‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)
ब्यावर को जिला नहीं बनने के दो मुख्य कारण
सम सामयिक लेख - वासुदेव मंगल
पहला कारण :- 1 नवम्बर सन् 1956 की तात्कालिक घोषणा में ब्यावर जिला क्यों नहीं
बन सका? इसका मुख्य कारण तत्कालिन जयपुर को राजधानी यथावत रक्खी जानी थी।
इसीलिये ब्यावर की बलि चढ़ाई गई।
ऐसा हुआ कि अजमेर को तो राजस्थान प्रदेश में मिलाते समय क्षतिपूर्ति में राज्य
सरकार ने राजधानी की जगह तीन बड़े महकमें देकर खुश कर दिया। परन्तु ब्यावर को
टुल्लू पकड़ा दिया। अजमेर को आर.पी.एस.सी. (राजस्थान लोक सेवा आयोग), बोर्ड ऑफ
सैकेण्डरी एज्यूकेशन (माध्यमिक शिक्षा मण्डल), रेवेन्यु बोर्ड (राजस्व मण्डल)
राजधानी न बनाने की एवज में दिये व अजमेर को जिला बनाया।
परन्तु ब्यावर को तो जिला भी नहीं बनाया और कुछ भी नहीं दिया राजस्थान की
तत्कालिन सुखाड़िया सरकार ने नीतिगत फैसले के बावजूद ब्यावर की जनता के साथ बहुत
बड़ा धोका किया बल्कि ब्यावर के उस समय अजमेर राज्य के जिले के स्वरूप को ओर खतम
कर दिया।
ब्यावर को राजस्थान का जिला नहीं बनाया, नहीं सही, परन्तु जो ब्यावर 1952 से
अजमेर राज्य का जिला बना चला आ रहा था उसे डिग्रेड (क्रम-अवनत) करके सब डिविजन
उपखण्ड बना दिया ब्यावर को राजस्थान प्रदेश का जिला बनाने की जगह। सरकार ने ऐसा
क्यों किया?
कितना बड़ा तोहफा दिया 1 नवम्बर 1956 को उस समय की राजस्थान प्रदेश की सरकार ने
ब्यावर की जनता को। सरकार द्वारा प्रदान यह तोहफा आज भी ब्यावर की जनता को खल
रहा है कि आखिर सरकार ने ब्यावर की जनता के साथ इतना बड़ा धोका क्यों किया?
जयपुर को राजधानी, अजमेर राज्य को राजस्थान प्रदेश में मिलाये जाने पर, अजमेर
की जगह जयपुर को राजधानी यथावत बरकरार रख केन्द्र व राज्य सरकार के नीतिगत फैसल
के विरूद्ध मात्र जयपुर महाराजा सवाई मानसिंहजी द्वितीय को खुश करने के लिये ही
ब्यावर की जनता की बलि चढ़ा दी? इसका विकल्प यह भी हो सकता था कि अजमेर के साथ
साथ ब्यावर को भी जिला बना दिया होता राजस्थान प्रदेश का, उस वक्त।
ब्यावर को उपखण्ड क्यों बनाया यह बात समझ में आज अभी भी ब्यावर की जनता के समझ
में नहीं आ रही हैं आखिर इतना बड़ा फरेब क्यों किया सरकार ने ब्यावर की जनता के
साथ? 1 नवम्बर 1956 में भी ब्यावर को राजस्थान प्रदेश का जिला घोषित करने में
जयपुर महाराज कहां आडे आ रहे थे, यह तो उस समय के सरकार की सरासर हठधर्मी थी।
दूसरा कारण :- 1 नवम्बर 1956 के बाद, 1957, 1962, 1967, 1972, 1977, 1980,
1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2008, 2013 और 2018 चवदा बार चुनकर के राजस्थान
सरकार आई। 1957 से लेकर आज तक 65 वर्ष तक बजट घोषित होते रहे परन्तु सरकार ने
ब्यावर की सुध न ली। अब यह 10 फरवरी 2023 को 66वां बजट पेश हो रहा है।
गहलोत साहिब, इस बार ब्यावर को जिला जरूर घाषित करेंगे, ऐसी ब्यावर की जनता को
आपसे अपेक्षा है। इस बजट में मुख्यमन्त्री जी, चौका लगाकर नवम्बर 2023 के
पहन्दरवी बार के चुनाव में जरूर विजयी होंगे यह ब्यावर की जनता की तरफ से आपको
वादा हैं श्रीमान् एक चौका तो सुखाड़िया जी ने लगाया था सन् 1954, 1957, 1962 और
1967 चार बार राजस्थान प्रदेश के मुख्यमन्त्री बने। लेकिन उन्होंने तो ब्यावर
के हक को छीना था। 1 नवम्बर 1956 में। लेकिन अब एक आप हो, ब्यावर की जनता को
उसका वाजिब हक देकर नवम्बर 2023 में चौका लगाकर फिर से सत्ता में आओगा। 2023 की
जीत ब्यावर की जनता की ढे़र सारी अग्रिम बधाई के साथ। एक बार पुनः आपका अग्रिम
आभार।
इस 66 साल के अन्तरराल में तो ब्यावर की बहुत सारी तरक्की हो गई होती। फिर भी
ब्यावर दुनियां में कीर्ति के अनेक आयाम घड़कर शीघ्र ही विकास के पथ पर भारत में
सबसे ऊपर की पायदान पर होगा, ऐसा हम आपको विश्वास दिलाते हैं ब्यावर में विकास
के सारे घटक उपलब्ध है। आवश्यकता है मात्र लगन और कडे़ परिश्रम की। प्रचुर
मात्रा में माल, सस्ती बिजली और माल उत्पादन करने के लिये कुशल कारीगर तथा
निर्मित माल का बाजार सब कुछ यहां पर ब्यावर में उपलब्ध है।
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