‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे
से.......
✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)
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8 जून 2023 को विश्व ब्रेन टयूमर
दिवस
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सामयिक लेख - वासुदेव मंगल
बड़ी हास्यासप्रद बात है टयूमर अर्थात् गाँठ वह भी मस्तिष्क में। आपने
अतीत में कभी ऐसा नाम सुना हैं पिछली सदी के पचास का दशक ही ले लो। उस
समय तक भी मानव स्वास्थ्य के प्रति ऐसी कोई बिमारी नहीं थी। ज्यों ज्यों
विज्ञान द्वारा विलासिता के जीवन यापन सम्बन्धी आविष्कार होते गए इस
बिमारी ने भी अपने पैर पसारना आरम्भ कर दिया।
जहाँ तक टेलीफोन के आविष्कार की बात है वहाँ तक तो ठीक ठाक ही चल रहा
था। अस्सी के दशक तक भी ऐसी कोई बात नहीं थी। बीसवीं सदी के समाप्त होते
होते और इक्कीसवी सदी के आरम्भ में जब से मोबाईल फोन ईजाद हुआ इसकी
दुनियां में बाढ़ सी आ गई। हर किसी व्यक्ति द्वारा मोबाईल फोन रखना
प्राय फैशन बन गया।
अब तो हाल यह हो गया मोबाईल फोन हर व्यक्ति के लिए एक खिलौना हो गया।
व्यक्ति विशेष मोबाईल फोन के चिपकसा गया हैं चौबिसों घण्टे मोबाईल फोन
में व्यस्त रहता है।
सरकार भी इससे तगड़ी कमाई के चक्कर में इसको प्रोत्साहन दिये जा रही है।
दिन प्रतिदिन इस प्रणाली के अपडेट प्रोसीजर को लागू बेरोकटोक किये जा
रही है। यह तो हुई प्रस्तावना।
हमारा विषय है ब्रेन टयूमर कैसे पनपता हैं? इसके होने का मूल कारण क्या
है? इस समय मुख्य रूप से ब्रेन टयूमर (दिमाग की गाँठ) कैसे विकसित होती
है? इस बिमारी की संभावना हवा में फैले रेडियेशन एक्सरे एवं मोबाईन का
अधिक उपयोग करने से हो सकती है।
आजकल शहरों में ही नहीं अपित् गांवों में भी मोबाईल टेलीफोन टावरों की
भरमार है। कदम कदम पर थोड़ी दूरी पर। नागरिक बस्तीयों में लोंगों के घरों
की छतों पर मोबाईल टावर लगे हुए है। इन मोबाईल टॉवरों से 4जी ही नहीं
अपित् 5जी और 6जी फ्रीक्वैन्सी वाले स्पैक्ट्रम के टॉवर से लगातार
रेडियेसन किरणें हवा में प्रवाहित होती रहती है।
ये रेडियेशन की किरणे सीधी सीधी हमारे दिल और दिमाग की कोशिकाओं पर सीधा
असर करती है। परिणाम यह होता है या तो दिल की बिमारी या फिर दिमागी
बिमारी व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले लेती है।
अतः यह बिमारी इक्कीसवीं सदी के आरम्भ से ज्यों ज्यों मोबाईल फोन का
चलन बढ़ता गया और शहरों में बस्तियों में मोबाईल टावर लगाये जाने का
प्रचलन बढ़ता गया उसी अनुपात में बढ़ रही हैं अब तो शहरों में मोबाईल
टावरों की बाढ़ सी आ गई है।
चौबिसों घण्टे रेडियेशन की किरणों का हवा में ध्वनि प्रसारण होता रहता
है। यह रेडियेशन ध्वनि का असर सिधे-सीधे हमारे दिमाग पर होता है और
प्राणी ब्रेन टूयूमर या फिर कैन्सर बिमारी की चपेट में आ जाता है।
आज तो यह हाल हो गया कि रिहायशी बस्तियों में घरों में रहना मनुष्य का
दूभर हो गया है।
चौबिसों घण्टे, मकान की छतों पर लगाये गए अवैधानिक मोबाईल टावरों से
