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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  ब्यावर सिटी (राज.)
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

 
25 दिसम्बर सन् 2023 को पंडित मदन मोहन मालवीय का 163 वाँ जन्मदिन व 162वीं सालगिरह या वर्षगाँठ
आलेख: वासुदेव मंगल - ब्यावर सिटी व जिला (राज.)

पण्डित मदन मोहन मालवीयजी का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 25 दिसम्बर 1861 में हुआ था। उनके पिता का नाम पं. ब्रजनाथ व माता कर नाम मूनादेवी था।
मालवीयजी के पिता संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वान थे जो श्रीमद्भागवत की कथा सुनाकर आजीविका का निर्वाहन करते थे।
मालवीयजी ने पाँच वर्ष की आयु में संस्कृत भाषा में प्रारम्भिक शिक्षा में प्राइमरी परीक्षा उत्तीर्ण कर ईलाहाबाद के जिला स्कूल में पढ़ाई की तथा 1879 में म्योर सेंट्रल कालेज से 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। कोलकाता विश्वविद्यालय से सन् 1884 में बी.ए. की उपाधि प्राप्त की। उनका विवाह 16 वर्ष की आयु में मीरजापुर के पण्डित नन्दलालजी की पुत्री कुन्दनदेवी के साथ हुआ था।
पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृभाषा के साथ साथ नवयुवकों के चरित्र निर्माण के लिए व भारतीय संस्कृति की जीवंतता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये काशी हिन्दू विश्व विद्यालय की स्थापना की। वे जीवनभर गाँवों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में जुटे रहे।
स्वतन्त्रता संग्राम में मालवीयजी में कांग्रेस नरमदल के गोपाल कृष्ण गोरवले व गरम दल के नेता बाल गंगाधर तिलक क्रमशः उदारवादी और राष्ट्रवादी नेता के सेतु के रूप में थे।
वे महान शिक्षाविद, बेहतरीन वक्ता और एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता थे। उन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम आन्दोलनो, उद्योगों को बढ़ावा देने, देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान देने शिक्षा, धर्म, सामाजिक सेवा, हिन्दी भाषा के विकास में अपना महत्वपूर्ण बहुमूल्य योगदान दिया।
महात्मा गाँधी ने उन्हें महामना की उपाधि दी थीं और भारत के दूसरे राष्ट्रपति डा. एस. राधाकृष्णन ने उन्हें कर्मयोगी का दर्जा दिया।
मालवीयजी ने हिन्दू - मुस्लिम एकता को बनाये रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया। उनको सांप्रदायिक सद्भाव से सम्बन्धित विषयों पर भाषण देने के लिये जाना जाता है।
मालवीयजी के प्रयासों से ही देवनागरी (हिंदी की लिपि) को ब्रिटिश भारतीय अदालतों में पेश किया गया था।
उन्होंने 11 वर्ष तक (1909-1920) तक इम्पीरियल - लेजिस्लेटिव काउन्सिल के रूप में कार्य किया।
उन्होंने ‘सत्यमेव जयते’ शब्द को लोकप्रिय बनाया। अब यह शब्द भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है।
मालवीयजी ने 1915 में हिन्दू महासभा की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
मालवीयजी को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करने के लिये ब्यावर पदार्पण पर दानवीर सेठ श्री दामोदर दास जी राठीजी के द्वारा आर्थिक रूप से भारी सहायता प्रदान की गई जिन्होंने काशी में सन् 1916 ई. में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की स्थापना की।
पत्रकार के रूप में उन्होंने सन् 1907 में एक हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र अभ्युदय की शुरुआत की। इस समाचार पत्र को सन् 1915 मे दैनिक समाचार-पत्र बना दिया गया।
मालवीयजी ने सन् 1910 में हिन्दी मासिक पत्रिका मर्यादा भी शुरू की थीं। उन्होंने 1909 में एक अंग्रेजी दैनिक अखबार लीडर भी शुरू किया था।
मालवीयजी हिन्दी साहित्य ’हिन्दुस्तान’ और ‘इन्डियन यूनियन’ के सम्पादक भी रहे।
वे कई वर्षों तक हिन्दुस्तान टाइम्स के निर्देशक मण्डल के अध्यक्ष भी रहे।
मालवीयजी का निधन 12 नवम्बर 1946 को 84 वर्ष की आयु में हुआ।
वर्ष 2014 में उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वाेच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किया गया था।
वर्ष 2016 में भारतीय रेलवे ने मालवीयजी के सम्मान में वाराणसी- नई दिल्ली महामना एक्सप्रेस रेल सेवा शुरू की।
25 दिसम्बर को प्रत्येक वर्ष तीन - महापुरुषों की जयन्ती आती है। क्रमशः यीशु मसीह (पैगम्बर इसाई धर्म), महामना पण्डित मदन मोहन जी मालवीय और अटल बिहारी बाजपेईजी की जयन्ती।
इन तीनों महापुरुषों को लेखक व परिजन का कोटि कोटि नमन् ।

25.12.2023
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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