E-mail : vasudeomangal@gmail.com 

‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

भारत में सूचना तकनिक क्रान्ति के अग्रदूत
20 अगस्त 2023 को राजीव गाँधी, पूर्व प्रधानमन्त्री की
उनीयाँसीवी साल गिरह व अस्सीवें जन्म दिन पर विशेष

आलेख: वासुदेव मंगल
राजीव गाँधी मोतीलाल नेहरू के प्रदोहित्र, जवाहरलाल-कमला नेहरू के दोहित्र, फिरोज गांधी इन्दिरा गाँधी के पुत्र थे। राजीव का जन्म 20 अगस्त सन् 1944 को बम्बई में हुआ था। राजीव लेखक से चालीस दिन बड़े थे। राजीव के छोटे भाई संजय गाँधी थे।
राजीव का लालन पालन इलाहाबाद में गंगा के सँगम पर स्थित आनन्द भवन में ही हुआ। आनन्द भवन जवाहर लाल नेहरू की निज का भवन था। पण्डित नेहरू, यहाँ रहते हुए राजनैतिक गतिविधियाँ संचालित करते थे। हाल ही में आनन्द भवन को नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमन्त्री संग्रहालय का नाम दिया है। फिरोज गांधी के साथ इन्दिरा प्रियदर्शनी का विवाह हुआ था। जहाँ तक राजस्थान प्रदेश की राजनीति का सवाल है तो 9 जुलाई सन् 1971 मे बरकत तुल्ला खान जो फिरोज के दोस्त थे, को लन्दन से बुलाकर ईन्दु भाभी ने ही राजस्थान का मुख्य मन्त्री बनाया था। बरकत मोहनलाल सुखाडिया मन्त्री मण्डल में रह चुके थे। 1967 मे इन्दिरा गांधी के तत्कालिन कांग्रेस से मतभेद हो जाने के बाद ही कांग्रेस दो भाग में बटीं।
इन्दिरा कॉंग्रेस और सिण्डीकेट कॉंग्रेस। इन्दिरा ने ही बराहगिरी वेंकट गिरी को राष्ट्रपति बनाया बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, राजाओं का प्रिवीपर्स समाप्त किया और 1971 में पाकिस्तान से जीत हासिल कर पूर्वी पाकिस्तान को बँगला देश बनाया। अतः 1971 में ही सुखाड़िया से मतभेद होने के कारण 1954 से राजस्थान के चले आ रहे मुख्यमंत्री पद से हटाकर 9 जुलाई 1971 को साढ़े सत्रह साल बाद बरकत खान को राजस्थान की बागडोर सम्भलाई।
राजीव भी कैम्ब्रिज मे मेकेनिकल इंजिनियर की पढ़ाई कर रहे थे। कैम्ब्रिज में ही राजीव की मुलाकात इतालवी सोनिया मैनो से हुई। 1968 मे दिल्ली मे उन्होंनें शादी करली।
राजीव की राजनीति मे केरियर बनाने की कोई रुचि नहीं थीं। हवाई उडान राजीव का सबसे बड़ा जुनून था। जल्द ही वे इण्डियन एयर लाइंस के पायलट बन गए। राजीव और सोनिया अपने दोनों बच्चों और प्रियंका के साथ नई दिल्ली मे श्रीमती इन्दिरा गाँधी के निवास पर रहे।
वे अपना नीजि जीवन जी रहे थे। लेकिन सन् 1980 मे संजय गाँधी की विमान दुर्घटना में हुई मौत ने सारी परिस्थितिया बदलकर रखी उन्होंने अपने भाई की मृत्यु के कारण खाली हुए उत्तर प्रदेश के अमेठी संसद क्षेत्र से उपचुनाव जीता। नवम्बर 1982 में भारत में एशियाई खेलों की मेजवानी के लिये राजीव गाँधी ने दक्षता एवं निर्बाध समन्वय का प्रदर्शन करते हुए इस चुनौतीपूर्ण कार्य को सम्पन्न किया। इसके साथ ही कांग्रेस के महासचिव के रूप में पार्टी सँगठन को व्यवस्थित एवं सक्रिय किया।
