गौरम घाट की रेल यात्रा

 

गौरम घाट एक अन्य महत्वपुर्ण आकर्षक पर्यटन स्थल है,  यह एक बहुत ही दुर्गम पहाडी ईलाका है और यहां तक जाने के लिये रेल एक मात्र आवागमन का साधन है।  कांकरोली के रेलवे स्टेशन से यहां गौरम घाट जाने हेतू मारवाड जंक्शन की ट्रेन सुबह सवेरे 8.30या 9.00 AM के लगभग जाती है । ईस ट्रेन का टिकट बहूत ही मामुली रुपयों में मिलता है, पर यह सफर एक अविस्मरणीय याद कि तरह हमारे जेहन में लम्बे समय तक रहता है ।

कांकरोली से यह ट्रेन चलती है फिर भीलवाडा रोड बाइ पास, कुंआथल,  कुंवारिया और ए॓से कई सारे छोटे मोटे गांव शहर रास्ते में आते हैं । अंग्रेजों के जमाने में बने हुए यह चंद रेलवे स्टेशनआज भी जैसे हमें उस जमाने की यादें ताजा कराते प्रतीत होते हैं । कहीं तेज तो कहीं मंथर गति से चलती हूई रेल व रास्ते के बीच आने वाले रेलवे स्टेशन के पुराने भवन, स्टोर रुम काफी आकर्षक लगते है । काफी समय के बाद शुरु होता है घाट सेक्शन, यहां से रेल की गति बहुत धीमी हो जाती है, पहाडी इलाका शुरु होते ही हमें दूर दूर के नजारे दिखने लगते है । बंदर,  नीलगाय, लोमडी व रंगबिरंगी चिडीयांए आदि का दिखना यहां कोई अचरज की बात नहीं है । घने जंगल, पहाडीयों  व सर्पिलाकार रास्तों से जाती हुई ट्रेन दो बडी टनल या गुफाओं से गुजरती है तो बडा अलग सा ही एक नया अनुभव होता है ।

रेल गौरम घाट पर पहुंचती है और चंद मिनटों के लिये रुकती हे,  पर्यटक यहां रुकते है व शाम को यही रेल मारवाड जंक्शन होकर 4 या 4.30 के आसपास वापस गौरम घाट व कामली घाट पहुंचती है । गौरम घाट के रेलवे स्टेशन पर प्रथम चिकित्सा सुविधा व पानी आदि मिल जाता है।  गौरम घाट के रेलवे स्टेशन के आस पास बहुत से बंदर है जो झुंड में रहते है । यह रास्ता ईतना दुर्गम है कि अब तक भी यहां बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है । रेलवे वाले भी सोलर लाईट्स आदि का उपयोग करते हैं । यहां कुछ चाय, नाश्ता आदि नहीं मिलता है,   अतः बेहतर हे कि यदि पिकनिकके लिये जा रहें हें तो साथ लेकर ही जाएं ।

गौरम घाट पर पर्यटक दूर दूर के प्राकर्तिक नजारे देख सकते हैं । खासकर बारिश के दिनों में यहां कि प्राकर्तिक सुंदरता जेसे और भी खिल उठती हे । गौरम घाट रेलवे स्टेशन के पास से ही एक रास्ता पहाडी पर बने एक मंदिर को जाता हे, उपर जाने के लिये सीढ़ीयां है ततपश्चात पगडंडी है जिससे मंदिर तक पहुंचा जा सकता है । वहां से पहाडों के नजारे बडे ही अच्छे लगते है । एक अन्य साधु महाराज की धुणी भी वहां है, रेलवे ट्रेक से सामने की तरफ बने पगडंडी के रास्ते से वहां तक जाया जा सकता है ।

शाम को यह रेल मारवाड जंक्शन से वापस होकर 4 या 4.30 के आसपास वापस गौरम घाट पहुंचती है, वापस इसी रेल के द्वारा कांकरोली व बाद मे अन्य स्थानों पर पहुंचा जा सकता है । किसी विद्वान नें कहा है ना कि “Journey Is More Important Then The Destination” यह कथन सही प्रतीत होता है। ईस यात्रा के दौरान हूए अच्छे अनुभव शायद ही कोई भुल पाता हो ।

 

 

 

 


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