E-mail : vasudeomangal@gmail.com 

‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

 

 

ब्यावर को जिला बनाये जाने पर ध्यान दिये जाने वाले महत्वपूर्ण सुझाव व बिन्दु
----------------------------------------
लेखक व जागरूक नागरिक - वासुदेव मंगल द्वारा

पहला :-कर्नल डिक्सन ने सन् 1840 में जब मेरवाड़ा बफर स्टेट बनाया था। उस समय ब्यावर मेरवाड़ा बफर स्टेट में सात तहसील थीं जो इस प्रकार थीः- ब्यावर, टाटगढ़, भीम, आबूरोड़, बादनौर, मसूदा और बिजयनगर।
दूसरा :- सन् 1939 में भीम उदयपुर में, आबूरोड़ सिरोही में और बदनौर को भीलवाड़ा तहसीलों के साथ में मिला दिया गया।
तीसरा :-इस प्रकार मेरवाड़ा बफर स्टेट की जगह मेरवाड़ा संकुचित रह गया। अतः अजमेर भी अंग्रेजी रियासात थी जिसके साथ मेरवाड़ा अंग्रेजी रियासत जोड़ दिये जाने से अजमेर $ मेरवाड़ा दोनों मिलाकर अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट कहलाने लगा।
ऐसी स्थिति में अजमेर की अहमियत अधिक होने से यह अजमेर स्टेट कहलाने लगा अर्थात् स्टेट का मुख्यालय अजमेर होने के कारण अजमेर को महत्व बढ़ गया।
इस प्रकार भारत देश की स्वतन्त्रता के समय भारत देश का अजमेर राज्य भी अन्य राज्यों के साथ अस्थित्व में आया।
चौथा :- अजमेर भारत देश का राज्य होने कारण इसका विधान सभा भवन, मन्त्री मण्डल, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका अजमेर में ही स्थित थीं।
उस समय अजमेर राज्य दो विधान सभा में बंटा हुआ था। अजमेर उत्तर और अजमेर दक्षिण अर्थात् ब्यावर। चूंकि ब्यावर अजमेर के 54 मील दक्षिण में स्थित होने के कारण मेरवाड़ा का विलय अजमेर राज्य में किये जाने से मेरवाड़ा राज्य विलुप्त हो गया और ब्यावर नाम से यह राज्य अजमेर राज्य से जुड़ गया। परन्तु प्रशासनिक व्यवस्था के लिहाज से कमिशनर अजमेर में ही बैठता था और एक्स्ट्रा असिस्टेण्ट कमिश्नर ब्यावर में बैठता था अर्थात् प्रशासनिक व्यवस्था ब्यावर की अजमेर के साथ साथ दोनो जगह रही अर्थात् ईएसी ब्यावर का अजमेर कमिश्नर के प्रति उत्तरदायी हुआ करता था।
पांचवा :-इस प्रकार भारत देश में 1952 में प्रथम आम चुनाव हुए। अजमेर राज्य में उत्तर से विधान सभा सदस्य ज्वाला प्रशाद जी व अजमेर दक्षिण से अर्थात् ब्यावर विधान सभा से बृजमोहनलाल जी शर्मा विधायक चुने गए।
अजमेर लोक सभा से एक सीट थीं जिस पर मुकुट बिहारीलाल जी भार्गव अजमेर लोकसभा सदस्य चुने गए।
यह प्रशासनिक व राजनैतिक व्यवस्था अजमेर राज्य के साथ साथ ब्यावर की बदस्तूर चल रही थी।
तत्पश्चात् 1 नवम्बर 1956 को ब्यावर को डिग्रेड करते हुए प्रशासनिक व्यवस्था में आमूलचूल परिर्वतन करते हुए एक्स्ट्रा असिस्टेण्ट कमिश्नर का पद समाप्त कर ब्यावर में उपखण्ड व्यवस्था लागू की गई जिसमें चार तहसील समाहित की गई। ब्यावर, मसूदा, बिजयनगर और टाटगढ़। दो पंचायत समिति जवाजा और मसूदा ब्यावर उपखण्ड में रक्खी गई। इस प्रकार जवाजा पंचायत समिति में 216 राजस्व गांव अर्थात् ग्राम पंचायतें और मसूदा पंचायत समिति में 144 राजस्व ग्राम पंचायते रक्खी गई। कुल 360 ग्राम पंचायतें ब्यावर उपखण्ड में रखकर उपखण्ड अधिकारी का पद सृजित कर ब्यावर को सब डिविजन मुख्यालय बना दिया गया अजमेर जिले का 1 नवम्बर सन् 1956ई. में।
