लेखक : वासुदेव मंगल
श्रीमान् ब्यावर जब मेरवाड़ा बफर स्टेट रहा तब इसमें मारवाड़ मेवाड़ के
राजस्व गांव 99 साल की लीज पर सम्मिलित थे।
पहला :- अतः जब ब्यावर सब डिविजन
से जिला बनाया जा रहा है तो मेवाड़ और मारवाड़ के उन गांवों को पुनः
ब्यावर जिले में समायोजित किया जाकर जिला बनाया जा सकता हैं जैसे -
मारवाड़ के पाली जिले की रायपुर और जैतारण पंचायत समिति के उन राजस्व
गांवों को जो ब्यावर की लगती हुई सीमा पर स्थित है। इन सबकी दूरी
ब्यावर के आस-पास ही है। इसी प्रकार मेवाड़ के वे सब राजस्व गांवों को
ब्यावर जिले में आसानी से मिलाये जा सकते है। ये मसूदा की पंचायत समिति
के राजस्व गांव है जिनको ब्यावर सब डिविजन से सन् 2002 में तत्कालिन
मुख्य मन्त्री श्री भैरोंसिंह जी शेखावत ने अलग करते हुए बलात् मसूदा
को उपखण्ड बनाकर अजमेर जिले का हिस्सा बनाया। इसी प्रकार सन् 2013ई.
में तत्कालिन मुख्यमन्त्री श्रीमती वसुन्दरा राजे ने टाटगढ़ तहसील को
अलग से उपखण्ड बना दिया।
इसी प्रकार नवम्बर 1956 में जब ब्यावर को जबरिया राजस्थान प्रदेश का 67
साल पहले उपखण्ड बनाया था तब ब्यावर जिले के जो उस समय अजमेर राज्य ‘स’
श्रेणी का जिला हुआ करता था उसकी भीम तहसील को तत्कालिन उदयपुर जिले का
हिस्सा बनाया। इसी प्रकार ब्यावर की बदनोर तहसील को तत्कालिन भीलवाड़
जिले का हिस्सा बनाया था। उस समय अजमेर राज्य के ब्यावर जिले से श्री
बृजमोहनलालजी शर्मा सर्वे सर्वा हुआ करते थे जो अजमेर राज्य राजस्थान
प्रदेश में समाहित किये जाते समय बाद में राजस्थान प्रदेश के मिनिस्टर
बनाये गए और इसी प्रकार श्री हरिभाऊ उपाध्यायजी भी अजमेर से राजस्थान
प्रदेश के मिनिस्टर बनाये गए राजस्थान के मन्त्री मण्डल में तत्कालिन
मुख्यमन्त्री श्री मोहनलालजी सुखाडियाजी के द्वारा।
इस प्रकार 1956 के अक्टूबर तक राजस्थान प्रदेश में कुल 25 (पच्चीस) जिले
हुए थे जो राजपूताना की सभी रियासतों को जिलों के रूप में संगठन रहा।
परन्तु 1 नवम्बर 1956ई. में अजमेर मेरवाड़ा राज्य को जब राजस्थान प्रदेश
में मर्ज किया गया तो मात्र अजमेर को राजस्थान का 26वाँ जिला बनाया गया
सुखाड़ियाजी ने ब्यावर के जिले का हक मारकर बलात् उपखण्ड बना दिया अपनी
हठधर्मिता से जिसको श्रीमान् अब जाकर आप दुरूस्त कर रहे है।
यहाँ पर आपकी जानकारी के लिये यह बताना जरूरी है कि पाली जिले के
लाम्बिया, रास, बाबरा, राबड़ियावास को ब्यावर जिले में मर्ज किया जा सकता
हैं साथ ही पाली जिले से लगते नागौर जिले के गांवों को जैसे जसनगर,
कुरड़ाया, मेड़ता आदि-आदि भी ब्यावर जिले के हिस्से बनाये जा सकते हैं।
ऐसा करने से ब्यावर को अदृश्य रूप से एक बहुत बड़ा फायदा यह होगा कि
केन्द्र सरकार द्वारा अमृत योजना के अन्तर्गत ब्यावर रेल्वे स्टेशन का
पुर्नविकास किया जा रहा हैं अतः ब्यावर से रास तक 35 मील की पट्टी तक
रेल्वे की लाईन डालकर ब्यावर को मेड़ता से जोड़ते हुए
’ब्यावर रेल्वे का जँक्शन’ भी बनाया
जा सकेगा।
दूसरा :- आपकी जानकारी के लिये कि
ब्यावर में ‘फेल्सपार’ के प्रचुर मात्रा में भण्डार हैं वर्तमान में यह
रा-मटीरियल कल कारखानों के अभाव में सारा का सारा कच्चा माल गुजरात
प्रान्त के मोरवी शहर को भेजा जा रहा हैं अतः आपसे विनम्र अपील है कि
सिरेमिक पॉटस के लिये पावर व गैस की सुविधा के साथ ये कारखाने ब्यावर
में सुलभ हो सकते है।
अतः ब्यावर को जिले के साथ-साथ आप ‘सिरेमिक-हब’
इण्डस्ट्री की सोगात भी सुलभ करा सकें तो आपकी बहुत बड़ी कृपा होगी।
ब्यावर के निवासियों को स्थाई जिविकोपार्जन की सुविधा सम्भव हो सकेगी।
आपका यह उपकार ब्यावर वासी कभी नहीं भुला पायेंगें।
तीसरा :- साथ में एक बिन्दु ओर है
कि ब्यावर से लेकर बदनोर आसिन्द होते हुए माण्डल होते हुए पहाड़ी की
बेल्ट भीलवाडा तक गई हुई है। इस बेल्ट में ग्रेनाईट स्टोन उत्तम
क्वालिटी का (उच्च. गुणवत्ता) वाला भरा पड़ा है।
अतः चूँकि यह एरिया भी ब्यावर जिले का ही हिस्सा बनाया जा रहा है बदनोर
आसिन्द तक तो ऐसी सूरत में साथ ही जिले की सोगात के साथ ब्यावर को
‘ग्रेनाइट हब’ का एक तोहफा और दे देवें
तो आपके जैसा कोई नहीं। आप अमर हो जायेगें। आपकी ये यादे सदियों सदियों
तक ब्यावर वालों के मानस पटल पर अंकित रहेगी। पिढ़ियाँ तक नहीं भूला
पायेगी आपकी इस नेकी को।
मेरे लिखे इन बिन्दुओं पर गौर फरमाकर इनके गुण अवगुण के आधार पर
ब्यावरवासियों के लिये यह उपकार जरूर करेंगें ऐसी आपसे अपेक्षा ही नहीं
अपित् पूर्ण विश्वास है।
वाजिब जानकर लिखा हैं।
अग्रिम धन्यवाद के साथ।
एक बार पुनः आभार।
लेखक - वासुदेव मंगल
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