‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे
से.......
✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)
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21 मई 2023 को भारत के युवा प्रधान
मन्त्री राजीव गाँधी की 32वीं पुण्य तिथी पर विशेष
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लेख : वासुदेव मंगल स्वतन्त्र लेखक
यह एक ईत्तफाक ही था कि राजीव गाँधी ने न चाहते हुए भी राजनीति में
प्रवेश किया। यह भी एक संयोग ही कहा जायेगा कि माँ श्रीमती इन्दिरा
गाँधी ने भी प्रधानमन्त्री के पद रहते हुए देश की अखण्डता अक्षुण बनाये
रखने के लिये बलिदान दिया और राजीव भी उसी प्रकार देश की अखण्डता के
लिये शहीद हुए। फर्क सिर्फ बस है तो इन्दिराजी खालिस्तानी आन्दोलन को
दबाने के लिये अमृतसर के पवित्र मन्दिर में भिन्डरा वालें के खिलाफ
ब्ल्यू स्टार आपरेशन कराने में अपने ही अंग रक्षकों का शिकार हुई तो
राजीव श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ रक्षा सेना श्रीलंका भेजने के कारण
लिट्टे के नेता की नाराजगी के कारण शहीद हुए।
दोनों ने ही देश की आजादी को अक्षुणन बनाये रखने में अपने प्राणों की
आहुति दी।
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त सन् 1944 में हुआ। उनके छोटे भाई संजय
गांधी का तुर्कमान गेट दिल्ली में हवाई जहाज दुर्घटना में अचानक मृत्यु
हो जाने के कारण अपनी माँ श्रीमती इन्दिरा गांधी के कहने पर उनको
राजनीति के कामों में मदद के लिये मजबूरी में राजनीति में आना प़ड़ा।
राजीव तो लन्दन में केम्ब्रिज विश्व विद्यालय में मेकेनिकल इंजिनियर की
पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन यह पढ़ाई अधूरी छोड़कर भारत आ गए। भारत में दून
कॉलेज से पायलट का वाणिज्यिक कोर्स कर हवाई सेवा में कार्यरत हो गए।
परन्तु माँ श्रीमती इन्दिरा गाँधी की 31 अक्टूबर सन् 1984 को अचानक
हत्या हो जाने के कारण प्रधान मन्त्री का उनका दायित्व वहन करना पड़ा।
सन् 1984 के चुनाव में मात्र 40 वर्ष की उम्र में उस समय 508 में से
रिकार्ड 401 सीटें जीतकर कांग्रेस पार्टी के सबसे युवा प्रधान मन्त्री
बने।
राजीव गाँधी अपनी जीप या कार स्वयं ड्राईव करते थे। उनको पुलिस का घेरा
अपने नाना जवाहर लाला नेहरू की तरह पसन्द नहीं था। राजीव गाँधी का
स्वभाव स्नेहमय, सहनशील और सरल था।
स्वभाव से गम्भीर किन्तु आधुनिक सोच के व्यक्तित्व थे। उनमें तर्क करने
की अदम्य क्षमता थी।
प्रधान मन्त्री रहते हुए उनकी युवा सोच ने वो सब काम किये जिससे देश
विकास के आधुनिक सोच वाले रास्ते पर आगे बढ़ा।
राजीव गाँधी वास्वत में डिजिटल इण्डिया के आर्चीटेक्ट थे। उन्होंने
सुचना तकनीक के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रान्ति कर दूर संचार में नया
आयाम स्थापित किया। 1984 में ही उन्होंने भारत के दूर संचार नेटवर्क के
लिये सेन्टर फार डेवलपमेण्ट ऑफ टेलीमेटिक्स की स्थापना करवाने में अपना
महत्वपूर्ण योगदान किया। उनके इस कार्य से शहर से गाँवों तक दूरसंचार
का जाल बिछना शुरू हो गया। जगह-जगह पीसीओ खुल गए जिससे गाँव की जनता भी
संचार के मामले में देश दुनियां से जुड़ सकी।
1986 में राजीव गाँधी की पहल से एम टी एन एल की स्थापना से दूर संचार
के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
राजीव गांधी ने युवा पिढ़ी को कम्प्युटर टेक्नोलॉजी और विज्ञान की शिक्षा
देना अहम् मानते थे। अतः कम्प्युटर की किमतों को कम करने के लिये
उन्होंने कम्प्युटर को सरकारी नियन्त्रण से बाहर किया और असेंबल
कम्प्युटर का आयात शुरू किया। बड़ी टेलीकॉम कम्पनी एम टी एन एल और बी एस
एन एल की शुरूआत उनके कार्यकाल में ही हुई।
राजीव गाँधी फिरोज गाँधी एवं इन्दिरा गाँधी के बडे़ बेटे थे। उनका जन्म
20 अगस्त 1944 में बम्बई में हुआ था।
लन्दन में राजीव की मुलाकत एडिवगों मानियों से हुई। 1968 में राजीव का
उनसे विवाह हुआ जिनका नाम राजीव ने सोनिया गाँधी रख दिया।
राजीव और सोनिया के पुत्र राहुल गाँधी है और पुत्री प्रियंका है
प्रियंका गाँधी का विवाह वाड्रा के साथ हुआ। अतः वह प्रियंका गांधी
वाड्रा कहलाती है। दूरदर्शी राजीव गाँधी ने अपने सपने को साकर किया।
उन्होंने एक मजबूत, आत्मनिर्भर, स्वावलम्बी और मानवता की सेवा करने वाले
भारत की कल्पना की थी जिसको उन्होंने अपने दायित्व को निभाते हुए पूरा
किया जिसको उन्होंने दुनिंया का अग्रहणी राष्ट्र बनाया। उनके अनुसार
धर्म निरपेक्षता शब्द मात्र सरकार को धर्म से अलग रखने से अभिप्रायः है
ताकि सरकार सम्प्रदायवाद के पचडे़ में न पडे़। लोकतान्त्रिक राष्ट्र के
लिये यह जरूरी है कि राष्ट्र का निर्माण लोकतान्त्रिक तरीके से हो। इसके
लिये धैर्य, सतत् प्रयास और मेल-मिलाप की भावना रखना जरूरी है।
राजीव गाँधी एक ऐसे प्रधान मन्त्री थे, जो जनता से सीधे जुडे़ हुए थे
और एक ऐसे नेता के रूप में विख्यात थे जिनकी पहुँच एक आम आदमी के हृदय
तक थीं।
1986 के लालडेंगा के मिजोरम आन्दोलन को मिजोरम समझौते के द्वारा खतम
किया।
1985 में हरचन्दसिंह लोंगवाल के साथ समझौता कर अशांत पंजाब में शान्ति
स्थापित की।
21 मई सन् 1991 में श्री पेरम्बदूर में एक रैली को सम्बोधत करने के लिये
गए। वहाँ पर धनु नाम की आत्मघाती महिला ने मंच पर आत्मघात कर मंच को उडा
दिया जिसमें राजीव गाँधी शहीद हो गए।
आज उनकी 32वीं पुण्य तिथी पर लेखक वासुदेव मंगल का शत् शत् नमन। |
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