E-mail : vasudeomangal@gmail.com 

‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......

✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  ब्यावर सिटी (राज.)
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)

ब्यावर शहर के विस्तार का विकास सन् 2012 के शहर के जोनल डवलपमेंट प्लान के अनुरूप ही होना चाहिए
- ब्यावर का करन्ट अफेयर लेख -
वासुदेव मंगल, स्वतन्त्र लेखक एवं इतिहासकार, ब्यावर
शहर का डवलपमेन्ट प्लान क्या है ?:- जैसा कि ब्यावर की जनता को विदित होगा कि सन् 1975 ई0 में ब्यावर शहर के सर्वांगीन समुचित विकास के लिये राजस्थान प्रदेश मे सबसे पहले नगर सुधार न्यास (अरबन इमू्रवमेण्ट ट्रस्ट) का दफ्तर इस आशय से राज्य सरकार के द्वारा खोला गया था कि चूंकि ब्यावर शहर सिटी का निर्माण एक अंग्रेज सैन्य अधिकारी के द्वारा बड़े ही पच्चीकारी सुन्दर तरीके से आर्चिटेक्ट बेसिस पर किया गया हुआ है। अतः ब्यावर सिटी का डवलपमेन्ट भी उसी के अनुरूप ही किया जाना है। परन्तु बड़े खेद के साथ लिखना पड़ रहा है कि स्थानीय गन्दी राजनीति के फेर में तत्कालिन ब्यावर सिटी मे 1975 मे खोला गया यू आई टी का दफ्तर उस वक्त के एम.एल.ए. साहिब द्वारा ब्यावर से हटवा दिया श्री मेहता साहिब ने 1978 मे कि यहाँ पर सिमेण्ट का कारखाना खोला जाना प्रस्तावित है इसलिये।
आगे चलो बाँगड घराने द्वारा सिमेण्ट का कारखाना खोला गया और 1980-85 के आस पास उत्पादन में भी आया तब से यह सिमेण्ट का देश में रेकार्ड उत्पादन कई ब्राण्ड में कर रहा है। ब्यावर में 1984 में तत्कालिन स्थानीय एम.एल.ए. श्री बाजारीजी के प्रयास से ब्यावर की जनता के लिये पीने के पानी की समस्या का स्थायी समाधान बिसलपुर टोंक से पानी की लाईन लाकर किया गया। तब भी सोचा अब तो ब्यावर का विकास होगा। परन्तु स्थानीय सिमेण्ट कारखाने के निरन्तर प्रगति किये जाने के प्रयास में शहर का विकास गौण होता गया कारण राज्य और केन्द्रिय उत्तरोत्तर सरकारों द्वारा तब से ही ब्यावर की प्रगति को दोनो सरकारों की उदासीन रवैय्ये के कारण रोक दिया गया ब्यावर की दुर्दशा का ज्वलन्त उदाहरण यह रहा कि ब्यावर की स्थापना से स्थापित किये गए क्रानिकल वूल कॉटन बुलियन ट्रेड को धराशायी करने के साथ साथ क्रानिकल कॉटन क्लोथ मिल्स भी और प्रेस इण्डस्ट्रिज भी धराशायी कर के दम लिया सरकार ने। कितनी तरक्की की है, ब्यावर का यह एक ज्वलन्त उदाहरण है दुनियाँ के सामने।
यहाँ पर भी तसल्ली नहीं ली। अब आगे इक्कीसवीं सदी में देखिये ब्यावर की दुर्दशा को। सन् 1838 में काण्ट्रेक्चुअल लीज् बेसिस पर स्थापित की गई अंग्रेज शासक द्वारा मेरवाड़ा बफर स्टेट के नाम पर अंग्रेजी रियासत अवधि की समाप्ति पर मेवाड़ा स्टेट के बाकी के हिस्से को 1935 में अजमेर अंग्रेज़ी अन्य रियासत के साथ जोड़ दिया गया और नाम हो गया अजमेर मेरवाड़ा स्टेट जिसका शासन प्रशासन 26 जनवरी 1950 सेे स्वतन्त्र भारत के सी केटेगरी के अजमेर संघीय स्टेट के रूप में, भारत देश के चौदहवे राज्य के रूप में हुआ। इस स्टेट का अस्तित्व 31 अक्टूबर सन् 1956 तक स्वतंत्र रूप से रहा। 1 नवम्बर को इस स्टेट के पुनः दो टुकड़े करते हुए राजस्थान प्रदेश की सरकार ने अपने राज्य (स्टेट) में समाहित करते हुए अजमेर को राजस्थान प्रदेश का छब्बीसवाँ जिला बनाया और ब्यावर को डिग्रेड कर उस समय राजस्थान प्रदेश के नब्बे उपखण्डो का सबसे बड़ा उपखण्ड बनाया। धन्य हो राजशाही रामराज्य का असली विकास तो ब्यावर में हुआ। स्वतन्त्र भारत में उस दिन 1 नवम्बर सन् 1956 को। यह तो हुआ ब्यावर का पहला राजनैतिक विघटन। अब आगे चलिये। इक्कीसवीं सदी सन् 2001 में आते आते ब्यावर सब डिविजन का राजनैतिक विघटन देखिये। यहाँ पर तत्कालिन ए०डी०एम० द्वारा यहां की जमीन पर 90 बी लगा दिया गया। पुनष्च मई 2001 में मई के महिने में ब्यावर सब डिविजन का विघटन करके मसूदा पंचायत समिति को ब्यावर से अलग कर मसूदा को अलग से