निकलने वाली रेड़ियेशन की ध्वनि तरंगों से रहना दूभर हो गया। रेड़ियेशन
तरंगें हवा के जरिये लगातार दिमाग में असर पैदा करती रहती हैं अतः
स्थानीय सरकार को रेजिडेन्सियल स्टेट अर्थात् रिहायशी बस्तियों में
लगाये गए मोबाईल टावरों को तुरन्त प्रभाव से हटाया जाना चाहिये।
नहीं तो दिन पर दिन यह बिमारी जन साधारण में अपना उग्र रूप धारण कर लेगी
फिर इस पर नियन्त्रण करना मुश्किल हो जोयगा।
अतः समय रहते सरकार को सजग होने में ही फायदा है। अब भी समय है मौका है
इस रोग पर काबू पाया जा सकता है।
सिर की हड्डी एवं दिमाग में किसी भी तरह की गांठ को ब्रेन टयूमर कहते
है। यह बिमारी कोशिकाओं के अनियन्त्रित विकसित होने से होती है। टयूमर
को आमतौर पर कैन्सर से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन हर टयूमर कैन्सर नहीं
होता। ब्रेनटयूमर किसी भी उम्र में हो सकता है।
इस बिमारी का मुख्य लक्षण सिर दर्द होता है। शरीर के किसी भाग में लकवा
आना और दौरे आना। आंखों से धुन्धला दिखाई देना और बोलने में परेशानी हो
सकती है। चलते-चलते अचानक लड़खड़ाना व थकान महसूस करना। मांशपेशियों में
ऐंठन होना।
रेडियेशन तरंगों से सुनने की क्रिया लगातार प्रभावित होती है जिससे
सुनाई देने में बहरापन आ जाता है। बच्चों की पढाई पर सीधा बुरा असर होता
है। रेडियेशन की तरंगों से डिस्ट्रबंशन होता है। जिससे सीधे सीधे पढ़ाई
में व्यवधान होता है। एकाग्रचित्तता में सीधे तौर पर असर डालती है
रेडियो तरंगे। अतः इस बिमारी से बचाव के लिये बस्ती में चौबिस घण्टे
रेड़ियो तरंगों के हवा में प्रवाहित होने से बचाव करना अत्यन्त जरूरी
है। इसकी घवनि से बायोब्रेशन होता हैं कम्पन्न के बचाव से मोबाई टॉवर
बस्ती से दूर लगाये जाने चाहिये।
सरकार के लिये प्रजा का स्वास्थ्य पहले (प्राथमिक) हैं मोबाईल टावर से
की जाने वाली कमाई बाद में।
जनता ही जीवित नहीं रहेगी तो सरकार कमाई किससे करेगी। अतः जन साधारण को
स्वस्थ्प्रद रखना सरकार की प्राथमिक जिम्मवारी है।
आज विश्व मस्तिष्क टयूमर दिवस पर सरकार को ब्यावर के अमृतकौर राजकीय
अस्पताल में जहाँ पर रोजाना करीब लगभग दो हजार के आउटडोर पेशेन्ट वाले
अस्पताल में न्यूरो सर्जन या फिजिशियन का पद तत्काल प्रभाव से सृजित
करना चाहिये।
ब्यावर के आस पास चार सौ गाँवों का अस्पताल अमृतकौर है जहाँ पर यह
सुविधा व्यवस्था तुरन्त होनी चाहिये जबकि मोबाईल टॉवरों की इस क्षेत्र
में भरमार है। ब्यावर के आस-पास समस्त एरिया मोबाईल टॉवरों से अटा पड़ा
है।
मोबाईल टावरों को भी एक निश्चित स्थान पर ही लगाना चाहिये। यह नहीं कि
चाहे कहीं पर भी मोबाईल टावर लगा दिया जाता है जिसका बुरा असर जनता के
स्वास्थ्य पर सीधा पड़ता है।
अतः मौहल्लों में घरों पर या फिर गलियों में बेतरतीब लगाये गए मोबाईल
टावरों को तुरन्त प्रभाव से दूसरी जगह शिफ्ट किये जाने चाहिये तब ही इस
भयंकर रोग से निजात मिल सकेगी अन्यथा कदापि नहीं
लेखक की प्रजा के स्वस्थ्यप्रद जीवन की कामना के साथ। |
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