आने वाले राज्य बजट सत्र में ब्यावर क्षेत्र को जिला घोषित किये जाने के समर्थन में निम्नलिखित कारण
प्रस्तुतर्कता -वासुदेव मंगल
1. स्थापना से ही ब्यावर - मेरवाड़ा स्टेट रहा 100 वर्ष तक।
2. ब्यावर भारत में अंगे्रजी राज में केन्द्र शासित प्रदेश रहा।
3. स्वतन्त्र भारत का भी केन्द्रशासित प्रदेश रहा।
4. 1952 से 31 अक्टूबर 1956 तक से श्रेणी का भारतवर्ष का अजमेर के साथ मेरवाड़ा नाम से ‘अजमेर मेरवाड़ा’ ‘स’ श्रेणी का स्वतन्त्र राज्य रहा।
5. 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान प्रदेश का सबसे बड़ा उपखण्ड बना जिसमें ‘दो’ पंचायत समिति, 71 ग्राम पंचायतें व 360 राजस्व गाँव रहे।
6. स्थापना से ही ऊन, रूई, सर्राफा व्यापार (वायदा व हाजिर) अनाज की राष्ट्रीय स्तर की मण्डी रही।
7. सूती कपडे़ की तीन मिलों के कारण राजपूताना का मेनचेस्टर रहा। साथ ही 15-20 काॅटन जिनिंग व पे्रसिंग फैक्ट्रिज भी थी।
8. राजस्थान के मध्य में स्थित होने के कारण यह यातायात (रेल व सड़क मार्ग) और दूर संचार का प्रमुख केन्द्र है। यातायात में राजस्थान का यह त्श्र36 वां जोन है।
9. भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में ब्यावर के महत्वपूर्ण योगदान के साथ अग्रहणी स्थान रहा है।
10. ब्यावर से कांगे्रस का सक्रिय आन्दोलन 1920 से आरम्भ हुआ।
11. ट्रेड यूनियन गतिविधियों का जनक रहा है।
12. सूचना के अधिकार के सफल संचालन का श्रेय ब्यावर को ही प्राप्त है।
13. जग प्रसिद्ध स्वादिष्ट व्यन्जन तिलपपड़ी का शहर।
14. धार्मिक सहिष्णुता का प्रमुख शहर।
15. दो राज्य स्तरीय प्रसिद्ध मेलों का शहर लोक देवता ‘तेजाजी महाराज’ व हर दिलकस अजीज गुलाल का मन भावन ‘बादशाह मेला’।
16. आस-पास के क्षेत्र रायपुर, जैतारण, बदनोर सहित लगभग आठ लाख निवासियों का क्षेत्र।
17. बहमूल्य अनेक प्रकार की खनिज सम्पदा वाली क्षेत्र।
18. नैसर्गिक रावली अभ्यारण्य का समीवर्ती शहर कामली घाट व जारम घाट के साथ-साथ।
19. समीपवर्ती 3075 फीट ऊँचाई वाली ऐतिहासिक टाटगढ़ पर्वत की पीक (चोटी)।
20. समीपवर्ती मांगलियावास के कल्पवृक्ष अजमेर, पुष्कर, जोधपुर, जयपुर, रणकपुर, उदयपुर, चित्तौड़ पर्यटन स्थानों का केन्द्रिय स्थल।
21. शिक्षा और चिकित्सा का प्रमुख केन्द्र।
22. यहाँ से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 14 आरम्भ होकर काण्डला बन्दरगाह चार सौ किलोमीटर जाता है।
23. ब्यावर में नगर सुधार न्यास की स्थापना 1975 में की गई जिसे 1978 में हटा दिया गया।
24. ब्यावर में ए.डी.एम. (सहायक कलक्टर) का पद सन् 2002 में सृजित किया गया परन्तु एक बार नियुक्ति के पश्चात् सात साल से यह पद भी रिक्त चला आ रहा है।
25. ब्यावर में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कार्यालय 1 नवम्बर 1956 को स्थापित किया गया था जिसे बिना कारण के 50 वर्षों बाद सन् 2006 में अचानक हटा दिया गया जबकि ब्यावर आस-पास के लगभग 400 गाँंवों का एक्सीडेन्ट जोन है जहाँ पर सन् 1954 स ‘अ’ श्रेणी का अमृतकोर चिकित्सालय कार्यरत है।
26. सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय, ब्यावर सन् 1932 से राजपूताना का सबसे पुराना काॅमर्स कालेज है जहाँ से विधि स्नातक की पढ़ाई हटा दी गई। अतः लाॅ क्लासेज पुनः लगाई जानी चाहिये।
