छायांकार : प्रवीण मंगल ब्यावर
‘‘ब्यावर’’ इतिहास के झरोखे से.......
✍वासुदेव मंगल की कलम से....
आज 5 जून 2022 को विश्व पर्यावरण
दिवस पर विशेष
प्रस्तुतकर्ता - वासुदेव मंगल
पर्यावरण को प्रोत्साहन और प्रगति
1. उपभोग वाली जीवन शैली मे बदलाव
2. गिरता जल स्तर रोकना
3. जंगल मे आग लगने की घटना रोकनी होगी
4. जल संरक्षण को बढावा देना
5. जनसंख्या वृद्धि से उपभोक्ता की तीव्रता को रोकना
6. कचरे प्रबन्धन को ओर बेहतर करना
7. अन्धा धुन्ध जंगलों की कटाई को रोकना
8. जैव विविधता बचाने के लिये हर स्तर पर प्रयास
9. पर्यावरण संरक्षण में हो सबकी भागीदारी
10. वायु प्रदुषण और जल प्रदुषण को रोकना होगा
11. केमिकल उपयोग में कमी लानी होगी ताकि मिट्टी की उर्वरका बनी रहे।
12. लोगो को जीवन शैली मे लाना होगा बदलाव उपभोग वाली जीवन शैली में
13. जमीन की गुणवत्ता को सुधारना होगा
14. वायु प्रदुषण में कमी लानी होगी
15. हमारी आवोहवा और संमुद्री जल कार्बन से भर चुका है उसे खत्म करना होगा तब
ही ग्लोबल वार्मिगं रूक सकता है।
भारीमन से लिखना पडता है कि जिस ब्यावर को जिस बेजोढ वास्तुकला के आधार पर
डिक्सन ने बसाया था उसका वर्तमान मे ऐसा हश्र होगा कभी भी ऐसा सोचा भी न था।
क्रोस की सुन्दर आकृति पर बसाये गए कलात्मक गलियाँ मौहल्लो का विकृत रूप सँकरी
गलियों मंे कर सडक पर बॉलकोनी, झरोखे व दुकानो के काउण्टर लगाकर सारे शहर को ही
बदरँग बना दिया गया है जिसमे ज्यादातर योगदान स्थानीय लोगो की शह पर यह सब
दुर्दशा हो रही है। बडा ही दुख होता है जब गलियो की नाली पर चबूतरी बनाकर दोनो
तरफ की नाली पर दो-दो फीट जगह को रोककर फिर दुकानदारो के दुपहिया चौपहिया वाहनो
का पार्किंग ऐसा लगता है परिवहन के पूरे रास्ते को ही रोक दिया गया है पूरे शहर
की गलियो और बाजारों में। तो यह शहर के सुन्दर पर्यावरण के प्रदुषण का
प्रत्यक्ष नमूना है। दूसरा यहां करीब-करीब चारो तरफ के सुन्दर परकोटे को ही
तोडकर साफ कर दिया गया है जबकि दूसरे शहर के परकोटे को धरोहर के रूप मे सहेजकर
रखा हुआ है। तीसरा बिचडली तालाब को पाटकर तलाई बना दिया गया है तालाब के पेटे
की जमीन पर अतिक्रमण करके। चौथा कम्पनी बाग के पेडो को काटकर मैदान बना दिया गया।
अतः सरकार द्वारा इन सब अतिक्रमणो को प्राथमिकता से रोककर पुनः शहर को सुन्दर
बनाया जाना चाहिये जिससे बाजारो और गलियो मे आवागमन सहज और सुचारू हो सके।
सभी जनसाधारण से पर्यावरण पर सार्थक सहयोग की अपेक्षा के साथ। साथियो ब्यावर के
चार मुख्य बाजार मे ग्यारह चौहराहे है। इसी प्रकार बाजार के ग्यारह चौहराहो को
पार करते हुए मोहल्लो मे भी मुक्कपिल बनी रहनी चाहिये तभी पर्यावरण की सार्थकता
सिद्ध हो सकती है बिना अतिक्रमण के यह शहर के सभी नागरिको का प्राथमिक कर्तव्य
है।
हम सबके साझे प्रयास से ही पर्यावरण सम्भव हो सकता है। आज के दिन हम सब सुन्दर
शहर रखने के लिये गली मोहल्ले बाजार की सफाई रखने का सँकल्प लें अपने अपने घर
और दुकान के बाहर सफाई रखने का।
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