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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

 

 

27 मई 2023 को पं. जवाहरलाल नेहरू : स्वतन्त्र भारत के पहले यशस्वी प्रधानमन्त्री की 59वीं पुण्य तिथी पर विशेष
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रचनाकार :- वासुदेव मंगल
पण्डित जवाहर लाल नेहरू के पिता पण्डित मोतीलाल नेहरू जो एक कश्मिरी सारस्वत ब्राहम्ण थे। मोतीलाल नेहरू का घर इलाहाबाद में गंगा के किनारे आनन्द भवन में जवाहर का बचपन में लालन पालन हुआ। जवाहर का जन्म 14 नवम्बर 1889 ईसवीं मे हुआ। उस बात को 133 साल हो गए। यह 134वां जन्म दिन है। जवाहर की माता का नाम स्वरूपारानी था।
जवाहर लाल ने हेरो से पढ़ाई की। केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रीनिटी कालेज से ला की डिग्री हासिल की अर्थात उच्च शिक्षा इंग्लैण्ड में ही हुई।
इंगलैण्ड में रहते हुए जवाहरलाल नेहरू इंगलैण्ड के फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद से प्रभावित हुए।
चूंकि सन् 1857 से 1947 तक 90 साल भारत की स्वतन्त्रता आन्दोलन का काल रहा। अंग्रेजों ने भारत में अपनी राजनैतिक समर्थन और सुरक्षा के लिये 28 दिसम्बर सन् 1885 ईसवीं में अंग्रेज ए.ओ.हयूम और एनी बेसेन्ट के नेत्त्व एक समानान्तर राजनैतिक इण्डियन नेशनल कांग्रेस पार्टी की भारत मे स्थापना की थी। लेकिन कांग्रेस पार्टी तब से लेकर भारत की आजादी मिलने तक अर्थात 61-62 वर्ष पर्यन्त तक भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन की कट्टर जूझारू पार्टी बनी रही अर्थात अंग्रेजों के राजनैतिक षडयन्त्र में नही आई। भारत की स्वतन्त्रा तक अगं्रजों से राजनैतिक लड़ाई लड़ती रही।
1. सन् 1912ई. में जवाहरलाल भारत लौटे। पिता के घर में कांग्रेसी कल्चर था। जवाहर ने इलाहाबाद में वकालत शुरू की।
2. सन् 1916 ई. कमला नेहरू से जवाहर का विवाह हुआ 26 वर्ष की उम्र मे।
3. सन् 1917 ई. जवाहर होमरूल लीग मे शामिल हुए।
4. सन् 1919 ई. मे वे राजनिति में महात्मा गांधी के सम्पर्क में आये 30 साल की उम्र में।
5. सन् 1920-22 ई. मे गांधी जी के असहयोग आन्दोलन में उन्होने सक्रिय हिस्सा लिया।
6. सन् 1924 ई. इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष पर निर्वाचित हुए। शहर के मुख्य कार्यकारी के रूप मे दो साल तक सेवा की।
7. सन् 1926-28 ई. तक अखिल भारतीय काँग्रेस समिति के महासचिव रहै।
8. सन् 1929 ई.में दिसम्बर के महीने लाहौर शहर में काँग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए। इस अधिवेशन में उनके नेतृत्व मे भारत के पूर्ण स्वराज्य की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया और 26 जनवरी सन् 1930 ई. को लाहौर में स्वतन्त्र भारत को झण्डा फहराया गया।
9. सन् 1930 ई. मे गॉंधीजी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ किया गया जिसमें आपने सक्रिय हिस्सा लिया।
10. सन् 1935 ई. के अधिनियम में कॉंग्रेस ने चुनाव लड़कर प्रत्येक प्रान्त में सरकार का गठन कर केन्द्रिय असेम्बली में सबसे ज्यादा जीत हासिल की। यह नेहरू के सक्रिय प्रयास का परिणाम था।
11. सन् 1936, 1937 व 1946 ई. में आप क्रांगेस पार्टी के अध्यक्ष रहे।
12. सन् 1942 ई. में भारत छोड़ो आन्दोलन में आप गिरफ्तार कर लिये गए जो 1945 में छोड़ गए।
13. सन् 1947 ई. में भारत के विभाजन ओैर आजादी के मुद्वो में अंग्रेजी सरकार के साथ वार्ता मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
14. सन् 1947 में भारत की स्वतन्त्रता के बाद 1947 में स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
1. पाकिस्तान के साथ नई सीमा पर बड़े पैमाने पर पलायन और दंगे।
2. भारत संघ में 500 के करीब देशी रियासतों का एकीकरण।
3. नये संविधान का निर्माण
4. संसदीय लोकतन्त्र के लिये राजनैतिक और प्रशासनिक ढांचे की स्थापना।
5. योजना आयोग का गठन।
6. विज्ञान और प्राद्योगिक विकास को प्रोत्सोहित किया।
7. 3 पंचवर्षिय योजना का लगातार शुभारम्भ।
8. देश में कृषि और उद्योग का नया युग।
9. भारत की विदेश नीति के विकास में प्रमुख भूमिका
10. मार्शल टिटो युगोस्लाविया और कर्नल नासिर मिश्र देश के साथ गुट निरपेक्ष
आन्दोलन की रचना के परिणाम स्वरूप इस गुट निरपेक्ष आन्दोलन के जरिये निम्न सफलताताएं प्राप्त हुईः-
(क) कोरियाई युद्ध का अन्त
(ख) स्वेज नहर के विवाद का हल
(ग) कांगों समझौते के लिये भारत की सेवा और समस्याओं के समाधान में मध्यस्था की भूमिका।
(ड़) पश्चिम बर्लिन आस्ट्रिया, लाओस जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान में योगदान।
असफलताः-
(क) चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के सम्बन्धों में सुधार नहीं कर पाये।

