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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  ब्यावर सिटी (राज.)
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

 
23 अप्रेल 2024 मिती चैत्र सुदी पूर्णिमा विक्रम संवत् 2081 को हनुमान जयन्ती पर विशेष
आलेख: वासुदेव मंगल, ब्यावर सिटी एवं जिला
आज मंगलवार है, हनुमान का वार है सच्चे मन से ध्यान लगाना उसका बेड़ा पार है। संयोग ही कहा जायेगा कि आज मंगलवार के दिन हनुमान का जन्म दिन है बहुत भाग्यशाली है हम कि उस महाबली का गुणगान कर रहे है जो मर्यादा पुरुषोत्तम रामजी के सेवक थे सीता माता के परम सेवक थे।
यहां पर लेखक एक बहुत ही रोचक उदाहरण प्रस्तुत कर रहें हैं जो उनकी पारिवारिक निजी जिन्दगी से जुड़ा हुआ है कि सन् 1890 ईसवी में लेखक के पूर्वज रामगढ़ शेखावाटी से आकर ब्यावर में बसे थे। उनकी फतेहपुरिया बाजार में मकान के आगे मैसर्स रामबगस खेशीदास पौद्धार नाम से बुलियन मर्चेण्ट एण्ड कमीशन एजेन्ट के नाम से बावन बही बसनों मे एक फर्म थी। उसके मुकादम सेठ गजानन्द जी पौद्दार थे जो लेखक के पिताश्री बाबूलालजी के नाना थे। उन्होंने उनकी चाँग गेट बाहर सेन्दड़ा रोड़ चौराहे के दक्षिणी-पश्चिमी कोने वाली ढलान वाली जमीन पर यूनाईटड कॉटन प्रेस के नाम से एक जिनिंग एवं प्रेसिग फैक्ट्री थी जो नाड़ी के पेच के नाम से प्रसिद्ध थीं। इस प्रेस में सेठ गजानन्दजी पौद्धार ने एक बालाजी की मूर्ति स्थापित कर एक मन्दिर बनाया था जो पंच वाले बालाजी के नाम से आज भी जाना जाता है। इसीलिये ही यह कोलोनी आज महावीर गंज के से आबाद है और जानी जाती है।
इस बात को आज एक सौ चौतिस साल हो गए। परन्तु लेखक के पुश्तैनी बालाजी का मन्दिर आज भी कायम है। यद्यपि लेखक स्वयं की यह चौथी पीढ़ी है और उनके बेटे पोतो की पांचवी और छठी पीढ़ी है। लेखक का पुश्तैनी मकान आज भी उसी नाम से शेखावाटी रामगढ़िया नोहरे के नाम से जाना जाता है जो लेखक की जन्म भूमि है जहाँ पर लेखक ने जन्म से लेकर आज दिए. 23 अप्रैल सन् 2024 को उन्तीस हजार तरेसठ दिन व्यतीत किये हैं।
वास्तव में पेच वाले बालाजी की प्रतिमा बहुत ही देदीव्यमान सजीन्दा मूर्ति है जो अपने आप में चम्तकारी है। उन्हीं की कृपा बनी हुई है।
आज पवन पुत्र हनुमानजी के जन्म दिन पर ब्यावरवासियों को लेखक और परिजन की शुभकामना ।
रामदूत अतुलित बल धामा, अन्जनी पुत्र पवन सुत नामा
हनुमानजी की अष्ठ सिद्धियों का सन्देश हनुमान वृहद रूप धारण कर सकते है। हनुमान सुक्ष्म रूप धारण कर सकते है। इसी प्रकार नव निधि के दाता हनुमानजी ।
23.04.2024
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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