25 जून, ब्यावर के संस्थापक कर्नल डिक्सन 
की 155वीं पुण्य तिथी पर विषेश

ब्यावर का स्वर्णिम अतीत 

Video

रचनाकार:- वासुदेव मंगल, गोपालजी मौहल्ला, 
ब्यावर, फोन नं. 01462 252597
ब्यावर की उत्पत्ति मेरवाड़ा स्टेट के रूप में कर्नल डिक्सन ने सन् 1835 की 10 जुलाई को राजपूताना गजेटियर में अधिसूचना से ही कर दी थी। तत्पश्चात् सन् 1852 में डि़क्सन को अजमेर स्टेट का भी सरबराह बना दिया था। उनका मुख्यालय हमेशा ब्यावर ही रहा। अंगे्रजी राज्य होने के कारण ब्यावर मेरवाड़ा स्टेट उस जमाने में राजूताना का ही नहीं अपित् भारतवर्ष की ऊन-कपास की राष्ट्रीय स्तर की मण्डी बनी। जयपुर, जोधपुर व उदयपुर रिसासतों का आवागमन का सड़क और रेल मार्ग के यातायात का केन्द्रिय स्थल होने के कारण ब्यावर का व्यापार और उद्योग उस समय विकासोन्मुखी होकर बावन सर्राफा व्यापार के मार्फत मार्केटिंग के कारण मुद्रा बाजार विकसित स्थिति में पहूँच गया था। अतः भारत की स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद सन् 1956 तक ब्यावर भारत के मुख्य व्यापारिक शहरों में था जैसे कानपुर, इन्दौर, राजकोट, अहमदाबाद, मुम्बई, कलकत्ता, मद्रास आदि।
इसे ब्यावर के भाग्य की विडम्बना ही कही जाये कि सन् 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट जो सन् 1955 में केन्द्रिय सरकार को सौंप दी गई थी कि सिफाारिश के बावजूद अजमेर मेरवाडा राज्य को 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान राज्य में मिलाते समय ब्यावर मेरवाड़ा को जिला न बनाया जाकर जबरिया उपखण्ड बना दिया गया क्योंकि इसे एक अंगे्रज हुक्मरान ने बसाया था इसी कारण ब्यावर के साथ सौंतैला व्यवहार किया गया जिसकी दुर्दशा का शिकार आज भी ब्यावर बना हुआ है। इस आयोग में सैय्यद फजल अली अघ्यक्ष थे तथा हृदयनाथ कुँजरू व के. एम. पन्नीकर सदस्य थे। यह रिपोर्ट आज भी उठाकर देखली जाय कि अजमेर राज्य को राजस्थान की राजधानी बनाया जाय व ब्यावर को जिला बनाये जाने की सशक्त सिफाारिश की गई थी कि अंगे्रजी राज्य होने के कारण ब्यावर मेरवाड़ा राज्य व्यापार और उद्योग में विकसित स्थिति में है इसी कारण ब्यावर को जिले का दर्जा दिया जावे और अजमेर चुँकि भोगौलिक दृष्टि से राजस्थान के मध्य मंे अवस्थित है इसलिये इसे भी जिला बनाये जाने के साथ-साथ राजस्थान की राजधानी भी बनाया जावे अगर अजमेर मेरवाड़ा भारत के ‘स’ श्रेणी के स्वतन्त्र राज्य को राजस्थान राज्य में मिलाया जाता है तो। 
विधि की विडम्बना ही कही जाये दौबारा सन् 2006 में जब नये जिला बनाये जाने के लिये गठित की गई समिति द्वारा पुनः ब्यावर को जिला बनाये जाने की सशक्त सिफाारिश की जाने के पश्चात् फिर इसे जिला नहीं बनाया गया इसे आप ब्यावर की उन्नति कहेगें या अवनति वहाँ भी करौली को जिला बनाया गया और बाद में प्रतापगढ़ को भी जिला बना दिया गया। अब फिर ब्यावर की भोली-भाली जनता को फिर जिला बनाये जाने की नई समिति माननीय श्री सन्धु साहिब की अध्यक्षता में बनाई जाकर एक बार फिर गुमराह किये जाने की कोशिश राजस्थान की वर्तमान सरकार ने की है जो असहनीय है जबकि ब्यावर स्वतंत्रता प्राप्ति के पहीले तो स्टेट था व बाद में सन् 1956 से हमेशा जिला बनाये जाने के मानदण्डों में खरा उतरा है और उतरेगा।
यहाँ पर जनता जनार्दन की जानकारी के लिये यह बताना अति आवश्यक है कि राजस्थान में मात्र ब्यावर ही एक ऐसा शहर है जो स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय विकसित क्षेत्र और शहर था। आज की दूसरी और तीसरी पीढ़ी के बच्चों ने तो इस शहर की उस समय की खुशहाली देखी ही नही। आज के जयपुर, जोधपुर, कोटा, अलवर, भरतपुर, सीकर, भीलवाड़ा, पाली, सुमेरपुर, किशनगढ़ सब ब्यावर से पिछडे़ शहर थे जो सरकार की ब्यावर के प्रति उदासीन नीति के कारण इसको आज रसातल में ले जाकर पटक दिया। क्या इसे ही सरकार की दृष्टि में विकास कहा जाता है।
अतः अब समय आ गया है ब्यावर की जनता को जागरूक होना पडे़गा और सरकार के झूँठें झाँसें में न आये वरना फिर चिडि़यों के खेत चुग जाने के बाद पछताने के सिवाय और कुछ हाथ आने वाला नहीं है। 

लेखक - वासुदेव मंगल
गोपालजी मौहल्ला, ब्यावर



Copyright 2002 beawarhistory.com All Rights Reserved