सन् 1962 में चीन का भारत पर आक्रमण उनकी मौत का कारण बना। 27 मई सन् 2022 को उनके निधन की 58वीं पुण्य तिथी थी। उनका निधन 27 मई सन् 1964 में हुआ था।
उनके विचारः-
1. साम्प्रदायिक सद्भाव के पक्षधर थे।
2. समाजवादी समाज के विकास के लिये जनतान्त्रिक पद्धति अपनाई,
3. देश में व्याप्त अलगाववाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता और गरीबी का समाधान राष्ट्रीय, प्रजातन्त्र और धर्मनिरपेक्षता व समाजवाद के जरिये की।
पण्डित जवाहरलाल नेहरू उदारता, एकता दूरदर्शिता और सरलता के प्रतीक थे।
यहाँ पर इस दिन दिल्ली में ब्यावर का एक दर्दनाक हादसा घटित हुआ थे वह वाकया यह था कि ब्यावर सनातन धर्म गवर्नमेण्ट कालेज के एकाउण्टेन्सी के प्रोफेसर श्री बद्री प्रशादजी खण्डेलवाल साहिब उस दिन नेहरूजी की अन्तिम यात्रा वाली भीड़ में गिर कर दब गए। अतः यह दुखद हादसा हमारे ब्यावर के प्रोफेसर श्री बी. पी. खण्डेलवाल साहिब का हो गया उस समय।
लेखक को यह दुख पूर्ण हादसा आज भी याद है नेहरू के निधन के समय का। लेखक उस समय सत्र 1963-64 फर्स्ट ईयर कॉमर्स की परीक्षा दे चुका था।
खण्डेलवाल साहिब कद में ठिगने व शरीर से भारी थे। अतः भीड़ में वे गिरने के बाद उठ नहीं सके। इस बात को ीी उनसठ साल गए। यह ब्यावर से सम्बन्धित घटना होने से याद आ गई इस समय।
इन आत्माओं को लेखक का शत् शत् नमन।
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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