‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे
से.......
✍वासुदेव मंगल की कलम
से....... ब्यावर सिटी (राज.)
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)
|
---------------------------------
26 जून 2024 को अन्तर्राष्ट्रीय नशा
मुक्ति दिवस
---------------------------------
सामयिक लेख - वासुदेव मंगल
नशा मुक्ति के विषय में प्रचार प्रसार जोर शोर से किया जाता रहा है।
लेकिन जब तक सरकार प्रभावी कार्यवाही नहीं करेगी तब तक नशे का व्यापार
फैलता ही रहेगा। सरकार की लाचारी यह है कि नशीलें पदार्थों के व्यापार
से सरकार को मोटी कमाई होती है जिससे सरकार इन जीन्सो के व्यापार पर
कठोर कार्यवाही नहीं करती।
सरकार ने विभिन्न प्रकार के नशे के सामान की बिक्री पर रोक लगा रक्खी
हैं। कई कानून भी बना रक्खे हैं परन्तु उन पदार्थों के बेचने की रोक पर
प्रभावी अमल नहीं हो पाता है जिससे इन पदार्थों का व्यापार खुले आम हो
रहा है।
आज पूरी दुनिया नशे के चंगुल में फंसी हुई हैं दूनियां का कोई भी ऐसा
देश नहीं है, जहाँ के लोगों को नशे की लत न लगी हो। भारत देश में तो यह
स्थिति ओर भी बदतर हो रही हैं यहां की बहुत बड़ी आबादी नशे की गिरफ्त
में आ चुकी है। विशेषकर युवावर्ग में बढ़ती नशाखोरी की प्रवृति समाज व
राष्ट्र के लिए बढ़ी चिन्ता का विषय है। नशे की लत के कारण बहुत से
नोजवानो का भविष्य बर्बाद हो चुका है। हमारे देश में नशा करने वाली युवा
पीढ़ी के लोग अब चरस, हेरोइन, कोकीन, अफीम जैसा खतरनाक नशा करने लगे है।
देश भर में नशे का सामान बेचने वाले माफिया पनप गए है, जो स्कूलों,
कालेजों मंे कम उम्र के नौजवानों को नशे का सामान बेचते हैं घर से बाहर
रहकर पढ़ने वाले बहुत से छात्र इन नशा माफियाओं के चंगुल में फंसकर नशे
की लत के शिकार हो जाते है। जब तक घर वालों को उनकी असलियत का पता चलता
है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
अतः नशीले पदार्थों के निवारण के लिये ही 26 जून को प्रत्येक वर्ष
अन्तर्राष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस मनाया जाता हैं इसका उद्देश्य लोगों
को नशे की बुरी आदत से छुटकारा दिलाना तथा उन्हें नशे के होने वाले
दुष्प्रभाव से बचाना है। यह अच्छी बात है कि इस दिन लोगों को नशे से
दूर रहने के लिए प्र्रेरित किया जाता है। लोगों को सचेत किया जाता है,
सावधान किया जाता है।
आज देश में कहीं से भी, कोई भी व्यक्ति नशे का कोई भी समान खरीद सकता
है। उसे ना कोई रोकने वाला है और ना कोई टोकने वाला। नशे का सामान बेचने
वाले सौदागर दिनों दिन धनवान होते जा रहे है।
नशा हर अपराध की जड़ होता हैं नशेड़ी व्यक्ति कोई भी बुरे से बुरा काम
करने से नहीं झिझकता हैं अधिकांश अपराध नशे की धून में ही किये जाते
है।
बढ़ते नशे को रोकने के लिये हमें स्वयं को भी प्रयास करने होंगे। हमें
देखना होगा कि हमारे परिवार को कोई सदस्य तो नशे की तरफ नहीं जा रहा
है। यदि ऐसा है तो समय रहते हमें उसको नियन्त्रित करना है।
