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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  ब्यावर सिटी (राज.)
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

पृथ्वी पर भारत की प्राकृतिक एवं भोगोलिक स्थिति और उसके प्रभाव
सामयिक लेखः वासुदेव मंगल
पृथ्वी पर गर्मी, सरदी और बरसात के मौसम को समझने के लिये पृथ्वी के गौलार्द में भारत की कुदरती स्थिति को समझना अति आवश्यक है। पृथ्वी गोल है नारंगी की तरह चपट्टी है अर्थात् 23 1/2° अक्षांस डिग्री पर झुकी हुई है दोनों ध्रुवों पर। यह सूर्य की कक्षा में 365( दिन में सूर्य का पूरा चक्कर लगाती है। पृथ्वी के ठीक मध्य में पश्चिम सें पूर्व दिशा तक 0 डिग्री अक्षंास रेखा को विषवत् या भूमध्य रेखा कहते है। इस रेखा पर पृथ्वी दो समान गोलाद्ध में बँटी हुई है। एक उत्तरी और दूसरा दक्षिणी।
अब इसको भी कटिबन्धय प्रदेश में बांटा गया है। भूमध्य रेखा के 23 1/2° डिग्री अक्षांस उत्तर में और इसी प्रकार 23 1/2° डिग्री अक्षांस दक्षिणी भाग उष्ण यानी गरम कटिबन्धिय प्रदेश माना गया है।
इसी प्रकार भूमध्य रेखा के उत्तर में 23 1/2° डिग्री अक्षांस पर कर्क रेखा पश्चिम से पूर्व दिशा के बिन्दु तक और दक्षिण में भी भूमध्य रेखा के दक्षिण में 23 1/2°डिग्री अक्षांस पर पश्चिम से पूरब दिशा के बिन्दू तक मकर रेखा कहते हैं। कर्क रेखा के उत्तर में 66 1/2° डिग्री अक्षांस तक। इसी प्रकार दक्षिणी गोलाद्ध में मकर रेखा के 66 1/2° डिग्री अक्षांस के भाग को समशीतोष्णीय कटिबन्ध कहते है। और उसके पश्चात् 66 1/2° डिग्री उत्तर के ऊपरी भाग को आर्कटिक महासागर तक और इसी प्रकार दक्षिणी गोलार्द में 66 1/2° डिग्री अक्षाँस के दक्षिणी सुदूर अंटार्काटिक महासागर तक के भाग को शीत कटिबन्धिय प्रदेश कहते हैं। इस प्रकार 0 ग्रीनविच देशान्तर लाईन के पश्चिम समान 15-15 डिग्री के समान 12 भागों में बाँटा गया है जो अमूक देश की स्थिति को बताती है इन्हें पश्चिमी देशान्तर रेखा के नाम से पुकारा गया है। इसको पश्चिमी गोलार्द्ध कहते है। ठीक इसी प्रकार 0 डिग्री ग्रीनविच देशान्तर लाईन के पूर्व में भी 15-15 डिग्री के समान 12 भागोें में बांटा गया है। इसको पूर्वी गोलार्द्ध कहते है।
अब हम भारत देश की पृथ्वी के नक्शे में स्थिति मालुम करते है जिस प्रकार से विश्व (भूमध्य रेखा) को 0 डिग्री अक्षांस माना गया है इसी प्रकार ब्रिटेन देश की स्थिति को देशान्तर के मध्य में 0 डिग्री देशान्तर मानकर 15° डीग्री देशान्तर समान पश्चिम दिशा में और इसी प्रकार 15° समान पूर्वी देशान्तर दिशा में बाँटा गया है। 0 डिग्री देशान्तर को ब्रिटेन की देशान्तर लाइन को ग्रीन बीच लाइन कहते हैं। जहाँ पर रात्री को 12 बजे का समय आधार 0 माना गया है। यह ग्रीनविच 0 डिग्री की लाईन पृथ्वी के ठीक मध्य में उत्तरी ध्रुव से टेठ दक्षिणी ध्रुव तक है जो 0 समय की देशान्तर रेखा उत्तर से दक्षिण तक मानी गई है।
अतः भारत की स्थिति पृथ्वी पर इस प्रकार है। अक्षांस रेखा के हिसाब में तो कर्क रेखा 23 1/2° डिग्री अक्षांस डिग्री पर भारत को ठीक दो समान भागों में बाँटती है और देशान्तर के हिसाब से 73° डिग्री पूर्वी देशान्तर है, जहाँ पर भारत देश स्थित है।
