भारत रत्न से 1957 में सम्मानित, जूनी पीढ़ी के प्रमुख कांग्रसी नेता गोविन्द वल्लभ पन्त का जन्म अल्मोड़ा में हुआ। उनके पूर्वज महाराष्ट्र से आकर कुमायूं इलाके में बस गए थे।
अल्मोड़ से मैट्रिक पास कर वे उच्च अध्ययन के लिए इलाहाबाद गए और वहां से 1909 में वकालत पास की।
सन् 1907 में अध्ययन के दौरान गोखले का भाषण सुनकर गाविन्द वल्लभ राष्ट्रवादी भावनाओं से पे्ररित हुए। इनके अतिरिक्त नौरोजी, रानाडे, मालवीय व अन्य राष्ट्र नायकों ने उन्हें प्रभावित किया।
राष्ट्रवादी विचार:- राष्ट्रवादी विचार पन्त के मन में बैठ गया। भारत की एकता में उनका पूरा भरोसा था। 1912 से पन्त का सक्रिय राजनीतिक जीवन शुरू हुआ और कोई तीन दषक तक ने आजादी की लड़ाई में जुटे रहे। नवम्बर 1918 में उत्तर प्रदेष के कुमाऊं इलाके को पिछडे क्षेत्र की सूची से हटाने के लिए व संघर्षरत रहे। गांधीजी के असहायोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन और एकल सत्याग्रह में उन्होंने पूरी शक्ति से सहयोग दिया।
गरिमामय पद:- 1928 में साइमन कमीषन की मुखालफत की। तब लखनऊ में निकाले गये एक जलुस में नेहरू जी को पुलिस की लाठियों से बचाने के लिए वे स्वयं गम्भीर रूप से घायल हो गए। 1938-39 के गांधी-सुभाष में, उन्होंने खुलेआम गांधीजी का साथ दिया। आजादी के पहले 1937 में चुनावों में वे निर्विरोध कांगे्रस नेता चुने गए और मुख्यमन्त्री बने। उत्तर प्रेदष के नेता रहे और सबसे लम्बे समय तक वहां के मुख्य मन्त्री रहे।
केन्द्रिय गृह मन्त्री के रूप में 1955 में राज्य पुन्गर्ठन आयोग की रिर्पोट की रिव्यू कमेटी (समीक्षा समिति) के राजस्थान में अजमेर मेरवाड़ा को मिलाये जाने के सन्दर्भ में बनी पांच सदस्यों की समिति के अध्यक्ष की हैसियत से सर्व सम्मति से अजमेर को राजस्थान की राजघानी और ब्यावर को राजस्थान का जिला बनाये जाने की सहमति दी।
लेखक पहले भी कई बार ब्यावर का सम्पूर्ण इतिहास को ब्यावरहिस्ट्री डाॅट काॅम के माध्यम से जिला बनाने की मांग कर चुके है। राज्य सरकार की यषस्वी मुख्यमन्त्री वसुन्धराजी से अनुरोध है कि कल आठ तारीख को प्रस्तावित बजट में पन्तजी द्वारा जाहिर की गई सहमति को ब्यावर को जिला बनाये जाने के बारे में घोषणा कर उनके हृदय उद्गार को कार्यान्वित कर उनके प्रति सच्ची सादर अन्जलि समर्पित करें।
यह एक साठ साल से ब्यावर को जिला बनाने की लम्बी मांग है जो वाजिब है।
माननीय मुख्यमन्त्री जी के लिये यह एक संयोग ही होगा। कि आठ का अंक उनके लिये सब तहर से अनुकूल है।
आठ तारीख को मुख्यमन्त्री जी का जन्म दिन
आठ तारीख को ही उनके द्वारा राज्य का बजट पेष किया जावेगा।
आठ तारीख को यह उनका आठवाँ बजट होगा।
और उनका जन्म चूँकि 53 में हुआ। अतः जन्म का मूलांक भी आठ है। और जन्म अंक भी आठ ही है।
अतः माननीय मुख्य मन्त्री का यह कार्य किसी जादू से कम नहीं होगा।
प्रस्तुतकर्ता:- वासुदेव मंगल, ब्यावर
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