‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)
आज तक राजस्व रिकार्ड में नये नगर के नाम से
ब्यावर नाम का दुरूपयोग किया जाना
आज 1 फरवरी 2023 को ब्यावर की स्थापना का 188वाँ पर्व
लेख प्रस्तुतकर्त्ता - वासुदेव मंगल
आज का दिन सभी ब्यावरवासियों के लिये मंगलमय हो। आप सभी की जानकारी के लिये
वस्तु स्थिति से अवगत कराना अति आवश्यक हो गया। अतः नया नगर और ब्यावर की सही
स्थिति इस प्रकार हैः-
नया नगर :- इस वक्त नया नगर चार दीवारी के भीतर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के
प्रतिनिधि द्वारा 1 फरवरी से लेकर 30 नवम्बर सन् 1858 तक रहा।
अतः उस समय के सारे प्रशासनिक कार्य कर्नल चार्ल्स जॉर्ज डिक्सन के द्वारा नया
नगर के नाम से ही सम्पादित होते रहे। डिक्सन के निधन के बाद तथा सन् 1857 की
क्रान्ति के कारण 1 दिसम्बर सन् 1858 को ब्रिटेन की सरकार ने भारत की बागडोर
अपने अधीन लेकर भारत के शासन की व्यवस्था वायसराय लार्ड के माध्यम से आरम्भ की।
अतः नया नगर के नाम से सारे दीवानी और फौजदारी कार्य 1 फरवरी 1836 को स्थापना
से लेकर 30 नवम्बर 1858 तक इस क्षेत्र के सम्पन्न होते रहे। यह सारे कार्य उस
समय तक मात्र चार दिवारी के भीतर तक ही सीमित थे।
ब्यावर :- 1 दिसम्बर सन् 1858 को ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि वायसराय द्वारा
भारत की शासन पद्धति सम्भालने के साथ ही मेरवाड़ा बफर स्टेट ब्यावर की शासन
व्यवस्था भी अंग्रेजी प्रतिनिधि कमिश्नर व सुपरिन्टेनडेण्ट के अधीन आ गई।
अतः यह शासन व्यवस्था ‘ब्यावर’ के नाम से अंग्रेजी शासन द्वारा चलाई जाने लगी।
तात्पर्य यह है कि वर्तमान में राज्य सरकार ब्यावर की जनता को भ्रमित कर रही है
कि यह तो नया नगर के नाम से हैं अतः इसको ब्यावर के नाम से जिला कैसे घोषित किया
जाय?
यहाँ पर जनता जनार्दन को सरकार द्वारा प्रचारित इस भ्रान्ति का समाधान करना
बहुत जरूरी है। ‘ब्यावर’ नाम तो इस क्षेत्र का नये नगर की जगह 1 दिसम्बर सन्
1858 से अंग्रेजों के जमाने से ही प्रचलित है और अंग्रेजी सरकार द्वारा ही रक्खा
हुआ नाम है जो आज भी ब्यावर के नाम से ही तमाम कार्य सम्पादित हो रहे है।
अगर राजस्व विभाग में नया नगर का ब्यावर नामकरण नहीं किया गया है तो यह गल्ती
तो वर्तमान में सरकारी राजस्व विभाग की है जनता की गल्ती तो है नहीं। फिर सरकार
अपनी गल्ती सुधारने में 1956 से लेकर आज तक टालमटोल या आनाकानी कर ब्यावर की
भोली भाली जनता को क्यों गुमराह कर रही हैं, समझ में नहीं आ रहा।
अतः राज्य सरकार अपने स्तर पर सुधारकर तुरन्त प्रभाव से आने वाली 10 फरवरी 2023
के बजट में ब्यावर को जिला घोषित कर भूल सुधार करे। ब्यावर का एक जागरूक नागरिक
का कथन।
सरकार द्वारा ब्यावर की जनता के लिये 66 साल 3 माह पश्चात् भी सुधार करने पर
ब्यावर की जनता द्वारा राज्य सरकार को और माननीय मुख्यमन्त्री जी को बहुत-बहुत
आभार के साथ अग्रिम ढे़र सारा धन्यवाद।
मान्यवर आपको विदित होना चाहिये यह क्षेत्र तो यूरेनियम बहुमूल्य खनिज सम्पदा
का अथाह भण्डार है जिसकी आप 66 वर्ष के अधिक समय से उपेक्षा कर रहे हो। यह तो
पूरे राजस्थान, भारत को ही नहीं अपित् पूरे विश्व को साधन सम्पन्न और मालामाल
कर सकती है अर्थात् भारत की स्वतन्त्रता के साथ ही 75 वर्ष के अमृत वर्ष तक। और
अंग्रेजों का ध्यान भी कभी इस ओर नहीं गया।
अब आप इसका व्यापक सर्वे कर इस सम्पदा का दोहन कर सकते है। एक बार पुनः
ब्यावरवासियों को ब्यावर की स्थापना के 188वें दिवस पर्व पर वासुदेव मंगल व
परिजन की ओर से ढे़र सारी बधाई व शुभकामनायें। साथ ही स्थानीय राजस्थान पत्रिका,
नवज्योति व भास्कर दैनिक समाचार पत्र का भी बहुत-बहुत आभार जिन्होेंने ब्यावर
की वस्तु स्थिति का सही चित्रण करके जनता को सही स्थिति से रूबरू कराकर सरकार
द्वारा ब्यावर को नया नगर के नाम से गलत प्रचारित कर भ्रमित कर अभी तक 66 साल
से ज्यादा समय होने के बावजूद ब्यावर को जिला घोषित न कर उसके वाजिब हक से
महरूम अर्थात् वंचित रक्खे हुए है।
अतः ब्यावर नाम के सही आकलन किये जाने पर उक्त समाचार पत्रों का ढे़र सारा आभार।
ब्यावर नाम तो 1 दिसम्बर सन् 1858 से ही जारी है जिसका अनुशरण भी स्वतन्त्रता
के बाद से आज तक चला आ रहा है। फिर सरकार को इस नाम से अब परहेज क्यों? समझ में
नहीं आ रहा।
मात्र ब्यावर के स्वतन्त्र जल, जंगल और जमीन का तब से लेकर आज तक गलत उपयोग कर
स्वार्थवश सभी माफियाओं द्वारा उपभोग करना ही मुख्य मुद्धा बना हुआ है नया नगर
के नाम की आड में।
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