कहने का तात्पर्य यह है कि प्रकृति के हिसाब से पृथ्वी का सूर्य की कक्षा में परिक्रमा का सीधा सटीक वर्ष पर्यन्त तक मौसम और ऋतु परिवर्तन का नजरिया साफ दिखाई देता है।
पिछले अंक में आपको भारत के तीन मौसम और छ ऋतुओं का वर्णन विस्तार से समझाया गया है। मौसम परिवर्तन में भारत में उष्ण समशीतोष्ण और शीत कटिबन्धों का प्रभाव सीधे तोर पर होता है वर्ष पर्यन्त तक बारी-बारी से। इसी प्रकार ऋतुओं का परिवर्तन भी बारी बारी से दिखलाई देता है। सरदी में शीत और गरमी में उष्ण कटिबन्ध का प्रभाव स्पष्ट दिखलाई देता है भारत में।
इसी प्रकार आकाश मार्ग से समुद्री मार्ग से और स्थलीय मार्गाे से भारत देश से अन्य देशों का समय और दूरी की स्थिति हवाई, समुद्री जहाजों पर से कम्पास के जरिये कुतुबनूमा से मालूम किया जाता रहता है। इसी प्रकार मौसम का तुलनात्मक अध्ययन देशों के मध्य किया जाता है।
इंगलेण्ड की ग्रीनविच लाइन को समय के लिये 0 समय का रात्रि को 12 बजे आधार माना है। 0 देशान्तर पूर्व में एक देशान्तर से दूसरे के बीच 15 डिग्री का मानकर 180° डिग्री देशान्तर पूर्व में और इसी प्रकार 180° डिग्री देशान्तर पश्चिम। पृथ्वी पश्चिम से पूरब दिशा में घूमती है। इंग्लेण्ड को 0 आधार समय इसलिये माना गया है कि सारी दुनिया में ब्रिटिश साम्राज्य सारी दुनिया में फैला हुआ था जिसमें सूर्य कभी अस्त नहीं होता था। अतः इंगलैण्ड को दुनियां के मध्य में बसा हुआ देश मानकर 180° डिग्री पश्चिमी देशान्तर और 180° पूर्वी देशान्तर के अन्तराल 360 पूरी डिग्री का आकलन मानकर यह समय का निर्धारण किया गया है। इसको स्टेण्डर्ड समय माना गया है।
अतः जब रात को इगलैण्ड में 12 बजते हैं जंहा पर 0 डिग्री देशान्तर के दोनों तरफ 0 समय होता है तो पृथ्वी के आधे भाग में पश्चिम में अन्धेरा होता है अतः अमेरिका में रात्रि को 8 बजे होते हैं। और भारत में अगले प्रातःकाल के 4 1/2 बजे होते हैं। लगता है। न्यूजीलैण्ड में अगली तारीख के प्रातः दिन के के 10 1/2 बजे होते हैं, और जापान में अगले प्रातः 9 1/2 बजे होते हैं। क्योंकि की सूर्य की किरणे पृथ्वी के पिछले हिस्से से पूर्वी गोलार्द में चमकने लगती है। जहाँ उजाला हो जाता है। तात्पर्य यह है कि रात्री को ठीक इंगलैंड के 12 बजने पर भारत में 4 1/2 घण्टे का पूर्व में अन्तर होता है। भारत से अमेरिका में 10 घण्टे का अन्तर होता है पश्चिम में। तो हुई ना यह बात। आप भारत के पूरब में जाओगे तो ऊजाला मिलेगा और पश्चिम में जाओगे तो अन्धेरा होता दिखाई देगा। अतः आधार समय इंगलैण्ड का ग्रीन विच समय रात्री का 12 बजे पूर्वी गोलार्द्ध में ऊजाला और पश्चिमी गोलार्द्ध में अन्धेरा यह क्रम निरन्तर 24 घण्टे चलता रहता है। इसी आधार पर अमुख देश का समय मालूम किया जाता है। सर्दी के मौसम में जनवरी में सबसे पहले नया दिन न्यूजीलैण्ड में उदय होता हैं इसी प्रकार गर्मी के मौसम में जून के महीने में सबसे पहले नया दिन जापान में उदय होता है। पृथ्वी की गति का यह क्रम वर्ष पर्यन्त शाश्वत निरन्तर यों ही चलता रहता हैं।
19.07.2024
 
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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