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ब्यावर को राज्य सरकार की राजनैतिक तुष्टीकरण के कारण
अब तक जिला नहीं बनाया जा रहा है


सम सामयिक लेख - वासुदेव मंगल

ब्यावर, नया नगर से, ब्यावर नामकरण, कब और कैसे हुआ, इसका खुलासा, पिछले डिस्पेच में कर दिया गया है। अतः अब राजस्थान की राज्य सरकार को इस विषय में भ्रान्ति नहीं होनी चाहिये ब्यावर के नामकरण के बारे में।
यहाँ पर, एक बार ब्यावर नाम के बारे में फिर खुलासा करना आवश्यक जान पड़ रहा है।
1 दिसम्बर सन् 1858 ईसवीं में भारत की सत्ता, ब्रिटिश सरकार ने अपने अधीन लेकर अपने प्रतिनिधि लार्ड के माध्यम से भारत में राज करना आरम्भ कर दिया।
चूंकि भारत के साथ-साथ राजपूताना प्राविन्स में, अंग्रेजी शासन मेरवाड़ा स्टेट में था। अतः यहाँ पर राज अंग्रेज कमिश्नर की नियुक्ति से किया जाने लगा।
इसके पहले 1 फरवरी सन् 1836 से लेकर 30 नवम्बर 1858 तक 22 साल 9 महीने तक मेरवाड़़ा स्टेट में अंग्रेजी राज ईस्ट इण्डिया कम्पनी के प्रतिनिधि कर्नल चाल्स जॉर्ज डिक्सन के द्वारा नया नगर के नाम से किया जाता रहा। अतः ईस्ट इण्डिया कम्पनी के समय मेरवाडा में नया नगर नाम से शासन था।
बरतानिया सरकार ने ब्यावर नाम से राज करना शुरू किया जो अब तक जारी है ब्यावर नाम से ही।
अतः राजस्थान सरकार को इस विषय में अब कोई भ्रान्ति नहीं रह जानी चाहिये। 1 दिसम्बर सन् 1858 से लेकर अब तक 164 साल 3 महीने से अधिक समय से यहां पर सारे ईतर काम दुनिया भर में ब्यावर नाम से होते आ रहे है।
राजस्थान सरकार ने मात्र जयपुर महाराजा की राजधानी, जयपुर को बरकरार रखने के लिये उनके तुष्टीकरण के लिये ही नया नगर नाम उछालकर इस क्षेत्र की जनता को भ्रमित कर रही है जबकि यह कारण कदापि नहीं हैं।
यह तो नया नगर नाम 1 फरवरी 1836 से 30 नवम्बर 1858 तक रहा। मात्र 22 साल 9 महीने रहा।
ब्यावर नाम ब्रिटिश सरकार के जमाने से ही चला आ रहा है । दिसम्बर 1858 से।
अतः राज्य सरकार की यह चाल तो कामयाब नहीं होगी।
अब बात रही श्री सिमेण्ट के बांगड़ कोरपोरेट घराने के तुष्टीकरण की। इस विषय में भी साफ जाहिर सन् 1985 से जब से श्री सिमेण्ट प्रोडक्शन में आई तब से लेकर आज तक अब तक इस इण्डस्ट्री का सरकारी राजस्व ब्यावर के विकास के लिये बिल्कुल भी नहीं रहा। इसका स्पष्ट उदाहरण है कि श्री सिमेण्ट प्लाण्ट और ऑफिस स्थापना से ही मसूदा रूरल एरिया में स्थित है जिसको रूरल स्किम की तमाम सुविधाऐं मिल रही हैं ब्यावर अरबन एरिया के विकास में आज तक इसने एक धेला खर्च नहीं किया। मसूदा एरिया सीधा अजमेर डिस्ट्रिक्ट में आता है जैसे ब्यावर अजमेर जिले में आता है उसी प्रकार।
जबकि हकीकत ये है कि श्री सिमेण्ट के सारे काम ब्यावर से होते हैं यह विडम्बना है ब्यावर की।
तब से लेकर अब तक बांगड़ कोरपोरेट घराने का श्री सिमेण्ट सन् 1985 से लेकर अब तक 37 साल से भी अधिक समय हो गया ब्यावर क्षेत्र को जिला नहीं बनने दे रही है अपनी तुष्टीकरण की वजह से। जबकि श्री सिमेण्ट इण्डस्ट्री का ब्यावर से कोई लेना देना नहीं है।
यह तो अपना पता बांगड नगर लिखती है और इसके सारे काम बांगड़ नगर के नाम से ही होते हैं सन् 1975 स्थापना (इन्स्टालेशन) से लेकर अब तक श्री सिमेण्ट का ब्यावर से कोई लेना देना नही।
फिर यह 47 साल से अधिक समय हो गया, से लेकर अब तक ब्यावर के विकास में क्यों रोड़ा अटका रही है। समझ में नहीं आ रहा है।
इसका सरकार राजस्व तो 37 साल से ब्यावर क्षेत्र के बाहर के विकास में काम आ रहा है।
पहले तो जयपुर महाराज की तुष्टीकरण की नीति के कारण सन् 1975 तक राजस्थान सरकार ने ब्यावर को जिला नहीं बनाया और उसके बाद अब सरकार श्री सिमेन्ट की तुष्टीकरण की नीति के कारण ब्यावर को जिला नहीं बना रही है तो यह दोनो ही कारण ब्यावर के लिए गौण है और ब्यावर को शीघ्र ही जिला घोषित किया जाय।
अतः सरकार को वस्तु स्थिति को ध्यान में रखकर तुरन्त प्रभाव से आने वाली 10 फरवरी 2023 के बजट में ब्यावर को जिला घोषित कर ब्यावर की 66 साल से लम्बित मांग को पूरी कर इसके वाजिब हक को बहाल करे ऐसी सरकार से ब्यावर के एक जागरूक लेखक की अपेक्षा है।

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