27. ब्यावर को जिला बनाने पर लगभग पांच पंचायत समिति, छः उपखण्ड, एक सौ पच्चिस ग्राम पंचायतें पाँच सौ से ज्यादा राजस्व गाँव आयेगे जिससे इस प्रस्तावित जिले के चारों ओर के लगभग आठ लाख क्षेत्रिय निवासी लाभान्वित होगें।
28. राज्य सरकार व कन्द्रिय सरकार के राजस्व प्राप्ति का भरपूर क्षेत्र। लगभगहजार आठ सौ करोड़ प्रति वर्ष एक्साईज व अन्य राजस्व
29. उप-निर्देशक जिला कृषि कार्यालय
30. जिला रोजगार कार्यालय
31. जिला उद्योग कार्यालय
32. जनसम्पर्क, कार्यालय
33. जिला उपकारागृह
34. जिला कोष कार्यालय
35. चुनाव कार्यालय
36. प्रावधि बीमा पेंशन कार्यालय
37. श्रम विभाग कार्यालय
38. क्षय निवारण केन्द्र
39. नर्सेज प्रशिक्षण केन्द्र
40. अ श्रेणी अमृतकौर हाॅस्पिटल एवं चालिस निजी क्लिनिक
41. अ श्रे्रणी चांदमल मोदी आयुवेर्दिक औषधालय एवं छोटे बडे़ दस ओषधालय
42. स्नात्तकोत्तर सं. ध. राजकीय महाविद्यालय
43. संस्कृत महाविद्यालय
44. स्नातक एस एम एस शैषणिक प्रशिक्षण महाविद्यालय
45. वर्धमान महिला महाविद्यालय
46. डी ए वी बालिका महाविद्यालय एवं लगभग एक सौ पचास छोटी-बड़ी स्कूलें (सरकारी एवं निजी)
47. केन्द्रिय विद्यालय एवं आई. टी. आई. काॅलेज
48. डाक अधीक्षक कार्यालय
49. अतिरिक्त पुलिस उप अधीक्षक कार्यालय
50. अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय
51. उपखण्ड अधिकारी कार्यालय
52. दिल्ली-अहमदाबाद ब्रोडगेज केन्द्रिय रेल्वे स्टेशन
53. रोडवेज बस स्टेण्ड एवं कार्यशाला
54. कृषि उपज मण्डी कार्यालय एवं सब्जी-मण्ड़ी प्रांगण
55. नारकोटिक्स जिला आबकारी, कार्यालय
56. केन्द्रिय एक्साईज कार्यालय
57. वाणिज्य कर कार्यालय
58. आर. एफ. सी. कार्यालय
59. सैनिक विश्राम गृह
60. पशु अस्पताल
61. तोल, माप बाट कार्यालय
62. आठ न्यायालय
63. रीको के छ सेक्टर, लगभग तीन सौ छोटे-बडे़ उद्योग एवं सीमेण्ट के तीन बड़े कारखाने
64. पी. एच. ई. डी. कार्यालय
65. विद्युत विभाग कार्यालय
66. रजिस्ट्रार कार्यालय
67. तहसील कार्यालय
68. जीवन बीमा निगम कार्यालय
69. जनरल इन्श्योरेन्स के चार कार्यालय
70. डाक तार विभाग
71. लगभग बीस सरकारी व निजी बैंक एवं लगभग तीन-चार हजार दुकानें लगभग तीस काॅम्पलेक्स
72. मोबाईल फोन के 6 कम्पनी कार्यालय
73. सार्वजनिक निर्माण विभाग कार्यालय
74. सिचांई विभाग कार्यालय
75. ई. एस. आई. डिस्पेन्सरी
76. आस पास के क्षेत्रों के लगभग 400 गाँवों की मण्डी ब्यावर ही लगती है, जहाँ ग्रामीण अपने उत्पाद को बेचते हैं तथा उपभोग की वस्तुऐं खरीदते है।
77. पहले सैनिको की भर्ती का केन्द्र ब्यावर था जिसको कि अजमेर कर दिया, फिर बाद में जयपुर कर दिया। पुनः ब्यावर किया जाये क्योंकि मगरा सैनिकों की जन्मस्थली है।
78. ब्यावर मगरा मेरवाड़ा स्टेट को कोस्मोपोलिटिन-कल्चर (सप्तरंगी इन्द्रधनुशी पुराने मिश्रीत संस्कृति) के लिये दुनिया भर मे पहिचाना जाता है जहाँ पर चैईस मिश्रित किलो, नो दर्रों, बारह कोस की गोलाकार घाटी की सांस्कृतिक धरोहर आज भी विद्यमान है।
