14 मार्च को
क्रान्तिकारी योद्धा - जय नारायण व्यास की
53वीं पुण्य तिथि पर विषेश
लेखक: वासुदेव मंगल
श्री जयनारायण व्यास का जन्म राजपूताना की जोधपुर रियासत में हुआ था। उनके जन्म के समय 18 फरवरी 1899 में देश दास्ता की बेडियों में जकड़ा हुआ था।
जय नारायण व्यास राजस्थान के प्रमुख स्वतन्त्रता सैनानियों में से एक थे। वे ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सामन्त शाही के खिलाफ आवाज उठाई और जागीरदारी प्रथा की समाप्ति के साथ रियासतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना पर बल दियां चूंकि वे जोधुपर में पैदा हुए जो रियासत थी।
व्यासजी ने क्रान्तिकारी गतिविधियों ब्यावर से ही सीखी। उनके परिवार में पत्नि, के अतिरिक्त चार सन्तानें है जिनमें एक पुत्र और तीन पुत्रियाँ है।
सन् 1927 में तरूण राजस्थान पत्र के व्यासजी प्रधान सम्पादक बने। सन् 1936 में बम्बई से व्यासजी ने अखण्ड भारत नामक दैनिक अखबार निकालना आरम्भ किया।
महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह में भाग लेने के लिये उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस प्रकार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी।
सन् 1940 में व्यासजी ब्यावर में जैन गुरूकुल स्कूल में हैडमास्टर नियुक्त हुए। उस समय जैन गुरूकुल स्कूल में श्री शोभाचन्द्र जी भारिल्ल व श्री चिम्मनसिंहजी लोढ़ा भी अध्यापक थे।
सन् 1948 में जयनारायणजी व्यास जोधपुर प्रजा मण्डल के प्रधान मन्त्री बनाये गए। सन् 1956 से 1957 तक वे प्रान्तीय कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे।
सन् 1951 से 1954 तक वे राजस्थान के मुख्यमन्त्री रहे। 14 मार्च 1963 में व्यासजी का दिल्ली में निधन हुआ। उनके सम्मान में उनकी जन्म स्थली जोधपुर में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय आज भी संचालित है।
लेखक: वासुदेव मंगल
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