7 जून 2023 विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस
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सामयिक लेख - वासुदेव मंगल
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शुरूआत 1960 के दशक में हुई।
सन् 1992 ईसवी में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (रिवाईज्ड पब्लिक
डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) आर पी डी एस लागू की गई। तब प्रति कार्ड 20 किलो
तक राशन मिलता था।
सन् 2013 में खाद्य सुरक्षा नियम लागू हुआ। संसद ने खाद्य सामग्री का
नियमन करने और भाव उपभोग के लिये सुरक्षित व पौष्टि भोजन की उपलब्धता
सुनिश्चित करने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक (एफ एस एस) फुड सेफ्टी
स्टेण्डर्ड अधिनियम 2006 लागू किया था। अधिनियम के अनुसार खाद्य सुरक्षा
का अर्थ है यह सुनिश्चित करना कि खाद्य सामग्री मानव उपयोग के लिये
स्वीकार्य हैं असुरक्षित खाद्य सामग्री वह खाद्य सामग्री है, जिसकी
प्रकृति या गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। असुरक्षित
खाद्य को अच्छा दिखाने के लिए रंगीन, सुगन्धित या कोटेड बनाकर प्रस्तुत
किया जा सकता हैं बिक्री बढ़ाने के लिए भी ऐसा किया जाता है। यू पी
खाद्य पदार्थ यूनीफाइड पेक्ड फूड असुरक्षित फूड की श्रेणी में आते है।
यू पी एफ यानि अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ उन सामग्रीयों से बने होते
हैं, जो अधिकतर सिर्फ औद्योगिक उपयोग के लिए बने होते हैं। इन्हें
तैयार करने में ओद्यौगिक तकनीक और प्रक्रिया का इस्तेमाल होता है।
ये पदार्थ एक तरह से एडीटिव, फ्लेवर, इमल्सीफायर और रंगों का काकटेल
होते है। इन्हें खाने की आदत पड़ जाती है तो हम, धीरे-धीरे स्वास्थ्यकर
खाना खाना छोड़ देते है। यू पी एफ में शर्करा, वसा और नमक। सोडियम की
मात्रा अधिक होती है।
यू पी एफ पदार्थों के सेवन से कैंसर, हृदयरोग, अवसाद और अन्य कई
बिमारियों का खतरा रहता है।
किसी भी ऐसे पदार्थ का विज्ञापन नहीं करना चाहिये जो भ्रामक हो, या धोखा
देने वाला हो या फिर एस एस एफ 2006 के अधिनियम 2019 की धारा2 (28) के
अनुसार किसी उत्पाद या सेवा के भ्रामक विज्ञापन से तात्पर्य है कि इसमें
जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी मीठे
खाघ पदार्थ के विज्ञापन में इसके कुल शर्करा घटक की जानकारी नहीं है,
तो यह विज्ञापन भ्रामक कहलायेगा।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या ये नियमन प्रभावी है? नहीं। नियमन तन्त्र
शिकायत पर आधारित है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफ एस ए आई) ने कथित तौर पर
150 से ज्यादा विज्ञापन भ्रामक पाये है और उन्हें निर्णय के लिए एक
समिति को सौंप दिया हैं इस बीच खाद्य कम्पनियाँ लोगों के स्वास्थ्य की
कीमत पर पैसा कमा रही हैं इसीलिए मौजूदा नियमन की समीक्षा भारतीय जनता
के हित में है। नीति निर्माताओं को सुनिश्चित करना होगा कि भारतवासी
स्वास्थ्यकर भोजन का सेवन करे।
असुरक्षित भोजन का विज्ञापन रोकने के लिए तीन कदम उठाने होंगे :-
पहला : आवश्यकता स्वास्थ्य चेतावनी जारी हो।
दूसरा : भारत सरकार ऐसे खाद्य पदार्थों के विज्ञान, अन्य प्रोत्साहनों
पर प्रतिबन्ध लगा सकती है।
तीसरा : ऐसे खाद्य पदार्थों पर उच्चत्तम जी एस टी लगा दिया जाय।
दक्षिणी अफ्रीका की सरकार ने इसी तरह के नियमन का प्रावधान किया है।
निसन्देह, भारत के लिए यह उदाहरण हो सकता है।
निसन्देह हम ऐसा करके, हम कई जानें बचा सकेंगें।
साथ ही गैर संचारी रोगों पर खर्च होने वाला पैसा बचा सकते हैं।
भारत में भी वर्तमान में 142 करोड़ देशवासियों को कैलोरीयुक्त भरपेट
भोजन मिल सके तब ही सरकार का शासन सार्थक हो सकेगा अन्यथा कदापि नहीं
सरकार की पहली जिम्मवारी सभी देशवासियों को भोजन उपलब्ध कराने की है।
ऐसा नहीं करती है तो सरकार फैल है। |