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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  ब्यावर सिटी (राज.)
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

ब्यावर जिले के विकास का सोपान
विचारकः वासुदेव मंगल
अजमेर, मेरवाड़ा से जुड़ी हुई 10 विधान सभाओं का विकाश भारत की स्वतन्त्रता से ही 76 साल से अवरुद्ध हैः- भारत सरकार अमृत महोत्सव मना रही है। इस ईलाके में किसका?
इस ज्वलन्त प्रश्न का सटीक उत्तर है - स्वतन्त्रता के पश्चात् विकास के अवरुद्ध का अमृत महोउत्सव हुआ यह तो - विकास का नहीं हुआ अजमेर मेरवाड़ा में। इस क्षेत्र में तो मर्केण्टाईल डबलोपमेण्ट रोका गया जिस व्यापार का विकास स्वतन्त्रता से पहले इस अजमेर मेरवाड़ा प्रदेश में हुआ था, उसको समूल नष्ट कर दिया गया मेरवाड़ा स्टेट से भारत की स्वतन्त्रता के साथ छियेत्तर सालों में।
जिस ब्यावर सिटी में एक सो सैंतालिस वर्ष पहले रेल सेवा सन् 1876 ई0 में आरम्भ हो गई थीं उसकी समस्त पेसेन्जर ट्रेन व गुड्स ट्रेन दोनों की उपयोगिता ब्यावर से भारत की स्वतन्त्रता के साथ नष्ट कर दी गई ऊन, रुई बुलियन और ग्रेन ट्रेड का महत्व प्रायः ब्यावर से समाप्त कर दिया गया। कैसा विकास किया है इन पिचेत्तर सालों में हमारे चुने हुए कर्णधारों द्वारा, जनता के सेवकों द्वारा, जनता के ट्रस्टियों के द्वारा धन्य हो मेरा भारत महान और धन्य हो स्वतन्त्र भारत की राजशाही को।
क्या इसे ही विकास कहते हैं? इस प्रश्न का जबाब हमारे स्वतन्त्र भारत की केन्द्रिय और राज्य सरकार दोनों को ही पिछले छियेत्तर वर्षों में इस क्षेत्र के ब्यौरेवार विकास किये गए विकास का देना होगा इस क्षेत्र का एक जागरूक नागरिक इसका उत्तर माँग रहा है।
प्रश्न यह है कि आप विकास कर नहीं सके तो इन छियेत्तर वर्षों में अतीत में किये हुए व्यापारिक विकास को हमारी सरकारों ने पिछले छियेत्तर वर्ष में नष्ट क्यों किया? इस बात का उत्तर यह नागरिक आपसे इस क्षेत्र की स्वतन्त्रता से लेकर उत्तरवर्ती केन्द्र की और राजस्थान राज्य की पन्द्रह, सोलह सरकारों से माँग रहा है। क्या इनके पास इस प्रश्न का जबाब है कृपया बताएँ ।
मैं बताता हूँ। आपने अजमेर मेरवाड़ा जिसका व्यापार में 1947 के पहीले स्वतन्त्र अस्तित्व था को समूल नष्ट कर दिया मेरवाड़ा स्टेट से। अजमेर तो धार्मिक नगर थी। ब्यावर एक मात्र सिटी था जिसकी व्यापारिक पहचान थी।
आपने स्वतन्त्रता के बाद अजमेर मेरवाड़ा स्टेट को पूरी तरह से दस विधान सभाओं में बाँट दिया। क्रमशः किशनगढ़, अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, नसीराबाद, पुष्कर, ब्यावर, केकड़ी, मसूदा, बदनौर, आसीन्द और भीम-देवगढ़।
आपने इस अजमेर मेरवाड़ा के क्षेत्र का सम्पूर्ण विकास स्वतन्त्रता के बाद से रोक दिया था। कारण स्पष्ट है कि यह ईलाका अंग्रेजों द्वारा शासित ईलाका रहा। अतएव इसी कारण आपने जानबूझकर इस क्षेत्र का विकास नहीं किया। दोनों केन्द्र और राजस्थान प्रदेश की सरकारों का असली मन्तव्य रुझान उदासीन रहा अजमेर मेरवाड़ा प्रदेश को राजस्थान स्टेट में 1956 के 1 नवम्बर को आज के सड़सठ साल पहीले मिलाये जाने के बाद भी दोनों सकारों की यह ही सोच रही।
आज आप ब्यावर की उसी धरोहर रेलवे स्टेशन को तोडकर जीर्णोद्वार कर रहे हो। आपको दोनों सरकारों को पिछले छियेत्तर वर्षों से सोचना चाहिये पन्द्रह-सोलह-सत्रह सरकारों को केन्द्र और राज्य की सरकारों को कि क्यों विकास के इस सेतु को आपने क्यों ढहा दिया क्या अंग्रेजी सरकार ने यह विकास किया था जिसको आपने बदले की भावना से बर्बाद कर दिया। बस यह ही किया आपने और आप कर भी क्या सकते थे? अरे उस जमाने में तिजारत के आवागमन के सड़क और रेल मार्गों का तो किंचित विकास ब्यावर-अजमेर-दिल्ली-अहमदाबाद-बम्बई मार्ग पर ही हुआ था उस जमाने में। उस जमाने में मद्रास, कलकत्ता का तो नामों निशान ही नहीं था। राजपूताना में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, सुमेरपुर, पाली, किशनगढ़, भीलवाड़ा, कोटा का तो नामो निशान ही नहीं था दूर-दूर तक। मात्र पंजाब में फाजिल्का और राजपूताना में ब्यावर दो ही व्यापार की राष्ट्रीय स्तर की मण्डियाँ थी उस जमाने में। 1838 ई0 में आज के ठीक 185 साल पहिले ब्यावर सिटी सेठाणां शहर था जहाँ पर लोग दिसावर से कमाने के लिये आते थे। तो यह रुतबा था ब्यावर मेरवाड़ा स्टेट का उस जमाने में एक सो पिच्यासी साल पहिले ब्यावर शहर का, नया नगर का।
अब भगवान ने अशोक गहलोत सरकार को सद्बुद्धि दी कि हैट्रिक लगाने के बाद उन्होंने ब्यावर के अन्तर्राष्ट्रीय ऊन-रूई के व्यापार की मण्डी को पुनः एक बार चौका या फिर आने वाली सरकार अजमेर जिले को तीन जिलों में बदलकर अजमेर, ब्यावर और केकडी कर इन दस विधान सभाओं का समग्र और सघन विकास करेंगे ऐसी आपसे अपेक्षा है। ज्यादा लिखना बेकार है। समय के अनुसार उद्योग का और व्यापार का और रेल का ब्यावर स्टेशन जंक्शन बने आदि। सिरेमिक हब बने साथ ही ब्लेक ग्रेनाइट का हब बने। इस प्रकार ब्यावर के अतीत के विकास को पुनः स्थापित करेगें। इसी अपेक्षा के साथ।
ब्यावर का जागरूक नागरिक - वासुदेव मंगल
30.11.2023
 
 
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
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