E-mail : vasudeomangal@gmail.com 

‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

ब्यावर जिले की प्रगति के लिए मुख्य मंत्री श्रीमान अशोक गहलोत को दिये गये सुझाव
ब्यावर जिला बनाने मे मेरवाड़ा स्टेट का पेटर्न लागू किया जा सकता है जो जायज होगा

वासुदेव मंगल, स्वतन्त्र लेखक ब्यावर (राज.)

डिक्सन ने 187 साल पहीले नया नगर के नाम से ब्यावर छावनी को जोड़कर जो शहर बसाया, वह ही ब्यावर सिटी कहलाया और चार साल बाद उसी ब्यावर सिटी को मेरवाडा बफर स्टेट बदल दिया था सन् 1840 मे 183 साल पहले। तात्पर्य यह हैं कि मेरवाड़ा बफर स्टेट की सीमा मेवाड़ और मारवाड़ देशी रियासतों तक थीं। मेवाड़ में बदनोर (बदनपुर), मण्डला (भीम) और बरसावाडा (टाटगढ़) तथा मारवाड़ में रायपुर और जैतारण तहसील तक। ब्यावर में ब्यावर, मसूदा और विजयनगर।
वर्तमान सन् 2023 मे 17 मार्च को राजस्थान प्रदेश का, ब्यावर उपखण्ड भी अन्य शहरों के साथ साथ जिला घोषित किया गया है राजस्थान प्रदेश के मुख्य मन्त्री के द्वारा।
यहाँ पर मुख्य प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि ब्यावर तहसील मात्र ही, वर्तमान में, उपखण्ड के नाम से जानी जाती है। जिला घोषित किये जाने पर इसमें आस पास का कौन कौन सा क्षेत्र मिलाया जाना चाहिये मुख्य खास समस्या है। इसका समाधान सीधा सीधा यह है कि ब्यावर को ‘‘मेरवाड़ा बफर स्टेट’’ इसीलिये उस समय नामकरण किया गया था चूँकि अंग्रेजों द्वारा विजित इकत्तीस गावों के साथ डिक्सन ने मेवाड़ देशी रियासत के ब्यावर के पास के बत्तीस गाँव और मारवाड़ रियासत से इक्कीस गाँव निन्नयानवें साल की लीज पर लेकर चौरासी गाँवों के मारवाड़, मेवाड़, मेरवाड़ा के गांवों का समूह बनाकर मेरवाड़ा बफर स्टेट नाम दिया था सन् 1840 में। अतः यह स्टेटस सन् 1939 ई0 तक लगातार अस्थिस्व में रहा। मतलब यह कि मेरवाडा बफर स्टेट की सीमा मेवाड और मारवाड स्टेट में भी थीं उस समय और लगातार सन् 1939 ई० तक रही भीलवाड़ा के बदनोर तक, उदयपुर के भीम तक एवं पाली के रायपुर और जैतारण तहसीलों के ब्यावर की सीमा से लगते गांवों तक। सन् 1939 मे बचे हुए शेष मेरवाड़ा भाग को अजमेर अंग्रेज़ी स्टेट के साथ जोड़ने से ब्यावर, मसूदा, विजयनगर और टाटगढ़ तहसीलें जो ब्यावर जिलें उपखण्ड में थीं को अजमेर राज्य की मानी जाने लगी। यह व्यवस्था अक्टूबर सन् 1956 तक अजमेर राज्य की अलग से बदस्तूर चालू रही। बाद मे एक नवम्बर सन् 1956 को जब अजमेर राज्य को राजस्थान प्रदेश मे मिलाया गया तब अजमेर को राजस्थान राज्य का जिला और ब्यावर को उपखण्ड बनाया गया।
