E-mail : vasudeomangal@gmail.com 

‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  ब्यावर सिटी (राज.)
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

ब्यावर जिले का वैभव
आलेख: वासुदेव मंगल, स्वतन्त्र लेखक, ब्यावर
ब्यावर का इतिहास तीन सौ साल पुराना है। ब्यावर अतीत में मेरवाड - स्टेट के नाम से जाना जाता रहा है जहाँ पर मेर जाति निवास करती आ रही है जो बनवासी (ट्राईवाल) है। इसमें रावत और मेरात साम्मिलित है। आदिवासी है। 1723 से 1823 तक इसने दस लड़ाईयाँ लड़ी। मेरवाड़ा स्टेट ‘‘बफर स्टेट’’ मेवाड और मारवाड़ देशी रियासतों का मिलाजुला रूप है जिसको उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध मैं सन् 1836 में अंग्रेज सैन्य अधिकारी कर्नल चार्ल्स जॉर्ज डिक्सन ने नये नगर को ब्यावर का नाम देकर मेवाड़ व मारवाड़ के कुछ राजस्व गाँवों को लीज पर लेकर अपने विजित राजस्व गाँवों के साथ मेरवाड़ा बफर स्टेट नाम देकर स्टेट बनाया था जिसमे इस स्टेट की रियासतों के नागरिकों का स्वतन्त्र निर्बाध निवास स्थान था। मेरवाड़ा स्टेट के उत्तर में अजमेर एक अलग अंग्रेजी रियासत भी विद्यमान थी। लीज अवधि की समाप्ति पर बफर स्टेट की आबूरोड़ तहसील को सिरोही जिले में भीम को उदयपुर जिले में और बदनोर तहसील को भीलवाड़ा जिले में मिला दिया गया जिससे मेरवाड़ा स्टेट का बफर आकार समाप्त हो गया। इस कारण इस स्टेट को अजमेर स्टेट के साथ जोड़ने से यह अजमेर मेरवाड़ा स्टेट हो गया। इस अजमेर राज्य का स्वतन्त्र पैटर्न था अतः मेरवाड़ा अर्थात् ब्यावर इस राज्य का 30 अक्टूबर 1956 तक जिला बना रहा। 1 नवम्बर 1956 को समझौते के विरुद्ध जाकर राजस्थान सरकार ने ब्यावर को राजस्थान का जिला न बनाकर सब डिविजन बना दिया था जिसकी पूर्ति सड़सठ साल बाद में सन् 2023 में की है। अब 2023 में ब्यावर को जिले का स्वरूप दिया है।
मेरवाड़ा स्टेट 1938 की सात तहसीलों के ब्यावर से जैतारण, रायपुर, ब्यावर, मसूदा, विजयनगर, बदनोर, भीम की बार उप तहसील व टाटगढ़ तहसील के राजस्व गाँवों के साथ छ उपखण्ड, पन्द्रह थाने, लगभग 10-12 लाख की आबादी के साथ ब्यावर को जिले का आकार दिया गया है। इतना ही करीब पशुधन है।
खनिज सम्पदा की दृष्टि से यह जिला अत्यन्त समृद्धशाली विकसित जिला हो सकता हे भविष्य में राजस्थान में ही नहीं अपित भारत में। आवश्यकता है केन्द्र व राज्य दोनों सरकारों को इसकी अहमियत समझते हुए विकास के डबल इंजन के पंख लगाने होगें। रेलमन्त्री अश्विनजी को पैसेन्जर व फ्रेट फेयर की इन्कम की ग्रोथ को ध्यान में रखते हुए ब्यावर जिले का द्रुत गति से विकास करना है। यहाँ पर जिप्सम खनिज् व फेल्स पार लाईमस्टोन का अपूर्व भण्डार है जहाँ पर सिमेण्ट उद्योग के पांच मेजर प्लाण्ट के साथ साथ टाईल्स उद्योग के सिरेमिक प्लाण्ट्स लगाये जा सकते है। चूंकि ब्यावर रोड़ व रेल्वे के ट्रेफिक रूट्स का सेण्ट्रल पाइण्ट होने की वजह से रेवेन्यु का भारी सोर्स हैं। केन्द्र व राज्य दोनों सरकारों को अभुतपूर्व राजस्व प्राप्त हो सकता है बशर्ते इसे जयपुर, भीलवाड़ा, जोधपुर के साथ साथ दिल्ली, अहमदाबाद, बम्बई, इन्दौर शहरों की कनेक्टिविटी के लिये ब्यावर का स्टेशन विशाल आधुनिक सुविधाओं से युक्त जंक्शन व यार्ड बनाया जाना अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त यहाँ के दक्षिण पश्चिम व पूरब की