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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

बढते कर्ज से भारत की बद से बदत्तर होती स्थिति भविष्य में
23 मार्च 2023 को आर.बी.आई. (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) के अनुसार भारत पर विदेशी कर्ज 625 अरब डालर था (625000000यूएसडी) था अर्थात 5190312312500 इण्डियन रूपया के बराबर था। अडानी समूह की बाजार पूंजी 11.02 ट्रिलियन। हार्स ट्रेडिंग के जरिये राज्यों की सरकारों को गिराया जाना अनुचित। जी 20 ग्रुप पर 990 करोड़ रुपये खर्च करने थे उसकी जगह गरीब लोगों से जबरिया जी एस टी के जरिये वसूली गई रकम को पानी की तरह 4100 करोड़ रुपये खर्च की गई। बाली शिखर सम्मेलन में मात्र 364 करोड़ रुपये खर्च किये गए। यह रकम दस प्रतिशत से भी कम है। राजनेता योजना बनाकर डर पैदा करने के लिये दुष्प्रचार का सहरा लेते हैं। यह सरकार सस्ती एलपीजी व पेट्रोल डीजल पर कीमतों को कम करने का फोकस नहीं। पेट्रोल पर इस सरकार ने अब तक बत्तीस लाख करोड़ रुपये देश के लोगों से कूटे हैं। सरकारी कम्पनियाँ पेट्रोल डीजल आयात करती है। मोदी सरकार देश की तमाम सरकारी सम्पत्तियों को ओन पोन दामों में गुजरातियों को बेच रही है जो देश के लिये घातक है। घर में नफरत और असहिष्णुता का काम कर रहे हैं नरेन्द्र मोदी। देश में डर पैदा करते हैं और विदेशों में झूठी शान बधारते हैं मोदी जो बिल्कुल एकदम गलत है। विदेशी मेहमानों को छप्पनभोग और देश में मात्र पाँच किलो अनाज कितना अन्तर है देश की माली हालात की जो एक प्रधान मन्त्री विदेशों में अपनी झूठी शान बधारते रहते हैं देश की बिना पर एक सो तैय्यालिस करोड़ अवाम की शक्ति पर जो देश का दुर्भाग्य ही कहा जावेगा। देश की वास्तविक आर्थिक स्थिति जो शोचनीय है, नहीं बताते हैं विदेशों में। और 52 वर्ष पूर्व सन् 1971 में गुजरात के आईएस अधिकारी ने जो दलित है, उन्होंने मोदी सरकार पर जहां पर मनोज सिन्हा एलजी थे जल जीवन मिशन पर जम्मू कश्मीर में 13 हजार करोड़ का करपशन किया गया है। इस आई ए एस दलित अधिकारी जिसने जल जीवन है के करपशन उजागर किया उसको बार बार ट्रान्सफर किया जा रहा है। मोदी विपक्षियों पर तो करपशन के बलात् सरकारी स्वायत शासी सरकारी एजेन्सियों पर दबाब बनाकर झूठे केसों में कार्यवाही कोरी करवाकर बलात् डराया जाता रहा है मात्र अपने नो साल के शासनकाल में यह ही काम मोदी ने अपने विपक्षियों को डराने धमकाने तथा कोरी कार्यवाही करने का ही काम किया है अपने भ्रष्टाचारीयों को हमेशा नो साल से संरक्षण देकर बचाया जा रहा है और उनको मंत्रियों के ऊँचे ऊँचे पदों पर बैठाये रखना है जैसे ब्रजभूषण खेल मन्त्री ऐसे अनेको भ्रष्ट मन्त्री है उनको भरपूर संरक्षण दे रखा हैं तो इसे कहते हैं क्या लोकतन्त्र? यह तो भ्रष्टतन्त्र हुआ एक तरफा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बताया है कि मार्च 2023 को समाप्त वित्त के दौरान बैंकों ने 2.09 लाख करोड़ रुपये (लगभग 25.50 अरब रुपये अमेरिकी डालर) से अधिक के बेड लोन माफ कर दिये है। इसके साथ ही पिछले पाँच सालों में बैंकिंग क्षेत्र द्वारा कुल ऋण राइट ऑफ़ का आंकड़ा 10.57 लाख करोड़ रूपये ( लगभग 129 अरब डालर) हो गया है। प्रमोद कुमार लाईव हिन्दुस्तान नई दिल्ली 24 जुलाई 2023 सोमवार 9ः17 एएम यह सूचना के अधिकार के तहत आरबीआई ने जानकारी दी।
बडे पैमाने पर बेड लोन माफी की वजह से बैंकों का सकल एनपीए पिछले दस साल के सबसे निचले स्तर 3.9 फीसदी पर आ गया है। बैंकों का सकल एनपीए वित्त वर्ष 2018 में 10.21 लाख करोड़ रुपये था जो मार्च 2023 तक गिरकर 5.55 लाख करोड़ रुपये हो गया था। इसकी मुख्य वजह बैंकों द्वारा बेड लोन का राइट ऑफ किया जाना है एनपीए कम करने के लिये ऋण माफी जो डिफाल्ट हो गए है। इस प्रकार गरीबों का पैसा अमीरो को देकर बैंकों की बर्बाद कर रही है सरकार जानबूझकर और सरकार ही सरकारी बैंकों का भट्टा बैठाये जा रही है। कोई कहने वाला नहीं है। संविधान द्वारा प्रदत्त लोकतन्त्र की मर्यादा को तार तार कर एक तरफा कार्यवाही के जरिये विपक्ष को डराकर पिछले नो साल से यह काम मुख्य कर रही है भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार अपने चहेतों को उपकृत करने के लिये।
अतः अबकी बार इस चुनाव में अगर इस सरकार को पुन एक बार फिर से सत्ता में लाई देश की जनता तो भारत पाकिस्तान से भी ज्यादा भीख मंगा देश हो जावेगा क्योंकि देश जो कर्जदार हो गया है उसके बारे में तो देश की जनता को कोई असलित पता ही नहीं रही है। कोरी शेखी बघार रही है। अतः देश की जनता इस छदम सरकार से सावधान होकर अपने मताधिकार का अपनी स्वयं की समझदारी और विवेक से अपने वोट का उपयोग करे लेखक की जनता जनार्दन से यह मर्मस्पर्शी और भावुक अपील है। धन्यवाद। देश की माली हालत शोचनीय हालत विदेशों को नहीं बता रही है सरकार। यह ही देश की बदकिस्मती है।
केन्द्र सरकार के मुताबिक 31 मार्च 2023 तक भारत सरकार पर 155 लाख करोड़ रूपये का कर्ज है। अगले साल मार्च तक यह बढ़कर 172 करोड़ रूपये तक पहुंच सकता है।
 
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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