इस प्रकार सन 1840 मे ब्यावर सिटी को जो मेरवाड़ा बफर स्टेट बनाया गया था का अर्थ दूसरे स्टेट के लोक भी स्वतन्त्र रूप से उपयोग करने से था को क्रमावनत कर अजमेर स्टेट का जिला 1939 में। फिर नवम्बर 1956 में दूसरी बार क्रमावनत कर राजस्थान प्रदेश का उपखण्ड स्टेटस् चेन्जकर बनाया गया था। इसी श्रृंखला में तीसरी बार 30 मई सन् 2002 मे मसूदा पंचायत समिति व तहसील ब्यावर उपरवड से अलग कर अजमेर जिले का मसूदा अलग से उपखण्ड बनाया जाना अर्थात् ब्यावर उपखण्ड को छोटा कर दिया गया। इसी श्रृंखला में चौथी और आखरी बार सन् 2013 ई० में टाटगढ़ तहसील जो ब्यावर उपखण्ड में थीं, उसको भी ब्यावर उपखण्ड से अलग करके टाटगढ़ के नाम से अलग से अजमेर जिले का उपखण्ड बना दिया गया।
इस प्रकार ब्यावर मेरवाड़ा बफर स्टेट जो सात तहसीलों को मिलाकर सन् 1840 में बना था। 74 वर्षों मे चार चरणों में क्रमावनत कर के अन्त में सन् 2013 में एक तहसील का उपखण्ड बनाकर छोड़ा कैसी राजनैतिक और प्रशासनिक दुर्गति की इस अतीत में सरसब्ज रहे बफर (स्वतन्त्र) ईलाके की ब्यावर की हमारे रहनुमाओं नेे। ऐसी दुर्गति का उदाहरण तो, शायद ही, दुनियाँ में कहीं, देखने को मिले।
अभी तक तो आप को, ब्यावर के भँति भाँति के स्वरूपों का इतिहास बताया है। अब ब्यावर के उद्भव काल का टर्निग पॉइण्ट है। अभी तक तो ब्यावर का स्टेटस् गिरता रहा। परन्तु एक सो चौरासी वर्ष बाद, अब ब्यावर की उन्नति का काल सब क्षेत्रों मे सन् 2023 से आरम्भ हो रहा है फिर से एकबार। इस कार्य के लिये लेखक मुख्य मन्त्री की अशोकजी गहलोत के हृदय से आभारी है। यह वही गहलोत साहिब है जिन्होंने अपने पहले मुख्यमंत्रीत्व काल में ब्यावर को डिग्रेड किया था 30 मई सन् 2002 में मसूदा पंचायत समिति को ब्यावर अरबन उपखण्ड से अलग करके मसूदा अलग से रूरल उपखण्ड बनाया था अजमेर जिले का मात्र सिमेण्ट फैक्ट्री को उपकृत करने के लिये। इन्हीं गहलोत साहिब ने दूसरी बार ब्यावर उपखण्ड को और डिग्रेड करके सन् 2013 में पुनः एक बार ब्यावर उपखण्ड के आकार को और छोटा करके टाटगढ़ को तहसील को ब्यावर उपखण्ड से अलग कर मात्र, तहसील स्तर का उपखण्ड बनाकर रख दिया ब्यावर उपखण्ड को टाटगढ को अजमेर जिले का उपखण्ड बनाकर अपने दूसरे मुख्यमंत्रीत्व के दूसरे काल में श्री अशोक जी गहलोत मुख्यमंत्री की सन् 2013 में ई में।
अब जाते जाते पच्चीस साल बाद अपने तीसरे मुख्य मन्त्रीत्व काल में श्री गहलोत साहिब को सद्बुद्धि आई है कि ब्यावर क्षेत्र के अतीत की अहमियत को नजर हाजिर कर ब्यावर को तरक्की के मार्ग पर जिला घोषित करें पुन- आरूढ किया है इसके लिये की गहलोत साहिब पूरे ब्यावर ईलाके की जनता के लिये बधाई के पात्र है।