पहाड़ियों में अभूतपूर्व ग्रेनाइट स्टोन दबा भरा पड़ा है जिसके दोहन की आवश्यकता है निकट भविष्य में। अतः ब्यावर सिमेण्ट, टाईल्स उद्योग के साथ साथ ग्रेनाईट प्रिसीयस स्टोन का ग्रेट हब मार्केट बन सकता है। ब्यावर की पृष्ठभूमि में वूल, कॉटन, बेजिटेबल (सब्जी जिसमें फूल गोभी, लाल टमाटर, हरी लाल मिर्च, मटर की अभूतपूर्व पैदावार होती है जिससे ग्रेन न वेजिटेबिल की मण्डी का विशाल मार्केट भी बनाया जा सकता है। आवश्यकता है ईमानदारी से राज्य एवं केन्द्रिय सरकार को इस काम में भरपूर कन्धे से कन्धा मिलाकर सहयोग मेहनत करने की है। कोई काम भी असम्भव नहीं है यदि सोचा हुआ काम करने की तीव्र भावना मन में हो तब ही अब भी अतीत का ब्यावर सोने की चिड़िया बन सकती है। अंग्रेजों ने भी मगरे-मेवाड़ के विकास की तरफ ध्यान नहीं दिया। इसी प्रकार मारवाड मरु प्रदेश की तरफ भी ध्यान नहीं दिया जहाँ पर विकास की अथाह भरपूर सम्भावना है जहां पर खनिज पदार्थों के दोहन की विपुल सम्भावना है। अंग्रेज तो इसलिये विकास नहीं कर सके कारण राजपूतान में जागीरदारी प्रथा कायम रही इसलिए। परन्तु आश्चर्य तो तब हो रहा है कि हमारी स्वयं की सरकारें भी स्वतन्त्रता के पिचेतर- छियेत्तर वर्ष योहीं निकाल दिये। आजादी के इस कीमती समय में अब तक तो ब्यावर ग्लोबल मार्केट कभी का ही बन चुका होता इन जिन्सों का जैसे सिमेण्ट, सिरेमिक, पोट्रेट, टाईल्स् ग्रेनाइट स्टोन आदि आदि।
श्रीमानजी, लेखक तो, आपको कन्स्ट्रक्टिव आईडिया दे सकता है डेवलपमेण्ट्स का। परन्तु विकास तो आपको करना है अगर विकास करने की भावना आपके मन में जाग्रत हो तो दीया कुमारीजी ने इस क्षेत्र के सांसद रहते हुए व्यक्तिगत दिलचस्पी लेकर सर्वांगीण विकास किया है मेवाड़ राजसमन्द का मारवाड़ ब्यावर मगरा मेरवाड़ा के साथ साथ। अतः दीया कुमारीजी वास्तव में लेखक की नजरों में हकीकत में एक जनसेवक है धन्यवाद की पात्र है। सच्चे मायने में उनके दिल में राजस्थान की शोषित प्रजा के उत्थान के प्रति सच्ची लगन है। इसी भावना के साथ अब दीया कुमरी जी उप मुख्य मन्त्री रहते हुए इस क्षेत्र के अधूरे कार्य को तत्परता से पूर्ण करेगी ऐसी उनसे लेखक को अपेक्षा है। वास्तव में दीया कुमारीजी ने मारवाड़ मेरवाड को मेरवाड़ा अर्थात् ब्यावर विधानसभा को सेतु के रूप मे जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य किया है राजस्थान राजसमन्द की सांसद रहते हुए क्योंकि राजसमन्द संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभायों में से मेरवाड़ा की विधान सभा ब्यावर की मारवाड़ की मेड़ता, जैतारण, बाली मेवाड़ की भीम, राजसमन्द, कुम्भलगढ़, नाथद्वारा आती है जिसमे ब्यावर उदयपुर राष्ट्रीय मार्ग संख्या आठ का पहाड़ी ईलाके का सर्वागीण विकास साथ में देवगढ़ विधानसभा के रोड़, रेल मार्गों के ट्रैफिक का विकास जो कमी नहीं हो पाया था जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारीजी ने करके दिखाया। बहुत बड़ी बात है इस ईलाके के विकास के लिये।
28.01.2024
 
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
Follow me on Twitter - https://twitter.com/@vasudeomangal
Facebook Page- https://www.facebook.com/vasudeo.mangal
Blog- https://vasudeomangal.blogspot.com

E mail : praveemangal2012@gmail.com 

Copyright 2002 beawarhistory.com All Rights Reserved