अजमेर जिले का सब डिविजन इसलिये बनाया गया राजस्थान की सरकार द्वारा ताकि सिमेण्ट स्थानीय प्लाण्ट का हित अरबन की जगह रूलर ग्रामीण हो जाय जिससे रूरल की तमाम सुविधाएँ सिमेण्ट कारखानों को मिलनी आरम्भ हो गई ग्रामीण की। अब सन् 2001 से ही तेईस साल हो गये सिमेण्ट का कारखाना ब्यावर अरबन अर्थात् शहरी सीमा में होते हुए भी मसूदा ग्रामीण इलाके की तमाम आर्थिक फायदे ले रहा है। सरकार को सिमेण्ट प्लाण्ट को कितना बड़ा आर्थिक सपोर्ट है राजस्थान प्रदेश की सरकार का परोक्ष रूप से। इसीलिये ब्यावर की बर्बादी हुई। यहाँ पर भी राज्य सरकार ने तसल्ली नहीं ली ब्यावर की दुर्दशा करने की। सन् 2013 में ब्यावर खण्ड का टाट गढ क्षेत्र अलग करते हुए अजमेर जिले का एक ओर उपखण्ड बनाकर मात्र एक ब्यावर तहसील का उपखण्ड बनाकर छोडा राजस्थान की सरकार ने। कितना सधन विकास किया है ब्यावर का। धन्य हो हमारे द्वारा चुने गए पैरेकारों आपने कितना विकास किया ब्यावर का पिछले सित्यासी वर्षों सन् 1956 से और विशेष अडतीस सालों में सन् 1985 से जब से श्री सिमेण्ट प्रोडक्शन में आयी है तब से ब्यावर का। इतना ही नहीं सन् दो हजार में साथ ही बॉगड सेठ ने श्री सिमेण्ट के जोड़ मे ही एक पावर प्लाण्ट ओर लगा लिया। अतः ब्यावर का पतन तो पिछले पच्चीस सालों में द्रुतगति से हुआ है।
यह तो भला हो सन् 2023 की आठ अगस्त को तत्कालीन राजस्थान के मुख्यमंत्री ने ब्यावर को जिला बनाये जाने की अधिसूचना जारी कर ब्यावर की चिरपरिचित छियासी साल की मांग को पूरी कर ब्यावर क्षेत्र की जनता को उनसे छीना गया बाजिब हक देकर ब्यावर की जनता का जो सम्मान एक राजा ने अपनी प्रजा का किया है उसके लिये ब्यावर की जनता मुख्यमन्त्री जी का हृदय से आभारी है। भले ही देर से आये परन्तु दुरुस्त आये इस बात की खुशी है। अब ब्यावर पुनः एक बार तरक्की की राह पर चलकर दुनियाँ को इसका विकास बतायेगा।
एक बार पुनः सरकार का धन्यवाद।
अब राज्य सरकार को ब्यावर के सघन और समुचित विकास के लिये सन् 2012 में बनाये गए ब्यावर शहर के मास्टर प्लान के अनुरूप द्रुत गति से विकास तुरन्त प्रभाव से कर देना चाहिए। ब्यावर के एक जागरूक नागरिक की राजस्थान प्रदेश की वर्तमान सरकार से व केन्द्र की वर्तमान सरकार दोनों सरकारों से करबद्ध अपील है। तब ही ब्यावर विकास कर पावेगा अन्यथा कदापि नहीं।
ब्यावर पाँच जोन में विभक्त किया गया है सन् 2012 के जोनल डवलपमेन्ट प्लान के अनुसार जो इस प्रकार हैः-
जोन 1 वेस्ट जोन- इसमें पेरा फेरी के 13 गाँव शामिल किये गए है जिनका 2006.97 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है।
जोन -2 साउथ वेस्ट जोन - इसमें 19 गाँव शामिल है जिनका 3523.10 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है।
जोन-3 साउथ ईस्ट जोन- इसमें 9 गाँव शामिल है, जिनका 1984.29 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है
जोन-4 ईस्ट जोन - इसमें पेरा फेरी के 14 गाँव शामिल है, जिनका 7180.97 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है।
जोन-5 नॉर्थ जोन - इसमें 9 गाँवों को शामिल किया गया है जिनका 2383.65 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है
जोनल डवलपमेण्ट प्लान वह प्लान है जिसके अन्तर्गत नगरीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों, सामाजिक व आधारभूत सुविधाएँ, यातायात, परिवहन व शहरी फैलाव, आवास की कमी, पर्यावरण आदि चुनितियों को निपटाने और नगरीय विस्तार सुनियोजित रूप से किये जाने के लिये जोनल डवलपमेण्ट प्लान तैय्यार किया गया है।
26.02.2024
 
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
Follow me on Twitter - https://twitter.com/@vasudeomangal
Facebook Page- https://www.facebook.com/vasudeo.mangal
Blog- https://vasudeomangal.blogspot.com

E mail : praveemangal2012@gmail.com 

Copyright 2002 beawarhistory.com All Rights Reserved