पच्चीस साल पहीले सन् 2002 में ही अगर ब्यावर को जिला घोषित कर देते तो आज इक्कीस साल बाद तो ब्यावर उन्नति के शिखर पायदान पर होता। खैर देर से आये दुरुस्त आये ब्यावर की अवाम आपसे वादा करती है लेखक की तरफ से कि अब भी व्यापार और उद्योग में ब्यावर बहुत शीघ्र ही शिखर पर होगा बशर्ते आप चौका लगाकर फिर से सत्ता में आकर ब्यावर को इसी प्रकार व्यापार और उद्योग में सतत् निरन्तर सहयोग प्रदान करते रहे अपने चौथे शासन काल में भी ब्यावर को टाईल्स्, सिरेमिक में व ग्रेवाईट स्टोन हब का मार्केट बनाने में। हब व मार्केट बनाने में ब्यावर जिले की जनता को प्रोत्साहित करते रहें।
अभी तक तो इतिहास ही चल रहा था ब्यावर का। अब काम की मुख्य बात पर आते हैं। श्रीमान अगर ब्यावर में पुनः एक बार जिले में वोही भाग जोे डिक्सन साहिब ने एक सो चौरासी साल पहले मेरवाडा बफर स्टेट में शामिल किया था को मिलाकर जिला बनाया जाता है तो लेखक के विचार से किसी भी व्यक्ति को कोई भी आपत्ति नहीं होनी चाहिये क्योंकि आज भी उन तमाम ब्यावर के आस पास के ईलाके के सभी जनता जनादर्न एक बार पुनः जिले के रूप में ब्यावर से जुड़ना चाहती है। जैसे भीलवाड़ा जिले से बदनोर तहसील, राजसमन्द जिले से भीम तहसील, पाली जिले से रायपुर और जैतारण तहसील, अजमेर जिले से मसूदा, बिजयनगर और टाटगढ़ तहसील। इस प्रकार पुनः एक बार ब्यावर जिले का सिनेरियो मेरवाडा बफर स्टेट का ब्यावर जिले के रूप में प्रतिम्बित (प्रतिस्थापित) हो जावेगा। ऐसी सूरत में ब्यावर जिले की आबादी दस पन्द्रह लाख हो जावेगी। इसी प्रकार ब्यावर जिले का पशुधन भी करीब लगभग दस से बारह लाख तक होगा। पुलिस थाने भी ब्यावर जिले की दृष्टि 11 से 15 के आस पास होगें। ब्यावर मे सिमेण्ट उद्योग जो है। नये उद्योग के रूप मे सिरेमिक टाइल्स उद्योग, ग्रेनाईट स्टोन उद्योग के मार्केट विकसित होंगें। हेण्डलूम, पावरलूम यार्न उद्योग, वूल कॉटन एण्ड ग्रेन मार्केट, बहुत सारी रखनिज पदार्थ के मार्केट विकसित होंगे। ट्रान्सपोर्ट की सुविधा बढ़ जायेगी। माल होने मे कारगो सुविधा सुलभ होगी। भोगोलिक दृष्टि से राजस्थान प्रदेश के मध्य में स्थित होने के कारण रेल - रोड परिवहन सेवा चौबिसो घण्टे उपलब्ध रहेगी।
अब श्रीमान् आपको ब्यावर जिले की निरन्तर प्रगति के लिये सामाजिक उन्नयन के लिये ब्यावर मे मेडीकल कालेज, इंजिनियरिंग कालेज, लॉ कालेज के साथ साथ न्याास नगर निगम अगर ब्यावर विकास प्राधिकरण (बीडीए) नहीं तो अरबन इम्प्रूवमेण्ट ट्रस्ट (शहर सुधार न्यास) ब्यावर डेवलोपमेण्ट ऑथोरिटी की जगह खोलने में और स्थापित करने में सहयोग प्रदान करे !
 
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
Follow me on Twitter - https://twitter.com/@vasudeomangal
Facebook Page- https://www.facebook.com/vasudeo.mangal
Blog- https://vasudeomangal.blogspot.com

E mail : praveemangal2012@gmail.com 

Copyright 2002 beawarhistory.com All Rights Reserved