कहने का तात्पर्य यह है कि ब्यावर का राजनैतिक कद छोटा कर दिया गया। उसका स्थापना से चला आ रहा स्वतन्त्र अस्थित्व समाप्त कर दिया गया। ब्यावर का स्वतन्त्र अस्थित्व खतमकर अजमेर जिले के साथ जोड़ दिया गया। अजमेर राज्य को 1 नवम्बर 1956 में राजस्थान राज्य में मिलाये जाने पर ब्यावर को अलग से जिला घोषित किया जाना था राजस्थान राज्य का 1 नवम्बर 1956 को जिसे उपखण्ड का दर्जा जबरिया दिया गया।
यह ना इन्साफी सड़सठ साल तक ब्यावर की जनता के साथ की गई जानबूझकर। क्या मिला 1957, 1962, 1967, 1972, 1977, 1980, 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2018 इन चवदा उत्तरवर्त्ती राज्य सरकारों को जिसमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियाँ शामिल है।
छठा :- जब 17 मार्च सन् 2023 को राजस्थान की कांग्रेस की सरकार को सड़सठ साल बाद सद्बुद्वि आई है। वह भी इसलिये कि पन्द्रहवी बार गहालोत सरकार को चौका लगाकर पुनः सत्ता में जो आना है। इसलिये अब तो सरकार को 1 नम्बर 1956 के पश्चात्वर्त्ती घटनाओं को अतिरेक करते हुए सन् 2002 में मसूदा पंचायत समिति को ब्यावर उपखण्ड से अलग कर अजमेर जिले का सीधा अलग से उपखण्ड बनाया जिसके साथ बिजयनगर तहसील भी ब्यावर उपखण्ड से मसूदा तहसील के साथ-साथ अजमेर जिले में चली गई।
और सन् 2013 में टाटगढ़ तहसील को भी ब्यावर उपखण्ड से अलग कर अजमेर जिले का एक ओर उपखण्ड बना डाला।
कितना घोर राजनैतिक अन्याय किया गया ब्यावर की जनता के साथ पिछले सड़सठ साल में ब्यावर को मात्र तहसील बनाकर रख दिया गया राजस्थान की हमारी चुनिन्दा सरकारों द्वारा। भगवान इनको कभी माफ नहीं करेगा।
अतः लेखक को विश्लेषणात्मक विश्लेषण यह है कि सन् 1939, 1956, 2002 व 2013 में ब्यावर व मेरवाड़ा व मेरवाड़ा से अलग की गई तहसीलों को पुनः ब्यावर जिले में मिलाकर ब्यावर के अतीत के राजनैतिक व प्रशासनिक ढाँचें को पुनः बहाल किया जा सकता है। जैसे :- बदनोर जो 1939 के पहीले ब्यावर की तहसील हुआ करती थी। इसी प्रकार मसूदा और टाटगढ़ा तहसीलों को अजमेर जिले से अलग कर ब्यावर जिले में समाहित किया जा सकता है।
इसी प्रकार 1939 से पहीले मारवाड़ को उसके लौटाये गए गांवों को पुनः ब्यावर जिले में रायपुर, बर, जैतारण, रास, मसूदा, बिजयनगर, मांगलियावास को मिलाया जा सकता है।
वाजिब जानकर लिखा हैं ऐसा करने से सभी स्थनों की ब्यावर से 40 मील अधिक दूरी नहीं होगी और किसी को कोई एतराज भी नहीं होगा।
अतः राज्य सरकार ऐसा कर यह प्रयोग ब्यावर जिले के गठन करने में व्यवहार रूप में अमल में लाये।
किसी को कोई तकलीफ, परेशानी नहीं होगी।
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
Follow me on Twitter - https://twitter.com/@vasudeomangal
Facebook Page- https://www.facebook.com/vasudeo.mangal
Blog- https://vasudeomangal.blogspot.com

E mail : praveemangal2012@gmail.com 

Copyright 2002 beawarhistory.com All Rights Reserved