ड्रग्स तस्करी आन्तरिक सुरक्षा को चुनौती:
अंकुश के तमाम प्रयासों के बावजूद देश में पांव पसारते नशे का कारोबार
बरसों से चुनौती बना हुआ हैं यह एक ऐसा नशा है जिन नशीलें पदार्थों के
सेवन से मनुष्य का जीवन बर्बाद हो जाता है। एक बार इस नशे की लत पड़ जाती
है तो यह आदत छूटती नहीं है और प्राणी जीते जी मरन्नासन रहता है। इतना
ही नहीं ऐसे मनुष्य के परिवार के सभी सदस्य नारकीय जीवन जीते रहते है।
प्रत्येक देश सरकार की मोटी कमाई का जरिया होने से सरकार इन नशे के
पदार्थों पर प्रतिबन्ध भी नहीं लगाती है।
प्रत्येक देश में इन नशे के पदार्थो का व्यापार धड़ल्ले से जारी हैं।
हाँलाकि सरकार दिसाबूटी रूप से इन पदार्थों के सेवन पर वैधानिक
विज्ञापन रूपी चेतावनी लिखकर इत्तश्री कर लेती है। ये तमाम ड्रग्स रूपी
हानिकर पदार्थ है स्वास्थ्य के लिये। यह सब जानते हुए भी दोनों तरफ से
इन पदार्थों को छाने छिपके बेचने वाले और इनका सेवन करने वाले आम
नागरिक धड़ल्लें से इनका उपभोग और उपयोग कर रहे है और सरकार भी इनसे खूब
कमाई कर रही है। चाहे किसी भी प्रकार के नशे का पदार्थ हो बेरोकटोक उनका
कारोबार जारी है।
बड़ी सुरक्षा आन्तरिक है क्योंकि इसकी चुनौती इस कद्र से पड़ रही है कि
नशे के कारोबारियों के तार विदेशों से भी जुडे़ है।
डराने वाली तस्करी यह भी है कि सुरक्षा एजेन्सियों ड्रग्स तस्करों की
जितनी तेजी से धड़पकड़ करती है, उससे कहीं अधिक तेज रफ्तार से वे ड्रग्स
की सप्लाई के नये तरीके खोज लेते है।
हाल ही में नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने इस देशभर में फैले
ऐसे ड्रग्स सिंडीकेट का खुलासा किया है। जो ड्रार्कनेट, क्रिप्टो
करैन्सी और फोरेन पोस्ट ऑफिस के जरिये नशे का कारोबार चला रहे थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि नशीली दवा के सेवन से गम्भीर स्वास्थ्य
समस्याएँ पैदा हो सकती है।
डार्कनेट ड्रग्स तस्करी का सबसे मुफीद तरीका है। गुमनामी और कम जोखिम
के कारण इसे टेªस करना मुश्किल होता है।
क्रिप्टोकरेन्सी भूगतान और डोर स्टोर डिलीवरी ने डार्कनेट लेन देन को
सरल और आसान बना दिया है। बडी चिन्ता इस बात की है कि ड्रग्स तस्कर
लगातार हाईटेक हो रहे है। आँकडे बताते है कि सीमा पर के तस्करों ने
पंजाब और कश्मीर मेें ड्रोन के माध्यम से नशीली दवाओं और की आपूति करने
जैसी नई तकनीकों को अपनाया है। करोना महामारी के बाद परिवहन साधनों पर
लगाए गए प्रतिबन्धों के बाद मादक पदार्थों के तस्करों ने कूरियर या डाक
माध्यमों के जरिए इसका तोड निकाल लिया है।
देश में ड्रग्स के काले कारोबार की कमर तोड़ने के लिए केन्द्र सरकार की
मुहिम के अपेक्षित परिणाम भी सामने आए है। लेकिन ड्रग्स तस्करी के बदलते
तरीकों के कारण इसका नेटवर्क पूरी तरह से घ्वस्त नहीं हो पाया है।
तस्करों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरों (एवसीबी)
जैसी सरकारी एजेन्सियों को अधिक हाइटेक और चौकन्न रहकर काम करने की
जरूरत है।
|
|
|