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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

1 जुलाई 2023 को वस्तु एवं सेवा कर लागू किए 6 साल हुए।

सामयिक लेख - वासुदेव मंगल

वस्तु एवं सेवा कर कई गुणा कर है जो प्रत्येक देशवासी से एक दिन में एक बार नहीं अनेक बार लिया जाने वाला कर है। जब उपभोका प्रातः काल उठता है और जब तक सो नहीं जाता है उपभोग की जाने वाली चौबिस घण्टे की प्रत्येक वस्तु के उपभोग के टेक्स के चंगुल में आता है। अतः यह टेक्स नागरिक का शोषण करने वाला है टेक्स है नागरिक को किसी भी सूरत में राहत प्रदान करने वाला टेक्स नहीं है जी एस टी।
जरा आप सोचिये गुड्स एण्ड सर्विस। गुडस का मतलब है। यहाँ पर वह वस्तू जिसको नागरिक उपभोग मे ले रहा है। उदाहरण के लिये सबसे पहले ही अखवार पर टेक्स, फिर दूध पर टेक्स, शक्कर, चाय, गैस टंकी पर टेक्स, फिर सड़क पर चलने का टेक्स, फिर बात करने का टेक्स, फिर वाटर टेक्स, फिर फूड टेक्स फिर हवा का टेक्स।
अरे सरकार ने नागरिक को किसी एक टेक्स की भी उपभोग पर छूट दे रखी है तो बताईये। रोटी, कपड़ा मकान पर टेक्स।
अतः आप एक सो बयालिस करोड़ देशवासी इस टैक्स को पिछले छ साल से अर्थात 2190 दिन से इस शोषण करने वाले सरकार के थोपे हुए टेक्स को कैसे सहन कर रहे हो लेखक आप से इसका जवाब मांग रहा है। अतः यह कमर तोड़ने वाले कानून का आर्थिक बोझ आप सहन करते कैसे हो? क्या कभी आपने सोचा नहीं कि सरकार तो हर बात के टेक्स में आपके दैनिक जीवन को कैद कर रक्खा है और आप बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रहे हो खुशी खुशी दिन भर खुल्लम खुल्ला सरकार द्वारा, आपकी हर बात पर जेब काटी जा रही है और खुशी खुशी हंसते हंसते अपनी जेब कटवा रहे हो ।
अतः जी एस टी आप पर जबरिया थोपा हुआ वह टेक्स है जिसके चंगुल में फँसकर आप बर्बाद हुए जा रहे हो देखते देखते।
अतः यह लेखक और एक जागरूक नागरिक की नजर में काला कर (ब्लेक टेक्स) है जो जिसका पुरजोर विरोध होकर तुरन्त बन्द कराया जाना चाहिये नही तो देश की अर्थव्यवस्था पंगु होकर नष्ट हो जाएगी जिसका जिम्मेदार स्वयं इस प्रकार टेक्स देने वाला उपभोक्ता देश का नागरिक होगा।
वाजिव जानकर लिखा है जिस पर गौर फरमाकर अमल में लाना है। इसके बावजूद भी क्या कारण है कि सरकार भारत पर एक सौ पचास लाख करोड़ विदेशी कर्ज के तले दबी हुई है। अरे आप तो बिजली बनाने वाले कोयले का पैसा भी प्रत्येक बिजली के बिल पर अन्य कर के नाम से जोड़कर उपभोक्ता से वसूल कर रही है सरकार और वोट भी उसी उपभोक्ता से मांग रही है जिसका खुल्लम खुल्ला उपयोग बिजली के घरेलू उपयोग पर आर्थिक शोषण कर रही है।
क्या सरकार देश के नागरिक को कोई आर्थिक राहत प्रदान कर रही है तो बताए। यह खुली बहस है नागरिकों की विशेष कर जागरूक नागरिक की देश की केन्द्रिय और साथ मे राज्य सरकार के साथ। जिसका जवाब दोनों सरकारों को देश को देना चाहिये। इस प्रकार देश कैसे चलेगा ?
अभी चुनाव का समय है। अतः अमृत महोत्सव में सरकार को देश के नागरिक का यह प्रश्न भी जोड़ लेना चाहिये। समय के इंतजार के साथ सरकार के जबाब का भी इन्तजार है देश को? कृपया समाधान जरूर करेंगे ऐसी दोनों सरकारों से अपेक्षा है।
जीएसटी सरकार को अभी तक 1.87 लाख करोड प्राप्त हुए है फिर भी सरकार पर 155 लाख करोड़ का विदेशी कर्ज कैसे हो गया? जबकि देश की जनसंख्या 142 करोड़ ही है।
देश का जागरुक नागरिक वासुदेव मंगल स्वतन्त्र लेखक, ब्यावर, जिला राजस्थान, पिनकोड 305901 भारत
 
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
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