श्री गांधी से ज्यादा दुखद एवं कष्टकर परिस्थिति में कोई सत्ता में क्या आ सकता है जब 31 अक्टूबर 1984 को अपनी माँ की क्रूर हत्या के बाद वे काँग्रेस अध्यक्ष एवं देश के प्रधान मन्त्री बने थे। लेकिन व्यक्तिगत रूप से इतने दुखी होने के बावजूद उन्होंने संतुलन, मर्यादा एवं संयम के साथ राष्ट्रीय जिम्मेदारी का अच्छे से निर्वहन किया। उस समय वे मात्र चालीस वर्ष की उम्र में भारत के युवा प्रधानमंत्री बने।
महीने भर के लम्बे चुनाव अभियान के दौरान श्री गाँधी ने पृथ्वी की परिधि के डेढ़ गुना के बराबर दूरी की यात्रा करते हुए, देश के लगभग सभी भागों में जाकर दो सो पचास से अधिक सभाएँ की एवं लाखों लोगों से आमने-सामने मिले।
स्वभाव से गम्भीर लेकिन आधुनिक सोच एवं निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता वाले श्री राजीव गाँधी देश को दुनियाँ की उच्च तकनीकों से पूर्ण करना चाहते थे और जैसा कि वे बार बार कहते थे कि भारत की एकता के बनाये रखने के उद्देश्य के अलावा उनके अन्य प्रमुख उद्देश्यों में से एक है - इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण।
भारत मे कम्प्यूटर तकनीक लाने वाले वे पहीले व्यक्ति थे जिससे देश विश्व के अग्रणी देशों मे शुमार हुआ। वे तो पुनः प्रधान मन्त्री होते देश के यदि आत्मघाती धनु नाम की स्त्री श्री पेरम्बदूर चुनावी सभा में मंच पर आत्मघात करके उनकी क्रर हत्या न करदी होती तो।
हुआ यह कि 1989 के केन्द्र में लोक सभा के आम चुनाव में गैर कांग्रेसी सरकार सत्ता में एक बार पुनः आयी गठबन्धन की सरकार। परन्तु घटक दलों में सत्ता की भागीदारी के लिए आपसी फूट के कारण सरकार गिर गई। अतः देश मे मण्डल कमण्डल और मन्दिर मस्जिद के आपसी मुद्दो में खींचतान के कारण एक बारगी राष्ट्रपति शासन के तहत मध्यावधि चुनाव लोकसभा के 1991 में घोषणा करनी पड़ी। 1991 की 21 मई को चुनावी सभा के सिलसिले में राजीव गाँधी तमिलनाड के श्रीपेरम्बदूर शहर मे चुनावी सभा को सम्बोधित करने हेतु मन्च पर चढ़े तो उस मन्च पर लिट्टे की कार्यकर्ता ने आत्मघात कर मन्च को उड़ा दिया जिसमें राजीव गाँधी शहीद हो गए।
हालाँकि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी पुनः सत्ता में आई जिसके प्रधान मन्त्री नरसिम्हा राव बने ।
राजीव गाँधी राष्ट्र विरोधी ताकतों के शिकार हुए। तब से देश में राष्ट्रीय पार्टियों का ध्रुवीकरण शुरू हुआ जो अभी तक रुक नहीं रहा है।
आज देश अधिनायकवाद की ओर अग्रसर है। देश का राजनैतिक भविष्य खतरे में है। समय रहते अगर विपक्ष अपने स्वार्थपरत गिले शिकवे भुलाकर एक नही हुआतो आज़ादी की अक्षुणनता पर प्रश्न चिह्न लगा है। देश का भविष्य गर्त में है।
आज राजीव की उनयासीवीं सालगिरह और अस्सीवें जन्म दिन पर लेखक का उनको शत् शत् नमन। उम्मीद है देश उनके सपनों का भारत बनेगा। उनका सपना था देश का स्वामिमान। उनका सपना या देश विज्ञान और टेक्नोलाजी मे विश्व का मार्गदर्शन करे।
 
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
Follow me on Twitter - https://twitter.com/@vasudeomangal
Facebook Page- https://www.facebook.com/vasudeo.mangal
Blog- https://vasudeomangal.blogspot.com

E mail : praveemangal2012@gmail.com 

Copyright 2002 beawarhistory.com All Rights Reserved