है जिसका रा मटिरियल (कच्चा माल) ब्यावर के सम्पूर्ण जिले मे उपलब्ध है ब्यावर का सम्पूर्ण जिला यात्री भार और मालभार से सम्पन्न है। अतः जिले की सघन विकास की शत प्रतिशत गुंजाईश है। आवश्यकता है मात्र सरकार के मोटीवेशन की।
वर्तमान में ब्यावर के सांसद श्रीमती महिमादेवी जी और विधायक शंकर सिंहजी रावत जिन्होंने विधायक का चौका लगाया दोनों ही भारतीय जनता पार्टी से है जिनका शासन केन्द्र व राजस्थान प्रदेश दोनों में है। अतः दोनों सरकारों को इस जिले के सघन और सर्वांगीन विकास मे पूरा पूरा योगदान करने से ही यह कार्य सम्भव हो सकेगा वरना कदापि नहीं।
ब्यावर के एक जागरुक लेखक ने अपने मन के उद्गार उद्धरित किये हैं। कार्य तो सरकार को करना है। हम तो आपको विकास का तरीका ही बता सकते है।
अतीत में भी ब्यावर मेवाड़ा बफर स्टेट के नाम से व्यापार और उद्योग में राजपुताना का मेनचेस्टर कहलाता है जो उस काल में उन्नत स्थिति में रहा है जब राजपूताना ही नहीं अपित भारत देश में भी व्यापार और उद्योग नहीं के बराबर थे।
यहाँ पर लेखक दीया कुमारीजी की प्रशंसा करेंगें जिन्होंने परिवहन के क्षेत्र में मारवाड़ और मेवाड़ को जोड़ने के सेतु का काम किया। जिससे पर्यावरण, पर्यटन, खनन और वन सम्पदा के दोहन का विशाल क्षेत्र जोड़ा। इससे राज्य और केन्द्र दोनों सरकारों को भरपुर राजस्व प्राप्त हो सकेगा।
लेखक दीया कुमारी से इस क्षेत्र के सतत् विकास की अपेक्षा रखते है।
17.06.2024


 
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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