79. पुराना ब्यावर शहर परकोटे तक ही सीमित था। जब यह मेरवाड़ा स्टेट का मुख्यालय होता था लेकिन आज का ब्यावर शहर चवदा किलोमीटर परिधि मे लगभग 150-200 काॅलोनियो के साथ लगभग दो लाख से ऊपर जनसंख्या के साथ और इसके चारों ओर आसपास के 300-400 गांवो की मण्ड़ी है तथा इस क्षेत्र की आबादी लगभग 7-8 लाख है।
80. ब्यावर क्षेत्र चूंकि अंग्रेजीकाल में मेरवाड़ा स्टेट हुआ करता था। स्वतन्त्रता के बाद यह क्षेत्र विशाल भू-सम्पदा का क्षेत्र है जहाँ आज भी जमीनी व्यवस्था के लिये कोई सरकारी संस्थान कार्यरत नही है जैसे नगर सुधार न्यास। अंग्रेज तो यहा से चले गए लेकिन गण और तन्त्र की बन्दरवाट से तन्त्र का कोई भी मुलाजिम यहाँ पर आने के बाद जाने की ईच्छा नही करता। और यही पर बसकर सदा के लिये यहीं का हो जाता है। अतः जमीन के लिये जो सरकारी होनी चाहिये कोई व्यवस्था नहीं है। खनिज सम्पदा, वनसम्पदा व भू-सम्पदा तीनो सम्पदाओं की, मिलीभगती से पीछले पचपन सालों से, बन्दरवाट हो रही है और प्रजा जो जनतंत्र में राजा होती है वह तो तत्काल से निरन्तर शेषित हो रही है और तन्त्र जो ‘सेवक’ होना चाहिये वह जनता का शोषण कर रहा है। अतः इसे तुरन्त प्रभाव से जिला घोेषित किया जाना अति आवश्यक है। यहाँ पर न खनिज कार्यालय है न वन कार्यालय है और न ही भू-सम्पदा निस्तारण कार्यालय है। अंगे्रजी काल में यही ब्यावर मेरवाडा स्टेट भारत वर्ष में सब क्षेत्रों में पहीले नम्बर का विकसित क्षेत्र था जिसकी स्वतन्त्रता के बाद क्या दुर्दशा हुई यह तो आने वाली पीढियों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा। खैर अभी भी समय है। श्रीमान आपको इस क्षेत्र की जनता हमेशा-हमेशा के लिये याद करेगी अगर आप इसे जिला घोषित कर देंगें तो आप यादगार बन जायेगें। राजस्थान प्रदेश के केन्द्र में अवस्थिति होने के कारण तो यह मेट्रोपोलिटन सिटी होना चाहिये। जहाँ प्रचुर मात्रा में वन-जन-भूसम्पदा तथा भूगर्भिय सम्पदा मौजूद है जिनका दोहन किया जाना शेष है। जिला घोषित होने पर ही यह बन्दर बांट रूकेगी और इस क्षेत्र का स्र्वागीण विकास हो सकेगा। अंगे्रजी काल में सभी क्षेत्रों में इसका द्रुतगामी विकास हुआ था परन्तु देशी राज्य में इसका पतन इसलिये किया गया चूँकि इसे अंगेजी मेरवाड़ा राज्य बनाया गया था इसीलिये इसका पतन किया गया, वाह रे मरे स्वतन्त्र भारत, जहाँ पर इस क्षेत्र के लोग स्वतन्त्रता की बलिवेदी पर मर मिटें और स्वतन्त्रता के बाद यहाँ के लोग तब से आज तक देश की सीमाओं की रक्षा करते चले आ रहे है। धन्य हो ऐसी धरती को जो आज भी सोना उगल रही है और भविष्य में हजारों लाखों गुणा सोना उगलती रहेगी। आवश्यकता है, यहाँ की प्राकृतिक-नैसर्गिक सम्पदा की ईमानदारी से पारदर्शी-जवाबदेह सरकारी सार-सम्भाल की जिसे श्रीमान, आप जैसे मुख्य-मन्त्री व्यवहारिक रूप प्रदान कर सकते है।
अतः समय की पुकार और तार्किक तथ्यों को मध्यनजर इसे तुरन्त प्रभाव से अबिलम्ब इस बजट सत्र में राज्य सरकार को इसे ‘जिला’ घोषित किया जाना चाहिये।
प्रस्तुतर्कता -
वासुदेव मंगल
एक जागरूक क्षेत्रिय
वरिष्ठ नागरिक एवं ब्यावर क्षेत्र के शोधकत्र्ता
Ph 01462 252597
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